लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मतदान अब समापन की ओर है। सात मार्च को सातवें तथा अंतिम चरण के मतदान के लिए चुनाव मैदान में उतरने वाले सभी प्रत्याशियों का ब्यौरा भी सामने आ गया है। सातवें चरण में ताल ठोंक रहे प्रत्याशी भले ही अधिक शिक्षित नहीं हैं, लेकिन अधिकांश करोड़पति हैं।
उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) ने सातवें चरण के चुनाव के मैदान में उतरने वाले प्रत्याशियों का रिपोर्ट कार्ड गुरुवार को जारी कर दिया है। आखिरी चरण के चुनाव के मैदान में उतरने वाले 607 उम्मीदवारों में से 28 प्रतिशत आपराधिक मामले चल रहे हैं। इनमें भी 22 प्रतिशत पर दुष्कर्म और हत्या जैसे गंभीर केस हैं। क्राइम केस हिस्ट्री के हिसाब से टॉप पर प्रगतिशील मानव समाज पार्टी के प्रत्याशी विजय मिश्रा है। आजमगढ़ की मुबारकपुर के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली 195 करोड़ की संपत्ति के साथ इस चरण के सबसे अमीर उम्मीदवार हैं। बसपा के विधायक दल के नेता रहे शाह आलम ने बसपा से बाहर होने के बाद समाजवादी पार्टी का दामन थामा था, लेकिन वहां पर टिकट ना मिलने पर अब औवैसी की पार्टी से चुनाव के मैदान में हैं।
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सातवें चरण के मैदान में उतरे 607 में से 170 (28 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। इनमें करीब 22 प्रतिशत यानी 131 गंभीर अपराध के मामले हैं। सपा के 45 उम्मीदवारों में 26 (58 प्रतिशत) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। भाजपा में 47 उम्मीदवारों में 26 (44 प्रतिशत) पर, बसपा के 52 में से 20 (38 प्रतिशत) और कांग्रेस के 54 में से 20 (37 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले हैं। आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश में पहली बार चुनाव के मैदान में उतरी है, इसके 47 में से आठ (17 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। इनमें भी गंभीर आपराधिक मामलों की चर्चा करें तो सपा के 45 में से 20 (44 प्रतिशत), भाजपा के 47 में से 19 (40 प्रतिशत), बसपा के 52 में से 13 (25 प्रतिशत), कांग्रेस के 54 में से 12 (22 प्रतिशत) और आप पार्टी के 47 में से सात (15 प्रतिशत ) उम्मीदवारों ने गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
टाप क्राइम केस में प्रमासपा, बसपा और कांग्रेस के प्रत्याशी: सातवें चरण में क्राइम केस के मामले में शीर्ष तीन प्रत्याशियों में प्रगतिशील मानव समाज पार्टी से विजय मिश्रा हैं। जो भदोही के ज्ञानपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार हैं। विजय मिश्रा के खिलाफ 24 मामले दर्ज हैं। गाजीपुर के बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी राज कुमार सिंह गौतम के खिलाफ 11 मामले दर्ज हैं। तीसरे नंबर पर वाराणसी के पिंडरा से कांग्रेस के अजय राय हैं। जिनके खिलाफ 17 मामले दर्ज हैं।
महिला उत्पीड़न के मामले झेल रहे 11 प्रत्याशी : आपराधिक मामलों में शीर्ष तीन के साथ ही 11 उम्मीदवार ऐसे हैं। जिनके खिलाफ महिलाओं के ऊपर अत्याचार से संबंधित मामले हैं। इनमें से दो के खिलाफ दुष्कर्म के केस हैं। सात उम्मीदवारों के खिलाफ हत्या के केस दर्ज हैं जबकि 25 के खिलाफ हत्या का प्रयास के मामले हैं। सातवें चरण में 54 में से 35 (65 प्रतिशत) निर्वाचन क्षेत्र संवेदनशील हैं।
सबसे अमीर गुड्डू जमाली : सातवें चरण में आजमगढ़ के मुबारकपुर के प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली सबसे ज्यादा अमीर हैं। इसके साथ ही इस चरण के 607 उम्मीदवारों में 217 करोड़पति हैं। सभी दलों ने धनी उम्मीदवारों को ही टिकट दिया है। भाजपा के 47 में से 40 (85 प्रतिशत), सपा के 45 में से 37 (82 प्रतिशत), बसपा के 52 में से 41 (79 प्रतिशत), कांग्रेस के 54 में से 22 (41 प्रतिशत) और आप के 47 में से 15 (32 प्रतिशत) उम्मीदवार करोड़पति हैं। जिनकी घोषित संपत्ति एक करोड़ से ज्यादा है। इनमें भी टॉप पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन पार्टी (एआइएमआइएम) के आजमगढ़ के मुबारकपुर विधानसभा से उम्मीदवार गुड्डू जमाली हैं। उन्होंने अपनी कुल संपत्ति 195 करोड़ रुपया घोषित की है। वाराणसी के पिंडरा से बसपा प्रत्याशी बाबूलाल की संपत्ति 44 करोड़ हैं। बसपा के आजमगढ़ के निज़ामाबाद विधानसभा सीट से पियूष कुमार सिंह की संपत्ति 34 करोड़ है। सातवें चरण में उम्मीदवारों की औसतन संपत्ति 2.55 करोड़ है। वही 233 (38 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपनी देनदारी घोषित की है। 33 (पांच प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपना पैन विवरण घोषित नहीं किया हैं।
12वीं तक पढ़े 35 प्रतिशत उम्मीदवार: सातवें चरण में 35 प्रतिशत प्रत्याशी सिर्फ 12वीं तक पढ़े हैं। 214 (35 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने शैक्षिक योग्यता पांचवीं से 12वीं के बीच घोषित की है। 346 (57 प्रतिशत) ने अपनी शैक्षिक योग्यता स्नातक और इससे ज्यादा घोषित की है। इनमें से भी दस उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षिक योग्यता डिप्लोमा धारक बताई है। 30 उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षिक योग्यता साक्षर और चार ने शैक्षिक योग्यता निरक्षर घोषित की है। तीन उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षिक योग्यता ही घोषित नहीं की है।
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