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एडीआर ने नवनिर्वाचित 542 सांसदों में 539 सांसदों के हलफनामों के विश्लेषण के आधार पर बताया कि इनमें से 159 सांसदों (29 फीसदी) के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, बलात्कार और अपहरण जैसे गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं.

देश में चुनावी दौर शुरू होने के साथ ही ये बात भी चर्चा का हिस्सा बन जाती है कि कितने नेता आपराधिक पृष्ठभूमि में फंसे हुए हैं और कितने मालदार हैं. चुनाव से पहले हर उम्मीदवार को अपने बारे में ये ब्योरा पेश करना पड़ता है. देश में अब चुनाव संपन्न हो गए हैं लेकिन ये जानना भी जरूरी है कि सत्ता की गद्दी पर बैठने को तैयार नेताओं में से कितने नेता अपराधों में फंसे हैं और कौन कितना करोड़पति है.

एडीआर ने नवनिर्वाचित 542 सांसदों में 539 सांसदों के हलफनामों के विश्लेषण के आधार पर बताया कि इनमें से 159 सांसदों (29 फीसदी) के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, बलात्कार और अपहरण जैसे गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं.

इसी मामले पर चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी शोध संस्था ‘एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक अलायंस’ (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक, आपराधिक मामलों में फंसे सांसदों की संख्या दस साल में 44 प्रतिशत बढ़ गई है. पिछले तीन लोकसभा चुनाव में निर्वाचित होकर आने वाले सांसदों में करोड़पति और आपराधिक मामलों में घिरे सदस्यों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है.

बीजेपी के 303 में से 301 सांसदों के हलफनामे के विश्लेषण में पाया गया कि साध्वी प्रज्ञा सिंह सहित 116 सांसदों (39 फीसदी) के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं. वहीं, कांग्रेस के 52 में से 29 सांसद (57 फीसदी) आपराधिक मामलों में घिरे हैं.

2009 में 58 फीसदी और 2019 में 88 फीसदी करोड़पति सांसद

वहीं, करोड़पति सांसदों की संख्या 2009 में 58 फीसदी थी जो 2019 में 88 फीसदी हो गई है. एडीआर की रिपोर्ट कहती है कि 17वीं लोकसभा के लिए चुनकर आए 542 सांसदों में से 233 (43 फीसद) सांसदों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं. इनमें से 159 (29 फीसद) के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं. इसके अलावा राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय 25 राजनीतिक दलों में 6 दलों (लगभग एक चौथाई) के सौ फीसद सदस्यों ने उनके खिलाफ आपराधिक मामलों की जानकारी दी है.

दोबारा सत्तारूढ़ होने जा रहे एनडीए की हिस्सेदार पार्टी लोजपा के निर्वाचित सभी 6 सदस्यों ने अपने हलफनामे में उनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित होने की जानकारी दी है. इसके अलावा एआईएमआईएम के दोनों सदस्यों और 1-1 सांसद वाले दल आईयूडीएफ, एआईएसयूपी, आरएसपी और वीसीआर के सांसद आपराधिक मामलों में घिरे हैं.

रिपोर्ट में नए चुने गए सांसदों के आपराधिक रिकॉर्ड के राज्यवार विश्लेषण से पता चलता है कि आपराधिक मामलों में फंसे सर्वाधिक सांसद केरल और बिहार से चुन कर आए हैं. केरल से निर्वाचित 90 फीसदी और बिहार के 82 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं. इस मामले में पश्चिम बंगाल से 55 फीसदी, उत्तर प्रदेश से 56 और महाराष्ट्र से 58 फीसदी नए चुने गए सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं. वहीं सबसे कम 9 फीसदी सांसद छत्तीसगढ़ के और 15 फीसदी गुजरात के हैं.

44 फीसदी का इजाफा दर्ज

पिछली 3 लोकसभा में आपराधिक मुकदमों से घिरे सांसदों की संख्या में 44 फीसदी का इजाफा दर्ज हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2009 के लोकसभा चुनाव में आपराधिक मुकदमे वाले 162 सांसद (30 फीसद) चुनकर आए थे, जबकि 2014 के चुनाव में निर्वाचित ऐसे सांसदों की संख्या 185 (34 फीसदी) थी.

एडीआर ने नवनिर्वाचित 542 सांसदों में 539 सांसदों के हलफनामों के विश्लेषण के आधार पर बताया कि इनमें से 159 सांसदों (29 फीसदी) के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, बलात्कार और अपहरण जैसे गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं. पिछली लोकसभा में गंभीर आपराधिक मामलों के मुकदमों में घिरे सदस्यों की संख्या 112 (21 फीसदी) थी, वहीं 2009 के चुनाव में निर्वाचित ऐसे सांसदों की संख्या 76 (14 फीसदी) थी. स्पष्ट है कि पिछले तीन चुनाव में गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे सांसदों की संख्या में 109 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है.

नए सांसदों में कांग्रेस के डीन कुरियाकोस नंबर-1

नए सांसदों में कांग्रेस के डीन कुरियाकोस पर सबसे ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं. केरल के इडुक्की लोकसभा क्षेत्र से चुनकर आए एडवोकेट कुरियाकोस ने अपने हलफलनामे में बताया है कि उनके खिलाफ 204 आपराधिक मामले लंबित हैं. इनमें गैर इरादतन हत्या, लूट, किसी घर में जबरन घुसना और अपराध के लिए किसी को उकसाने जैसे मामले शामिल हैं.

आपराधिक मामलों का सामना कर रहे सर्वाधिक सांसद बीजेपी के टिकट पर चुन कर आए. रिपोर्ट में भाजपा के 303 में से 301 सांसदों के हलफनामे के विश्लेषण में पाया गया कि साध्वी प्रज्ञा सिंह सहित 116 सांसदों (39 फीसदी) के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं. वहीं, कांग्रेस के 52 में से 29 सांसद (57 फीसदी) आपराधिक मामलों में घिरे हैं.

इनके अलावा बसपा के 10 में से 5, जदयू के 16 में से 13 (81 फीसदी) , तृणमूल कांग्रेस के 22 में से 9 (41 फीसदी) और माकपा के 3 में से 2 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं. इस मामले में बीजद के 12 निर्वाचित सांसदों में सिर्फ एक सदस्य ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले की हलफनामे में घोषणा की है.

88 फीसदी सदस्य करोड़पति

इसी प्रकार 17वीं लोकसभा के 88 फीसदी सदस्य करोड़पति हैं. भाजपा के 88 फीसदी, कांग्रेस के 84 फीसदी, द्रमुक के 96 फीसदी और तृणमूल कांग्रेस के 91 फीसदी करोड़पति उम्मीदवार सांसद बनने में कामयाब रहे. इनके अलावा बीजेपी के सहयोगी दल लोजपा और शिवसेना के सभी सांसद करोड़पति हैं.

सौ फीसदी करोड़पति सांसदों वाले दलों में सपा, बसपा, तेदेपा, टीआरएस, आप, एआईएमआईएम और नेशनल कांफ्रेंस भी शामिल हैं. राज्यों के लिहाज से देखा जाए तो पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश सहित 15 राज्यों एवं केन्द्र शासित राज्यों के निर्वाचित सभी सांसद करोड़पति हैं. ओडिशा से सबसे कम (67 फीसदी) करोड़पति सांसद चुने गए.

कांग्रेस के नकुल नाथ सबसे धनी सांसद

रिपोर्ट के मुताबिक, 17वीं लोकसभा के लिए चुने गए सांसदों की औसत संपत्ति की कुल कीमत 20.93 करोड़ रुपये आंकी गई है. सर्वाधिक धनी सांसद के रूप में कांग्रेस के नकुल नाथ हैं और जी माधवी सबसे कम संपत्ति वाली सांसद हैं. मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से निर्वाचित कांग्रेस सांसद नकुल नाथ के पास 660 करोड़ रुपये से अधिक कीमत की चल-अचल संपत्ति है, जबकि वाईएसआर कांग्रेस के टिकट पर आंध्र प्रदेश की अराकू सीट से निर्वाचित माधवी के पास महज एक लाख रुपये अधिक कीमत की चल अचल संपत्ति है.

17वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों में 24 फीसदी (128) सदस्य 12वीं तक पढ़े हैं, जबकि 392 (73 फीसदी) सदस्य स्नातक हैं. एक सदस्य ने खुद को महज साक्षर तो एक अन्य ने खुद को निरक्षर बताया है. नए सदस्यों में 194 (36 फीसदी) की उम्र 25 से 50 साल है. वहीं 343 (64 फीसदी) सदस्य 51 से 80 साल की उम्र के हैं. दो सदस्य 80 साल से अधिक उम्र के हैं.