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इस एपिसोड में हम पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों द्वारा वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के दौरान प्रस्तुत योगदान रिपोर्ट और दलों को प्राप्त दान की स्थिति को देखते हैं| यह एपिसोड 138 गैर मान्यता प्राप्त दलों के योगदान रिपोर्ट का विश्लेषण करता है, जिनके दान विवरण वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिए सार्वजनिक तौर पर,रिपोर्ट तैयार करते समय दोनों योगदान विवरण उपलब्ध थे | कुल 2301 गैर मान्यता प्राप्त दलों में से केवल 22 दलों (0.96%) ने ही अपना योगदान रिपोर्ट वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिए संबंधित सीईओ कार्यालय में प्रस्तुत किया था | यह भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी किये गए पारदर्शिता दिशा निर्देशों का उल्लंघन है |

शुरुवाती टिप्पणियां (00:20)

दिनांक 15 मार्च, 2019 को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी नवीनतम राजपत्र अधिसूचना के अनुसार, आयोग के पास कुल 2360 राजनीतिक दल पंजीकृत थे इसमें से 2301 या 97.50% पंजीकृत राजनीतिक दल अमान्य हैं | ये दल या तो नए पंजीकृत दल हैं या इन दलों ने राज्य विधान सभा या लोक सभा चुनावों में पर्याप्त प्रतिशत वोट हासिल नहीं किया है या इन दलों ने पंजीकृत होने के बाद कभी चुनाव नहीं लड़ा है, इस तरह के दलों को गैर मान्यता प्राप्त दल माना जाता है |

                                                               

एडीआर स्पीक्स के एक और एपिसोड में आपका स्वागत है | मेरा नाम भावना है और मैं एडीआर में एक प्रोग्राम एग्जीक्यूटिव हूँ |

प्रस्तावना (01:03)

यह एपिसोड एडीआर द्वार शुरू की गई पॉडकास्ट श्रृंखला का सोलहवां एपिसोड है, इस एपिसोड में हम पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों द्वारा वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के दौरान प्रस्तुत योगदान रिपोर्ट और दलों को प्राप्त दान की स्थिति को देखते हैं| यह एपिसोड 138 गैर मान्यता प्राप्त दलों के योगदान रिपोर्ट का विश्लेषण करता है, जिनके दान विवरण वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिए सार्वजनिक तौर पर, रिपोर्ट तैयार करते समय दोनों योगदान विवरण उपलब्ध थे |

 

पृष्ठभूमि (01:39)

भारत के चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों के लिए पारदर्शिता दिशा-निर्देश जारी किए जो दिनांक 1 अक्टूबर 2014 से लागू थे | इन दिशानिर्देशों के अनुसार, सभी गैर-मान्यता प्राप्त दलों को संबंधित राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारियों के कार्यालय में अपना रिपोर्ट प्रस्तुत करना आवश्यक है | राज्य स्तरीय गैर- मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से रिपोर्ट प्राप्त होने पर, वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट, योगदान रिपोर्ट और चुनाव खर्च के विवरण कि स्कैन प्रतियां सबंधित राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों के वेबसाइटों पर अपलोड किए जायँगे, जो तीन दिनों के अंतराल के बाद वही विवरण जनता के लिए सार्वजनिक तौर पर देखने के लिए उपलब्ध होंगे |

हालाँकि एडीआर के नवीनतम दान रिपोर्ट के विश्लेषण में देखा गया है की कुल 2301 पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों में से, वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए केवल 78 दलों (3.39%) और वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए 82 दलों (3.56%) का ही वार्षिक दान रिपोर्ट सार्वजनिक तौर में उपलब्ध है |

यह भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी किये गए पारदर्शिता दिशा निर्देशों का उल्लंघन है |

 

 

 

मुख्य निष्कर्ष (02:58)

एडीआर ने वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिए पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों द्वारा घोषित दान का विश्लेषण किया है जिसके परिणामस्वरूप निम्नलिखित निष्कर्ष निकले |

  1. दो वित्तीय वर्षों के लिए राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारियों (सीईओ) के वेबसाइट पर केवल 0.96% पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों का ही दान उपलब्ध है, इनमें से केवल 22 दलों ने ही दोनों वर्षों का दान रिपोर्ट जमा किया है |
  2. वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान, कुल पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों में से केवल 39 दलों (1.69%) ने ही अपना दान रिपोर्ट निर्धारित तारीख से पहले प्रस्तुत की थी जबकि वित्तीय वर्ष 2018-19 में केवल 38 दलों (1.65%) ने ही अपना दान रिपोर्ट समय सीमा के अंतर्गत जमा किया था |
  3. वित्तीय वर्ष 2017-18 में, 41 पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों के दान रिपोर्ट निर्धारित समय सीमा के बाद उपलब्ध हुए | इन दलों ने अपना विवरण एक दिन से लेकर 514 दिनों तक की देरी के बाद जमा किए थे | वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान, 40 दलों ने अपने दान रिपोर्ट अधिकतम 393 दिनों के बाद मुख्य चुनाव अधिकारियों के कार्यालय में जमा किया था |
  1. पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान 6860 दानों से रु45 करोड़ और वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए 6138 दानों से रु 24.60 करोड़ की कुल दानराशि घोषित की थी | दो वित्तीय वर्षों में दलों ने कुल मिलाकर 12998 दानों से रु 90.05 करोड़ की दानराशि घोषित की थी |
  2. 15 मार्च 2019 के अनुसार पंजीकृत 2301 गैर मान्यता प्राप्त दलों में से, 653 दल (28.38%) उत्तर प्रदेश से हैं इसके बाद दिल्ली से 291 दल (12.65%) और तमिलनाडु से 184 दल (8%) हैं |
  3. वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए, उत्तर प्रदेश की कुल पंजीकृत 653 गैर मान्यता प्राप्त दलों में से केवल 06% यानिकि 20 दलों का योगदान रिपोर्ट सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्ध है | वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान 1.68% यानिकि 11 दलों का दान रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के सीईओ की वेबसाइट पर उपलब्ध है |
  4. दिल्ली के मामले में, वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए 18 पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों (6.19%) का ही दान रिपोर्ट दिल्ली राज्य सीईओ की वेबसाइट पर उपलब्ध है जबकि वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए राज्य की सीईओ वेबसाइट पर एक दल का भी दान रिपोर्ट अपलोड नहीं किया गया है | एडीआर की पहली जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए दिल्ली के सभी पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों का ऑडिट रिपोर्ट का विवरण भी सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्ध नहीं था |
  5. वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के दौरान पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों ने 761 कॉर्पोरेट/व्यापारिक क्षेत्रों से रु476 करोड़ (कुल दान का 16.076%) की दानराशि प्राप्त की है जबकि 11997 व्यक्तिगत दानदाताओं से दलों ने रु 73.57 करोड़ (कुल दान का 81.699%) की राशि घोषित किया है |
  6. यहाँ पर ध्यान दिया जाना चाहिए की दलों ने 10462 दान दाताओं का अपूर्ण चेक/डीडी का विवरण दिया है, जिससे दलों ने 19% यानिकि रु 76.715 करोड़ की धनराशि अर्जित की है, जबकि दलों ने 130 दान दाताओं से रु 30 लाख का दान बिना मोड ऑफ़ पेमेंट्स के घोषित किया है जो कुल राशि का 0.333% है |
  7. पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों द्वारा घोषित 12,998 दान दाताओं (रु05 करोड़) में से दलों ने 1528 दानों का पैन विवरण घोषित नहीं किया है जिससे दलों ने रु 5.47 करोड़ की राशि प्राप्त की है |
  8. गैर मान्यता प्राप्त दलों को गुजरात राज्य से सबसे अधिक रु206 करोड़ की दानराशि 3511 दान दाताओं से प्राप्त हुआ है, इसके बाद महाराष्ट्र से 6526 दान दाताओं से रु 12.239 करोड़ और उत्तर प्रदेश राज्य से रु 3.294 करोड़ की दानराशि 179 दानों से मिले हैं |

 

कुल 2301 पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों में से वर्तमान में राज्य विधान सभा और लोक सभा में लगभग 30 दलों ने सीटें जीती हैं | इन 30 दलों में से केवल तीन दलों का ही दान रिपोर्ट का विवरण वित्तीय वर्ष 2017-18 और वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए उपलब्ध है |

 

महत्वपूर्ण बात और निष्कर्ष (08:27)

पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के विवरणों और एकाउंटिंग ढांचे (राजनीतिक फंडिंग) का सख्त पालन बहुत कम या ना के बराबर होता है, इन दलों के आय और व्यय की जानकारी राज्य के सीईओ वेबसाइट पर अधिकतर अपर्याप्त होता है | यह बहुत चिंताजनक बात है की पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की संख्या में पिछले दस वर्षों में दो गुना वृद्धि हुई है | इन दलों कि संख्या वर्ष 2010 में 1112 थी जो वर्ष 2019 में बढ़कर 2301 हो गई | यहाँ पर ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आम चुनावों के वर्ष के दौरान ऐसी पार्टियों कि संख्या में अत्यधिक बढ़ोतरी देखी गई है |

अपने पहले के एक एपिसोड में हमने यह भी सुना है कि 43 पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों ने सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग को चुनावी बांड का विवरण प्रस्तुत किया था | चुनावी बांड योजना, 2018 में वर्णित पात्रता मानदंड के अनुसार, जिन दलों के वोट शेयर विवरण उपलब्ध थे उनमें से केवल एक ही पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दल चुनावी बांड प्राप्त करने के योग्य पाया गया |

यह आवश्यक है कि भारत के चुनाव आयोग और संबंधित राज्य के मुख्य कार्यकारी अधिकारीयों को अपने वेबसाइटों पर गैर मान्यता प्राप्त दलों की वार्षिक रिपोर्ट उपलब्ध करने में पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए और जो दल नियम का पालन नहीं करते हैं उनके खिलाफ कार्रवाई हो | इस तरह की जानकारी राज्य के मुख्य कार्यकारी अधिकारीयों और चुनाव आयोग की वेबसइटों के माध्यम से जनता के लिए उपलब्ध होनी चाहिए | छत्तीसगढ़, झारखण्ड, दिल्ली और गुजरात के अलावा कोई भी राज्य के सीईओ कार्यालय ने दलों के दान रिपोर्ट की प्रस्तुतिकरण की स्थिति का विवरण नहीं किया | मनी लॉन्ड्रिंग, भ्र्ष्ट चुनावी प्रथाओं और धन बल के दुरूपयोग से बचने के लिए राजनीतिक दलों के पंजीकरण का विनियमन महत्वपूर्ण है | गैर मान्यता प्राप्त दलों के आयकर विवरण की जाँच होनी चाहिए, खासकर उन दलों का जो चुनाव नहीं लड़ते हैं लेकिन स्वैच्छिक योगदान की घोषणा करते हैं |

मुझे आशा है की आप सभी को यह एपिसोड उपयोगी और रोचक लगा होगा | यदि आप हमारे काम को पसंद करते हैं तो आप हमारी वेबसाइट www. adrindia.org पर पॉडकास्ट की सदस्यता लें और [email protected] पर अपनी प्रतिक्रिया हमें लिखना ना भूलें | हम एक और अद्भुत एपिसोड के साथ दो सप्ताह में फिर हाजिर होंगे | तब तक के लिए बने रहिये और सुनने के लिए धन्यवाद

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