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यह एपिसोड एडीआर द्वारा शुरू की गई पॉडकास्ट श्रृंखला का बारहवां एपिसोड है, हम वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान राष्ट्रीय दलों को प्राप्त कॉर्पोरेट क्षेत्रों (रु 20,000 से अधिक का दान) के दान देखते हैं | इस विश्लेषण में बीजेपी, कांग्रेस, एनसीपी, सीपीएम और तृणमूल कांग्रेस को जोड़ा गया है | एक राष्ट्रीय दल, बीएसपी का विश्लेषण नहीं किया गया है क्योंकि इस पार्टी ने 2004 के बाद से इस अवधि के दौरान तक किसी भी दानदाता से रु 20,000 से अधिक का कोई भी स्वैच्छिक योगदान अपने दान विवरण में घोषित नहीं किया है | सीपीआई ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए कॉर्पोरेट क्षेत्र से कोई भी दान घोषित नहीं किया था इसलिए इस अवधि का विश्लेषण नहीं लिया गया है | राष्ट्रीय दलों को वित्तीय वर्ष 2004-12 के बीच प्राप्त कॉर्पोरेट दान की तुलना में  वित्तीय वर्ष 2018-19 के बीच प्राप्त कॉर्पोरेट या व्यापारिक क्षेत्रों के दान में 133% की वृद्धि हुई है |

शुरुवाती टिप्पणियां : 00:21

वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान, विभिन्न कॉर्पोरेट/ व्यापारिक घरानों ने पांच राष्ट्रीय दलों (बीजेपी, कांग्रेस, एनसीपी, सीपीएम और तृणमूल कांग्रेस) को कुल रु 881.26 करोड़ की दानराशि दी है, जो दलों द्वारा ज्ञात स्त्रोतों से प्राप्त कुल राशि का 93% था | राष्ट्रीय दलों को वित्तीय वर्ष 2004-12 के बीच प्राप्त कॉर्पोरेट दान की तुलना में  वित्तीय वर्ष 2018-19 के बीच प्राप्त कॉर्पोरेट या व्यापारिक क्षेत्रों के दान में 133% की वृद्धि हुई है |


एडीआर स्पीक के एक और एपिसोड में आपका स्वागत है | मेरा नाम हेमन्त सिंह है और मैं एडीआर में एक प्रोग्राम एसोसिएट हूँ |


परिचय : 01:13

यह एपिसोड एडीआर द्वारा शुरू की गई पॉडकास्ट श्रृंखला का बारहवां एपिसोड है, हम वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान राष्ट्रीय दलों को प्राप्त कॉर्पोरेट क्षेत्रों (रु 20,000 से अधिक का दान) के दान देखते हैं | इस विश्लेषण में बीजेपी, कांग्रेस, एनसीपी, सीपीएम और तृणमूल कांग्रेस को जोड़ा गया है | एक राष्ट्रीय दल, बीएसपी का विश्लेषण नहीं किया गया है क्योंकि इस पार्टी ने 2004 के बाद से इस अवधि के दौरान तक किसी भी दानदाता से रु 20,000 से अधिक का कोई भी स्वैच्छिक योगदान अपने दान विवरण में घोषित नहीं किया है | सीपीआई ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए कॉर्पोरेट क्षेत्र से कोई भी दान घोषित नहीं किया था इसलिए इस अवधि का विश्लेषण नहीं लिया गया है |

पृष्ठभूमि : 02:10

व्यक्तियों, कंपनियों, चुनावी ट्रस्टों और यूनियनों/संघों द्वारा राजनीतिक दलों को रु 20,000 से अधिक का दान दिया जाता है | राजनीतिक दलों द्वारा अपने दान रिपोर्ट में दानकर्ता का नाम, पता, पैन नंबर, भुगतान की विधि और दान की तारीख का विवरण चुनाव आयोग को दायर करना होता है | चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार, दानकर्ताओं की जानकारी युक्त योगदान रिपोर्ट जिन्हें रु 20,000 से अधिक का दान सालाना मिला है उन दलों को अपना दान रिपोर्ट चुनाव आयोग (जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29 सी के तहत फार्म 24 ए के निर्धारित प्रारूप) में दायर करना होता है |

यदि राजनीतिक पार्टियां सालाना रु 20,000 से अधिक का दान विवरण आयोग को जमा नहीं करती हैं तो ऐसे दल आरपीए की धारा 29 सी के तहत कर छूट के पात्र नहीं होंगे | यह रिपोर्ट राजनीतिक दलों को कंपनियों और उद्योगों द्वारा भारी मात्रा में दिए गये योगदान पर प्रकाश डालती है |

 

राजनीतिक दलों को विदेशी कंपनियों के योगदान को स्वीकार करने की अनुमति नहीं है | कोई भी सरकारी कम्पनी किसी भी राजनीतिक दल या व्यक्ति को किसी भी राजनीतिक उद्देश्य के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चंदा नहीं देगी | हालाँकि चुनावी बांड और इसके साथ एफसीआरए संशोधनों ने बेहिसाब राजनीतिक फंडिंग को बढ़ावा दिया है | संशोधन कम्पनी अधिनियम अब भारत में पंजीकृत किसी भी विदेशी कम्पनी को राजनीतिक दलों को बांड के माध्यम से योगदान करने की अनुमति देता है, जो इसके वित्तपोषक के स्त्रोतों के बारे में वैध संदेह को ख़ारिज करता है |

मुख्य निष्कर्ष : 04:05

एडीआर ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए राष्ट्रीय दलों को कॉर्पोरेट्स से प्राप्त दान का विश्लेषण किया है जिसके परिणामस्वरूप निम्नलिखित निष्कर्ष निकले :

  1. पांच राष्ट्रीय दलों ने रु 20,000 से अधिक के स्वैच्छिक योगदान के माध्यम से कुल रु66 करोड़ प्राप्त किये जिसमें से 93% या रु 881.26 करोड़ का दान अकेले कॉर्पोरेट्स या व्यापारिक घरानों से थे |

 

  1. वित्तीय वर्ष 2012-13 से 2018-19 के बीच, सात वर्षों में व्यापारिक घरानों के विभिन्न क्षेत्रों ने 62% या रु 2823.21 करोड़ का दान दिया जबकि ज्ञात स्त्रोतों से राजनीतिक दलों को कुल रु 3081.58 करोड़ का चंदा मिला |

 

  1. बीजेपी को कॉर्पोरेट से रु14 करोड़ का अधिकतम दान मिला जो वित्तीय वर्ष 2018-19 में पार्टी के रु 20,000 से अधिक के कुल दान का 94% है, इसके बाद कांग्रेस ने विभिन्न कॉर्पोरेट और व्यापारिक घरानों से रु 127.602 करोड़ की दान राशि घोषित की है |

 

  1. राष्ट्रीय दलों ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान सबसे अधिक रु26 करोड़, इसके बाद वित्तीय वर्ष 2014-15 में रु 573.18 करोड़ और वित्तीय वर्ष 2016-17 में रु 563.19 करोड़ का दान कॉर्पोरेट क्षेत्रो से घोषित किया है | वित्तीय वर्ष 2015-16 में कॉर्पोरेट्स से राष्ट्रीय दलों को दान कम होकर केवल रु 76.94 करोड़ हो गया |

 

  1. वित्तीय वर्ष 2012-13 और 2018-19 के बीच, बीजेपी को रु 54 करोड़ का अधिकतम कॉर्पोरेट दान मिला जो सात वर्षो में कुल कॉर्पोरेट दान का 82.16% था |

 

  1. वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट तीन राष्ट्रीय दलों बीजेपी, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का शीर्ष दान दाता था | ट्रस्ट ने एक वर्ष में कुल तीन बार दान दिया है जिसकी दानराशि रु15 करोड़ थी |

 

  1. प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट बीजेपी और कांग्रेस का दूसरा सबसे बड़ा कॉर्पोरेट दानदाता था जिसने 25 बार दान देके, कुल रु25 करोड़ का दानराशि दी है |

 

  1. कॉर्पोरेट/ व्यापारिक घरानों के योगदान को एडीआर द्वारा 15 क्षेत्रों/श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया | यह दलों द्वारा चुनाव आयोग में प्रस्तुत विवरण का हिस्सा नहीं है | इन क्षेत्रों में इलेक्टोरल ट्रस्ट, रियल एस्टेट. विनिमार्ण, ट्रस्ट, बिजली और तेल, खनन, निर्माण, निर्यात/आयात, कंपनियों के समूह और अन्य शामिल हैं |

 

  1. वित्तीय वर्ष 2018-19 में, पांच राष्ट्रीय दलों को इलेक्टोरल ट्रस्ट से अधिकतम रु65 करोड़ का दान इसके बाद विनिर्माण क्षेत्र से रु 96.88 करोड़ और खनन, निर्माण, निर्यात / आयात क्षेत्र से रु 64.61 करोड़ का दान प्राप्त हुआ है |

 

  1. बीजेपी, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस को इलेक्टोरल ट्रस्ट से अधिकतम योगदान मिला है | बीजेपी को सबसे अधिक रु785 करोड़ इसके बाद कांग्रेस को रु 98.88 करोड़ और तृणमूल कांग्रेस को रु 42.986 करोड़ का दान मिला है |
  2. एनसीपी को खनन, निर्माण और निर्यात/आयात से रु65 करोड़ का अधिकतम दान प्राप्त हुआ है |
  3. दलों ने गैर-संकलित क्षेत्रों से रु57 करोड़ का दान प्राप्त किया है, जिनका विवरण ऑनलाइन/ इंटरनेट में उपलब्ध नहीं है या उनके व्यापार की जानकारी में अस्पष्टता देखी गयी है |
  4. 204 दान के मामले में भुगतान का तरीका अधूरा या अघोषित है, जिसके माध्यम से राष्ट्रीय दलों को रु497 करोड़ की भारी राशि प्राप्त हुई है जो कॉर्पोरेट/ व्यापारिक घरानों द्वारा प्राप्त दान का 63.15% है | तृणमूल कांग्रेस ने अपने सभी कॉर्पोरेट का दान का भुगतान विवरण अधूरा या अघोषित दिया है | वित्तीय वर्ष 2016-17 और 2017-18 के लिए भी भुगतान की यही स्थिति थी |

 

  1. राष्ट्रीय दलों द्वारा घोषित दान रिपोर्ट में पैन या पता या पैन और पता दोनों के विवरण से संबंधित कोई जानकारी नहीं है | इस तरह के योगदान से दलों ने रु395 करोड़ की राशि एकत्रित की है |


महत्वपूर्ण बात : 08:31

जैसा की हम कॉर्पोरेट द्वारा राजनीतिक दलों को दान किए गए आंकड़ों के परिमाण को उजागर करते हैं, हमारे श्रोताओं को यह ध्यान रखना आवश्यक है कि इस राशि पर कोई प्रतिबंध नहीं है कि कॉर्पोरेट इकाइयाँ राजनीतिक दलों को योगदान दे सकती हैं और ना ही अपने लाभ और हानि खातों में राजनीतिक योगदान का विवरण साँझा करने कि कोई आवश्यकता है | साल 2017 में कंपनी अधिनियम 2013 कि धारा 182 में संशोधन के बाद पूर्व कि सीमा 7.5% को हटा दिया गया है |

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि व्यकितयों, कॉर्पोरेट्स और अन्य विवरणों से धन के स्त्रोतों से संबंधित जानकारी जैसे दाता का नाम, पैन नंबर, भुगतान का तरीका आदि कि जानकारी हमेशा दलों द्वारा सही ढंग से प्रस्तुत नहीं किये जाते हैं | पार्टियां नियत तारीख से पहले अपने योगदान विवरण प्रस्तुत करने में भी चूक करती हैं | अब तक, उनकी रिपोर्ट में ऐसी सूचनाओं के अधूरे/गैर-प्रकटीकरण या विवरण समय पर दाखिल करने में विफल रहती हैं तो इस तरह की गैर जिम्मेदारी के लिए दंड का कोई प्रावधान नहीं है |

 

निष्कर्ष : 09:43

अंत में, हम अपने श्रोताओं से यह समझने का अनुरोध करते हैं कि कोई भी नियामक ढांचा राजनीतिक वित्त नियमों के प्रभावी परिवर्तन कि गारंटी नहीं देता है जो कि लोकतंत्र में राजनीतिक वित्त को नियंत्रित करने वाले कानूनों को स्वयं राजनेताओं द्वारा पारित किया जाता हो | पार्टियां और अन्य हितधारकों को कानून का पालन करना चाहिए, साथ ही पार्टियों को जवाबदेह रखने के लिए सूचित नागरिक होना जरुरी है | जिस तरह से एक राजनीतिक दल धन प्राप्त करते हैं और धन का उपयोग करते हैं, वह एक लोकतान्त्रिक देश के राजनीतिक वित्त शासन कि नींव को परिभाषित करता है |

 

मुझे आशा है की आप सभी को यह एपिसोड उपयोगी और रोचक लगा होगा | यदि आप हमारे काम को पसंद करते हैं तो आप हमारी वेबसाइट www. adrindia.org पर पॉडकास्ट की सदस्यता लें और [email protected] पर अपनी प्रतिक्रिया हमें लिखना ना भूलें | हम एक और अद्भुत एपिसोड के साथ दो सप्ताह में फिर हाजिर होंगे | तब तक के लिए बने रहिये और सुनने के लिए धन्यवाद

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