Source: 
जनसत्ता
https://www.jansatta.com/national/adr-report-says-1-29-crore-vote-for-nota-in-last-five-years-in-assembly-and-general-election/2310819/
Author: 
Jansatta Online
Date: 
04.08.2022
City: 
New Delhi

ADR ने EC से शिफारिश की है कि अगर किसी निर्वाचन क्षेत्र में NOTA का वोट उम्मीदवारों से अधिक हो तो वहां का चुनाव रद्द करवाकर दोबारा करवाया जाना चाहिए और उन उम्मीदवारों को चुनाव नहीं लड़ने देना चाहिए।

ADR Report on Notaलोकतांत्रिक देशों में चुनाव के माध्यम से जनता का प्रतिनिधि चुना जाता है। हमारे यहां चुनाव के दौरान एक विकल्प ऐसा भी होता है जिसके मुताबिक आप चुनाव में खड़े किसी भी कैंडिडेट को वोट नहीं देना चाहते हैं, वो विकल्प है नोटा का। एक निर्वाचन क्षेत्र में खड़े सभी उम्मीदवारों में से अगर कोई भी जनता की पसंद का नहीं है तो फिर जनता ऐसे चुनाव में नोटा पर बटन दबाकर अपना संदेश दे सकती है। हमारे देश में अभी तक नोटा पर कितने वोट पड़े हैं इसकी जानाकरी एडीआर रिपोर्ट में सामने आई है। गुरुवार को जारी एडीआर की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते पांच सालों में 1.29 करोड़ लोगों ने नोटा बटन दबाकर किसी भी प्रत्याशी के सही उम्मीदवार नहीं होने का संदेश दिया है।

गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) जो चुनाव अधिकारों व कानूनों के अमल पर नजर रखती है और नेशनल इलेक्शन वॉच (NEW) ने मिलकर पिछले पांच सालों के दौरान नोटा को लेकर अपनी रिपोर्ट जारी की है। ये आंकड़ा पिछले पांच सालों के दौरान हुए विधानसभा चुनाव और आम चुनाव से लिए गए हैं। दोनों ऑर्गनाइजेशन ने साल 2018 से साल 2022 के दौरान विभिन्न चुनावों में डाले गए NOTA वोटों का विश्लेषण किया है।

लोकसभा चुनाव में लक्ष्यद्वीप में महज 100 वोट NOTA को

इस रिपोर्ट के मुताबिक राज्य विधानसभा चुनाव में नोटा को औसतन 64,53,652 वोट (64.53 लाख) मिले हैं। वहीं इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर नोटा को 65,23,975 (1.06 फीसदी) वोट मिले। लोकसभा चुनाव में नोटा वोटों में, सबसे अधिक वोट यानी 51,660 बिहार के गोपालगंज (एससी सीट) लोकसभा सीट के दौरान पड़े थे। वहीं अगर हम सबसे कम नोटा वोट पड़ने वाली सीट की बात करें तो नोटा वोट लक्षद्वीप में पड़े थे जहां इन वोटों की संख्या महज 100 थी।

Delhi और Bihar Assembly Election में NOTA पर सबसे कम वोट

साल 2020 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में नोटा पर महज 43,108 वोट पड़े और बिहार विधानसभा चुनावों में नोटा पर कुल 7,06,252 वोट पड़े इस तरह से कुल मिलाकर दोनों जगहों पर 1.46 फीसदी (7,49,360 votes) नोटा को पड़े।

2022 के 5 राज्यों के Assembly Elections में NOTA पर महज 0.70 फीसदी वोट

साल 2022 में यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव हुए थे। इन पांचों राज्यों के विधानसभा चुनावों में मात्र (8,15,430 वोट) नोटा को गए जो कि प्रतिशतता के हिसाब से देखा जाए तो 0.70 फीसदी वोट नोटा पर इस्तेमाल हुआ। इनमें से उत्तर प्रदेश में 6,37,304 पंजाब में 1,10,308, उत्तराखंड में 46,840 वोट पड़े। गोवा में 10,629 वोट, मणिपुर में 10,349 वोट नोटा को पड़े जिनकी प्रतिशतता के हिसाब से देखा जाए तो एक फीसदी वोट भी नोटा के खाते में नहीं गया है।

महाराष्ट्र विधानसभा साल 2019 में NOTA का सबसे ज्यादा प्रयोग

साल 2019 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नोटा पर वोटिंग का सबसे ज्यादा उपयोग हुआ। इस चुनाव में 7,42,134 वोट नोटा पर पड़े। वहीं अगर सबसे कम नोटा वोट की बात करें तो ये मिजोरम में हुए साल 2018 के विधानसभा चुनाव में हुआ था। इस चुनाव में नोटा पर महज 2,917 वोट नोटा पड़े थे। वहीं अगर इसी साल हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां पर 27,500 वोट नोटा पर पड़े थे। प्रतिशतता के हिसाब से देखा जाए तो ये 1.98 फीसदी वोट थे जो नोटा के लिए इस्तेमाल किए गए थे। वहीं इसी साल अगर सबसे कम नोटा के वोटों की बात करें तो अरुणाचल प्रदेश में नोटा पर महज 9 वोट पड़े थे।

NOTA को लेकर ADR की चुनाव आयोग से सिफारिश

एडीआर ने सिफारिश की है कि यदि किसी निर्वाचन क्षेत्र में नोटा के लिए डाले गए वोट सभी चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों से अधिक हैं तो किसी भी उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित नहीं किया जाना चाहिए और वहां पर फिर से चुनाव करवाए जाने चाहिए और इस चुनाव में उन उम्मीदवारों को दोबारा चुनाव नहीं लड़ने देना चाहिए।

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