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राजनीति का अपराधीकरण रोकने के लिए सार्वजनिक सहमति तो दिखती है, लेकिन जमीन पर कोई राजनीतिक दल कवायद करता नहीं दिखता है। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के 71 में 61 यानी 86 फीसद क्षेत्र रेड अलर्ट श्रेणी में आते हैं। ये ऐसा क्षेत्र हैं जहां तीन या इससे अधिक आपराधिक छवि के उम्मीदवार मैदान में हैं। राजनीति में दागियों की घुसपैठ का आलम यह है कि कुल 1064 उम्मीदवारों में 328 यानी 31 फीसद के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। इनमें 244 यानी 23 फीसद गंभीर अपराधों में आरोपित हैं।

सुप्रीम कोर्ट आपराधियों को राजनीति से बाहर का रास्ता दिखा चुका है

आपराधियों को राजनीति से बाहर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी को सख्त आदेश दिए थे। इसमें कहा गया था कि राजनीतिक दल अपनी वेबसाइट पर उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड सहित सारा ब्योरा सार्वजनिक करेंगे। साथ ही यह भी बताएंगे कि उन्होंने आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति को क्यों टिकट दिया और उसे क्यों नहीं दिया जिसकी आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है।

सिर्फ जदयू ने ही दागी को टिकट देने का कारण बताया: एडीआर

उम्मीदवारों की ओर से नामांकन के समय दाखिल किए जाने वाले हलफनामों में दिए ब्योरे का अध्ययन करने वाली गैर-सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) ने मंगलवार को जारी की गई अपनी अध्ययन रिपोर्ट में उम्मीदवारों का पूरा लेखा-जोखा जारी किया है। एडीआर के संस्थापक सदस्य प्रोफेसर जगदीप छोकर ने कहा कि सिर्फ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने ही दागी को टिकट देने का कारण बताया है। हालांकि वह कारण भी दिखावे से ज्यादा कुछ नहीं।

गया जिले के गुरुआ विधानसभा क्षेत्र से 23 उम्मीदवारों में 10 आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं

इससे पहले के चुनावों के विश्लेषणों में 50 फीसद या उससे कम क्षेत्र ही रेड अलर्ट श्रेणी में आते थे। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक रेड अलर्ट श्रेणी में गया जिले का गुरुआ विधानसभा क्षेत्र पहले नंबर पर है, जहां चुनाव लड़ रहे कुल 23 उम्मीदवारों में 10 आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं। दूसरे नंबर पर रोहतास का दिनारा विधानसभा क्षेत्र आता है, जहां 19 में से 9 उम्मीदवार आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं।

दागियों पर नजर: आरजेडी ने 30, एलजेपी ने 24, जदयू ने 15, भाजपा ने 21, कांग्रेस ने 12, बसपा ने 8

दागियों को दिए गए टिकट पर नजर डालें तो राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने 30, जनअधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) ने 19, लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने 24, राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी ने 19, जदयू ने 15, भाजपा ने 21, कांग्रेस ने 12 और बसपा ने आठ दागियों को टिकट दिए हैं। ये प्रमुख दलों की स्थिति है। 86 निर्दलीय उम्मीदवार आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं।

एडीआर ने की जघन्य अपराध में आरोपितों को टिकट न दिए जाने की सिफारिश

एडीआर ने रिपोर्ट में जो सिफारिशें की हैं उनमें जघन्य अपराध में आरोपितों को टिकट न दिए जाने और पांच साल से ज्यादा सजा के अपराध में छह महीने पहले अदालत से आरोप तय होने वाले को टिकट न दिए जाने की सिफारिश शामिल है।