एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि राज्यसभा के एक तिहाई सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि दो सांसदों ने हत्या से संबंधित मामले घोषित किए हैं.
मौजूदा 225 राज्यसभा सांसदों में से 75 ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं, इनमें से चार पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोप हैं. शुक्रवार को एक नई रिपोर्ट से यह पता चला. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वॉच (एनईडब्ल्यू) ने एक रिपोर्ट में कहा कि उसने 233 राज्यसभा सांसदों में से 225 की आपराधिक पृष्ठभूमि के विवरण का विश्लेषण किया है.
इसमें कहा गया है कि मौजूदा राज्यसभा में एक सीट खाली है, जबकि तीन सांसदों का विश्लेषण नहीं किया गया है, क्योंकि उनके हलफनामे अनुपलब्ध हैं और जम्मू-कश्मीर की चार सीटें अपरिभाषित हैं. "विश्लेषण किए गए 225 राज्यसभा सांसदों में से 75, यानी 33 प्रतिशत सांसदों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं."
इसमें कहा गया है कि 41 यानी 18 फीसदी राज्यसभा सांसदों ने गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं, जबकि दो सांसदों ने हत्या (आईपीसी धारा 302) से संबंधित मामले घोषित किए हैं. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि चार सांसदों ने महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों की घोषणा की है. “चार सांसदों में से, के.सी. वेणुगोपाल, राजस्थान ने बलात्कार (आईपीसी धारा-376) से संबंधित मामला घोषित किया है.''
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि चार मौजूदा सांसदों ने हत्या के प्रयास (आईपीसी धारा 307) से संबंधित मामलों की घोषणा की है. इसमें आगे कहा गया है कि भाजपा के 85 राज्यसभा सांसदों में से 23 (जो कि 27 प्रतिशत), कांग्रेस के 30 में से 12 (40 प्रतिशत), तृणमूल कांग्रेस के 13 में से चार (31 प्रतिशत), राजद के छह में से पांच (83 प्रतिशत), राजद के छह में से चार (80 प्रतिशत), सीपीआई (एम) के पांच में से चार (80 प्रतिशत), आप के 10 में से तीन (30 प्रतिशत), वाईएसआरसीपी के नौ में से तीन (33 प्रतिशत) और एनसीपी के तीन में से दो (67 प्रतिशत) ने अपने हलफनामे में अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बीजेपी के 85 में से 12 (14 फीसदी), कांग्रेस के 30 में से आठ (27 फीसदी), तृणमूल कांग्रेस के 13 में से दो (15 फीसदी), राजद के छह में से तीन (50 फीसदी), सीपीआई (एम) के पांच में से दो (40 प्रतिशत), आप के 10 में से एक (10 प्रतिशत), वाईएसआरसीपी के नौ में से तीन (33 प्रतिशत) और एनसीपी के तीन में से एक (33 प्रतिशत) ने अपने हलफनामे में अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि महाराष्ट्र में आपराधिक मामलों वाले राज्यसभा सांसदों की संख्या सबसे अधिक है, इसके बाद बिहार और उत्तर प्रदेश का स्थान है.
इसमें कहा गया है कि महाराष्ट्र से 19 राज्यसभा सांसदों में से 12 (63 प्रतिशत), बिहार से 16 में से 10 (63 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश से 30 में से सात (23 प्रतिशत), तमिलनाडु के 18 में से छह (33 प्रतिशत), केरल के नौ में से छह (67 प्रतिशत) और पश्चिम बंगाल के 16 में से पांच (31 प्रतिशत) ने अपने हलफनामों में अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं.