राजनीति में दागियों के बोलबाले पर एडीआर के वेबिनार में चर्चा की गई है। इस दौरान कई विशेषज्ञों ने इस मुद्दे पर अपने सुझाव दिए हैं। इस दौरान इस मुद्दे पर चर्चा की गई कि क्या मतदाताओं को शिक्षित करने से इस समस्या का समाधान निकलेगा? या फिर कड़े कानूनों की आवश्यकता है?
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने आज एक वेबिनार आयोजित किया, जिसका विषय था –'अपराधी ही बन रहे हैं विधायक-सांसद: भारतीय लोकतंत्र का विरोधाभास। इस चर्चा में कई विशेषज्ञ और नेताओं ने हिस्सा लिया, जिन्होंने भारतीय राजनीति में बढ़ती आपराधिक प्रवृत्तियों पर अपने विचार भी रखें। इस वेबिनार में कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एसवाई कुरैशी और पीयूसीएल की अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव शामिल हुईं।
इस बारे में जागरूकता फैलाने की जरूरत- कांग्रेस सांसद
इस वेबिनार में शामिल कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा, कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेता संसद तक पहुंच रहे हैं, यह गंभीर समस्या है। मतदाता उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इसके बारे में जागरूकता फैलाने और स्थानीय भाषाओं में जानकारी देने की जरूरत है। हालांकि, क्या हम किसी भारतीय नागरिक को चुनाव लड़ने से पूरी तरह रोक सकते हैं? दुनिया के कई लोकतांत्रिक देशों में ऐसा कोई आजीवन प्रतिबंध नहीं है।
न्याय व्यवस्था का दुरुपयोग हो रहा है- कविता श्रीवास्तव
वहीं पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने कहा कि आज न्याय व्यवस्था का दुरुपयोग हो रहा है। विपक्षी दलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, अल्पसंख्यकों और आदिवासियों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों की आपराधिक जानकारी सार्वजनिक होनी चाहिए, लेकिन 10-15 साल तक चुनाव लड़ने से रोकने का समर्थन नहीं किया जा सकता। हमें यह देखना होगा कि सत्ता तंत्र का गलत उपयोग ना हो।
राजनीति में अपराधियों की संख्या 100-125% - पूर्व मुख्य चुनाव
जबकि वेबिनार में तमाम मुद्दों पर चर्चा करते हुए पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एसवाई कुरैशी ने कहा, राजनीति में अपराधियों की संख्या 100-125% तक बढ़ गई है। संसद से इस समस्या का हल निकलना मुश्किल है, क्योंकि वही लोग फैसले लेंगे जिनका इससे सीधा संबंध है। उन्होंने आजीवन प्रतिबंध का विरोध किया और कहा कि 9-10 साल का प्रतिबंध पर्याप्त सजा होगी। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विशेष अदालतों की कार्यप्रणाली की समीक्षा होनी चाहिए और मतदाताओं को शिक्षित करने के लिए अभियान चलाने की जरूरत है।