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देश में तीन विधानसभा चुनावों के अलावा 2019 की शुरुआत में होने वाले आम चुनावों से पहले बॉन्ड मार्केट में सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए धनवर्षा शुरू हो गई है. इस धनवर्षा से जहां इन चुनावों में पार्टी की राह आसान होगी, वहीं आंकड़े बता रहे हैं कि आगामी चुनावों में विपक्ष में बैठी कांग्रेस और कई क्षेत्रीय दलों को बॉन्ड मार्केट में पोलिटिकल फंडिंग नहीं के बराबर मिल रही है.

दरअसल, राजनीतिक दलों की फंडिंग (पॉलिटिकल फंडिंग) व्यवस्था में सुधार और चुनावों में ब्लैकमनी पर लगाम लगाने के लिए केन्द्र सरकार ने कई कड़े कदम उठाए हैं. जहां राजनीतिक दलों द्वारा ब्लैकमनी के लेनदेन और चुनाव प्रचार के दौरान कालाधनखर्च करने पर रोक लगाने के लिए राजनीतिक दलों को 2000 रुपये से अधिक कैश चंदा लेने से प्रतिबंधित कर दिया गया है. वहीं राजनीतिक दलों को मिलने वाले कॉरपोरेट चंदे पर लगाम लगाने के लिए बॉन्ड मार्केट में इलेक्टोरल बॉन्ड लॉन्च किया था.

केन्द्र सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम 2018 का नोटिफिकेशन 2 जनवरी 2018 को जारी कर दिया था. इस नोटिफिकेशन के मुताबिक केन्द्र सरकार ने किसी भारतीय नागरिक अथवा भारत में रहने वाला व्यक्ति राजनीतिक दलों को चुनाव लड़ने के लिए चंदा देने की जगह इस बॉन्ड को खरीद सकता है.

इलेक्टोरल बॉन्ड से कैशलेस और व्हाइट होगा राजनीतिक दलों का पैसा

राजनीतिक दलों को कॉरपोरेट चंदा देने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड की छठवें चरण की बिक्री चल रही है. यह बिक्री 1 नवंबर से शुरू हुई है और 10 नवंबर 2018 तक जारी रहेगी. इलेक्टोरल बॉन्ड को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की देशभर में चिन्हिंत 29 शाखाओं में बेचा जा रहा है. जहां 10 नवंबर तक इन शाखाओं से चंदा देने के लिए बॉन्ड खरीदा जा सकता है वहीं राजनीतिक दलों को खरीदे गए बॉन्ड को 15 दिनों के अंदर कैश कराना होगा.

प्रमुक बिजनेस अखबार इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक मौजूदा वित्त वक्ष में राजनीतिक चंदा देने वाले सबसे बड़े ट्रस्ट प्रूडेंट इलोक्टोरल ट्रस्ट ने कुल 169 करोड़ रुपये एकत्र किए हैं. इस पैसे में लगभग 144 करोड़ रुपये से प्रूडेंट ने बीजेपी के इलोक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं वहीं बाकी की रकम (24 करोड़ रुपये) से अन्य पार्टियों के बॉन्ड खरीदे गए हैं.

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गौरतलब है कि प्रूडेंट इलेक्टोरल बॉन्ड मौजूदा समय में पोलिटिकल फंडिग करने वाला सबसे बड़ा ट्रस्ट है. दो साल पहले तक प्रूडेंट ट्रस्ट राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट के जरिए काम करता था. इस ट्रस्ट में देश की नामी-गिरामी कंपनियां शामिल हैं जिसमें 52 करोड़ रुपये का सबसे बड़ा चंदा डीएलएफ समूह ने दिया है. इसके अलावा ट्रस्ट में भारती ग्रुप (33 करोड़), श्रौफ समूह की यूपीएम (22 करोड़) और गुजरात का टॉरेंट समूह प्रमुख कंपनियां है. इसके अलावा डीसीएम श्रीराम, कैडिला ग्रुप और हल्दिया एनर्जी ने भी इस ट्रस्ट के जरिए प्रमुख राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल ट्रस्ट के चंदा देने का काम किया है.

चुनाव सुधार और राजनीतिक कमाई पर लगाम से रुकेगा कालाधन!

गौरतलब है कि रिपोर्ट के मुताबिक इस ट्रस्ट की तरफ से 10 करोड़ रुपये का चंदा कांग्रेस को और 5 करोड़ रुपये का चंदा ओडिशा में बीजू जनता दल को दिया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में इलेक्टोरल बॉन्ड मार्केट में मौजूद सभी ट्रस्ट के जरिए लगभग 85 फीसदी चंदा बीजेपी को मिला हैं. जहां सबसे बड़े ट्रस्ट ने लगभग 90 फीसदी चंदा बीजेपी को दिया है वहीं दूसरे और तीसरे नंबर के ट्रस्ट ने भी सर्वाधिक राजनीतिक चंदा बीजेपी को दिया है. दूसरे नंबर पर मौजूद एबी जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट ने मौजूदा वर्ष के दौरान कुल 21 करोड़ का चंदा दिया है जिसमें 12.5 करोड़ बीजेपी, 1 करोड़ कांग्रेस और 8 करोड़ रुपये बीजेडी को दिया है. वहीं दक्षिण भारत के एक इलेक्टोरल ट्रस्ट मुरुगप्पा ट्रस्ट ने 1 करोड़ रुपये का चंदा बीजेपी तो 2 करोड़ रुपये का चंदा कांग्रेस को दिया है.