उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के छठे चरण के चुनाव में 21% उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक आरोप हैं, जिसमें समाजवादी पार्टी (सपा) ने सबसे अधिक आपराधिक आरोपों वाले उम्मीदवारों को इस बार मैदान में उतारा है। छठे चरण के चुनाव को लेकर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की एक विश्लेषण रिपोर्ट सामने आई है। इसमें यह खुलासा किया गया है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में जहां चुनाव के लिए तीन चरणों में वोटिंग हो चुकी है तो वहीं अभी भी चार चरण बाकी हैं। इसी क्रम में 27 फरवरी, 3 और 7 मार्च को अन्य चरणों में मतदान होना है, जबकि 10 मार्च को चुनाव के नतीजे सामने आएंगे। इस बीच उत्तर प्रदेश में छठे चरण के चुनाव को लेकर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की एक विश्लेषण रिपोर्ट सामने आई है।
इसमें बताया गया है कि छठे चरण में चुनाव लड़ने वाले लगभग 21 प्रतिशत या 670 में से 151 उम्मीदवारों पर बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। बता दें कि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की रिपोर्ट उम्मीदवारों के चुनावी हलफनामों के विश्लेषण पर आधारित है। इनमें से समाजवादी पार्टी (सपा) ने सबसे अधिक आपराधिक आरोपों वाले उम्मीदवारों को इस बार मैदान में उतारा है।
प्रमुख राजनीतिक दलों में 48 उम्मीदवारों में से 29 (60%) सपा के हैं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 52 में से 20 (39%), कांग्रेस के 52 में से 20 (36%), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के 57 में से 18 (32%) और आम आदमी पार्टी (आप) के 51 में से पांच (10%) हैं। रिपोर्ट के अनुसार, दो उम्मीदवारों पर बलात्कार के आरोप, आठ पर हत्या के आरोप और 23 पर 'हत्या के प्रयास' के आरोप हैं।
एडीआर की रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि 182 (27%) उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं, जिनमें से 48 उम्मीदवारों में से 40 (83%) सपा के हैं, 52 में से 23 (44%) भाजपा से हैं, 52 में से 39% कांग्रेस के हैं, 57 में से 22 (39%) बसपा के हैं और 51 में से सात (14%) आप के हैं। बताते चलें कि 3 मार्च को मतदान होने वाले 57 निर्वाचन क्षेत्रों में से सैंतीस (65%) 'रेड अलर्ट' निर्वाचन क्षेत्र हैं। एक 'रेड अलर्ट' निर्वाचन क्षेत्र वह होता है जहां चुनाव लड़ने वाले तीन या अधिक उम्मीदवारों ने आपराधिक मामले घोषित किए होते हैं।
एडीआर की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि उसके द्वारा एकत्र किए गए डेटा से पता चलता है कि राजनीतिक दलों को चुनावी प्रणाली में सुधार करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। इसमें कहा गया है, "हमारे लोकतंत्र को कानून तोड़ने वालों के हाथों नुकसान होता रहेगा, जो कानून बनाने वाले बन जाते हैं।" रिपोर्ट में कहा गया है कि 670 उम्मीदवारों में से 253 की संपत्ति 1 करोड़ से अधिक है।
छठे चरण में चुनाव लड़ने वाले प्रति उम्मीदवार की संपत्ति का औसत मूल्य 2.10 करोड़ रुपये है। मालूम हो, सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2020 में राजनीतिक दलों को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट देने का औचित्य साबित करने का निर्देश दिया था और कहा था कि बिना आपराधिक रिकॉर्ड वाले अन्य लोगों को क्यों नहीं चुना जा सकता है।