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Source
Republic Bharat
Author
PTI
Date

विश्लेषण के मुताबिक 2009 के बाद से आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा करने वाले सांसदों की संख्या में 55 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

18th Lok Sabha:  लोकसभा के नवनिर्वाचित 543 सदस्यों में से 251 (46 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। चुनाव विश्लेषण करने वाली संस्था ‘एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) ने यह बात कही।

यह निचले सदन में आपराधिक आरोपों का सामना करने वाले सदस्यों की पिछले कई दशकों की सबसे अधिक संख्या है।

साल 2019 में कुल 233 नवनिर्वाचित सांसदों (43 प्रतिशत) ने अपने विरुद्ध आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की थी, 2014 में 185 (34 प्रतिशत), 2009 में 162 (30 प्रतिशत) तथा 2004 में 125 (23 प्रतिशत) ने आपराधिक मामलों की घोषणा की थी।

विश्लेषण के मुताबिक 2009 के बाद से आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा करने वाले सांसदों की संख्या में 55 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। नवनिर्वाचित हुए 251 सदस्यों में से 170 (31 प्रतिशत) के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं जिनमें दुष्कर्म, हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले हैं।

गंभीर अपराध के मामलों वाले सदस्यों की संख्या 2009 से 124 प्रतिशत बढ़ गई है। इस बार चार उम्मीदवारों ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत अपने ऊपर हत्या से संबंधित मामले दर्ज होने की जानकारी दी है और 27 ने आईपीसी की धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास से संबंधित मामले दर्ज होने की घोषणा की है।

नवनिर्वाचित हुए 15 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामले घोषित किए हैं, जिनमें दो पर आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार का आरोप है।

एडीआर के अनुसार, 18वीं लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में बरकरार भाजपा के 240 विजयी उम्मीदवारों में से 94 (39 प्रतिशत) ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं।

इसके मुताबिक कांग्रेस के 99 विजयी उम्मीदवारों में से 49 (49 प्रतिशत) ने आपराधिक मामले घोषित किए हैं और समाजवादी पार्टी के 37 उम्मीदवारों में से 21 (45 प्रतिशत) ने अपने खिलाफ आपराधिक आरोप होने की जानकारी दी है।

तृणमूल कांग्रेस के 29 में से 13 (45 प्रतिशत), द्रमुक के 22 में से 13 (59 प्रतिशत), तेलुगू देशम पार्टी के 16 में से आठ (50 प्रतिशत) और शिवसेना के सात विजयी उम्मीदवारों में से पांच (71 प्रतिशत) ने आपराधिक मामले घोषित किए हैं।

विश्लेषण में पाया गया कि 63 (26 प्रतिशत) भाजपा उम्मीदवार, 32 (32 प्रतिशत) कांग्रेस उम्मीदवार और 17 (46 प्रतिशत) समाजवादी पार्टी उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा अपने हलफनामों में की है।

इसमें कहा गया है कि नवनिर्वाचित सदस्यों में से सात (24 प्रतिशत) तृणमूल सदस्यों, छह (27 प्रतिशत) द्रमुक उम्मीदवार, पांच (31 प्रतिशत) तेलुगू देशम पार्टी उम्मीदवार और चार (57 प्रतिशत) शिवसेना उम्मीदवार गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं।