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आज का एपिसोड बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में विधायकों को प्राप्त वोट शेयर में जीत का अंतर और उनकी प्रतिनिधित्वता का विश्लेषण पर केंद्रित है। हमने पहले बिहार चुनाव 2015 - करोड़पति उम्मीदवारों और आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों की जीतने की संभावना का विश्लेषण पर हमारे पांचवें एपिसोड में चर्चा की थी। बिहार विधानसभा चुनाव भारत का पहला ऐसा चुनाव था जहाँ राजनीतिक दलों को आपराधिक पृष्टभूमि वाले उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के लिए कई कारण प्रस्तुत करने पड़े। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में विधायकों को प्राप्त वोट शेयर में जीत का अंतर और उनकी प्रतिनिधित्वता का विश्लेषण पर एडीआर की रिपोर्ट में कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है, जो राजनीतिक प्रणाली में आपराधिकता पर सर्वोच्च न्यायालय के नवीनतम निर्देशों के संबंध में आगे विचार करने की गुंजाइश देता है।

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प्रस्तावना:-

सभी को नमस्कार, मेरा नाम नैन्सी श्रीवास्तव है, और मैं एडीआर में एक प्रोग्राम एग्जीक्यूटिव हूँ। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में विधायकों को प्राप्त वोट शेयर में जीत का अंतर और उनकी प्रतिनिधित्वता का विश्लेषण पर हमारे नए पॉडकास्ट में आपका स्वागत है।

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       विषय का अवलोकन और प्रासंगिकता:-

नवंबर का महीना बिहार के लिए अंतिम चुनाव परिणाम के रूप में देखा गया, क्योंकि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने 243 सदस्यीय राज्य विधानसभा में 125 सीटों के साथ लगातार चौथी बार विजेता पार्टी के रूप में अपना स्थान हासिल किया। व्यक्तिगत पार्टी के स्तर पर, BJP ने 74 सीटें जीती, JD(U) ने 43 सीटें, RJD ने 75 सीटें, INC ने 19 सीटें, AIMIM ने 5 सीटें और LJP ने 1 सीट जीती। जनसांख्यिकीय भागीदारी के संदर्भ में, महिला मतदाताओं ने पुरुष मतदाताओं की तुलना में अधिक भागीदारी दिखाई, कुल मतदाताओं में से 59.7 प्रतिशत महिलाएं और 54.6 प्रतिशत पुरुष थे। मतदाता सूची में थर्ड जेंडर के वोटों में भी गिरावट देखी गई जो इस बार बिहार चुनाव में विचार के योग्य थे। कुल मिलाकर, 15 लाख से अधिक नए मतदाता थे जिन्हें राज्य के राजनीतिक वातावरण को तय करने का अवसर मिला।

हमने पहले बिहार चुनाव 2015 - करोड़पति उम्मीदवारों और आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों की जीतने की संभावना का विश्लेषण पर हमारे पांचवें एपिसोड में चर्चा की थी। बिहार विधानसभा चुनाव भारत का पहला ऐसा चुनाव था जहाँ राजनीतिक दलों को आपराधिक पृष्टभूमि वाले उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के लिए कई कारण प्रस्तुत करने पड़े। इस चुनाव में चल रहे कोविड-19 महामारी के जवाब में 80 वर्ष से अधिक आयु के मतदाताओं के लिए डाक मतपत्रों की प्रयोज्यता भी देखी गई।

इस प्रकार, चुनाव की प्रकृति और राजनीतिक प्रतिनिधित्व की गुणवत्ता पर नई चुनावी नीतियों के प्रभाव को समझना अनिवार्य है। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में विधायकों को प्राप्त वोट शेयर में जीत का अंतर और उनकी प्रतिनिधित्वता का विश्लेषण पर एडीआर की रिपोर्ट में कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है, जो राजनीतिक प्रणाली में आपराधिकता पर सर्वोच्च न्यायालय के नवीनतम निर्देशों के संबंध में आगे विचार करने की गुंजाइश देता है।

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 मुख्य निष्कर्ष:-

रिपोर्ट में उजागर निष्कर्ष निम्नलिखित मामलों को इंगित करते हैं-

  1. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में विधायकों ने कुल मतदान के 43 प्रतिशत की औसत से जीत हासिल की। जबकि 2015 चुनाव में विधायकों ने कुल मतदान के 44 प्रतिशत की औसत से जीत हासिल की थी।
  2. 38 (16 प्रतिशत) विधायकों ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में मतदान किए गए कुल वोटों में से 50 प्रतिशत और इससे अधिक वोटों से जीत हासिल की और 205 (84 प्रतिशत) विधायकों ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में मतदान किए गए कुल वोटों में से 50 प्रतिशत से कम वोटों से जीत हासिल की।
  3. 165 में से 31 (19 प्रतिशत) आपराधिक मामले घोषित करने वाले विधायकों ने 50 प्रतिशत और इससे अधिक वोट शेयर के साथ जीत हासिल की हैं और 196 में से 32 (16 प्रतिशत) करोड़पति विधायकों ने 50 प्रतिशत और इससे अधिक वोट शेयर के साथ जीत हासिल की हैं।
  4. विजेताओं के प्रतिनिधित्व के संबंध में, सभी विधायकों ने कुल पंजीकृत मतदाताओं के23 प्रतिशत की औसत से जीत हासिल की। इसका तात्पर्य यह है कि विधायक कुल मतदाताओं के 25.23 प्रतिशत औसत का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  5. मुख्य राजनीतिक दलों में, RJD के 75 में से 41 (55 प्रतिशत) विधायकों ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में कुल पंजीकृत मतदाताओं के 25 प्रतिशत से कम वोटों से जीत हासिल की। BJP के 74 में से 18 (24 प्रतिशत) विधायकों, JD(U) के 43 में से 26 (60 प्रतिशत) विधायकों, INC के 19 में से 12 (63 प्रतिशत) विधायकों और CPI(ML)(L) के 12 में से 3 (25 प्रतिशत) विधायकों ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में कुल पंजीकृत मतदाताओं के 25 प्रतिशत से कम वोटों से जीत हासिल की।
  6. 3 विधायकों ने 200 से कम मतों के अंतर से जीत हासिल की और 2 विधायकों ने 30 प्रतिशत से अधिक अंतर के साथ जीत हासिल की हैं।
  7. समान रूप से महत्वपूर्ण यह है कि 165 में से 58 आपराधिक मामले घोषित करने वाले विधायकों ने साफ छवि वाले उपविजेताओं के विरुद्ध जीत हासिल की हैं। इन 58 में से 8 विधायकों ने 20 प्रतिशत से अधिक अंतर से जीत हासिल की हैं।
  8. इसी तरह, 196 में से 42 करोड़पति विधायकों ने गैर-करोड़पति उपविजेताओं के विरुद्ध जीत हासिल की और इन 42 में से 5 विधायकों ने 20 प्रतिशत से अधिक अंतर से जीत हासिल की हैं।
  9. महिला विधायकों के संबंध में, 243 विधायकों में से 26 महिला थी, और उन सभी महिला विधायकों ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में 27 प्रतिशत और इससे अधिक वोट शेयर के साथ जीत हासिल की।
  10. पुनः निर्वाचित 96 विधायकों में से कोई भी अपने निर्वाचन क्षेत्र में 30 प्रतिशत से कम वोट शेयर के साथ नहीं जीता था। 12 (13 प्रतिशत) विधायकों ने 50 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर के साथ जीत हासिल की हैं। 23 (24 प्रतिशत) पुनः निर्वाचित विधायकों ने 5 प्रतिशत से कम अंतर से जीत हासिल की और 5 विधायकों ने 25 प्रतिशत से अधिक अंतर से जीत हासिल की हैं।
  11. अंतत: चुनाव में 4,21,37,619 वोटों में से 7,06,252 (1.68 प्रतिशत) वोट नोटा को मिले थे।

(09:11)

निष्कर्ष:-

जैसा कि आमतौर पर भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में देखा जाता है, परिवर्तन को प्रभावी होने में समय लगता है; हालिया बिहार विधानसभा चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले और करोड़पति होने वाले विधायकों का एक महत्वपूर्ण प्रतिशत चुनावी प्रक्रियाओं में धनबली और बाहुबली की शक्ति के निरंतर प्रसार को इंगित करता है। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय की आपराधिकता की भूमिका को सीमित करने का प्रयास एक बहुत आवश्यक पहल है, यह एक मजबूत रचनातंत्र द्वारा समर्थित होना चाहिए जो राजनीतिक दलों द्वारा गैर-अनुपालन को हतोत्साहित करता है। मतदाता या उम्मीदवार/विधायकों के रूप में महिला भागीदारी को बेहतर बनाने के लिए कड़े कदमों को भी लागू किया जाना चाहिए।

(10:23)

इसके साथ, हम अपने पॉडकास्ट के अंत में आते हैं। यदि आप इस मामले में एडीआर के योगदान के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो आप हमारी वेबसाइट adrindia.org पर पॉडकास्ट कि सदस्यता लें: और [email protected] पर अपनी प्रतिक्रिया हमें लिखना ना भूलें, हम एक और अदभुत एपिसोड के साथ दो सप्ताह में फिर से हाज़िर होंगे। तब तक के लिए बने रहिये और सुनने के लिए धन्यवाद।

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