हालांकि राज्य में निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा किए गए चुनावी वादों के प्रति राजनीतिक दृढ़ता और प्रतिबद्धता अभी तक देखी जाना बाकि है। यह पॉडकास्ट पश्चिम बंगाल में 2004 से उम्मीदवारों और सांसदों/विधायकों के आपराधिक और वित्तीय विवरणों का विस्तृत विश्लेषण विभिन्न पहलुओं पर पूरी जानकारी प्रदान करता है। नोट: आप हमें अपनी प्रतिक्रिया, टिप्पणी और सुझाव [email protected] पर भेज सकते हैं।
प्रस्तावना:-00:09
सभी को नमस्कार, मेरा नाम अशोक बिष्ट है, और मैं एडीआर में एक प्रोग्राम एग्जीक्यूटिव हूँ। हमारी पॉडकास्ट श्रृंखला के एक नए एपिसोड में आपका स्वागत है। यह एपिसोड पश्चिम बंगाल में 2004 से उम्मीदवारों और सांसदों/विधायकों के आपराधिक और वित्तीय विवरणों के आधार पर विश्लेषण पर है।
अवलोकन और विषय की प्रासंगिकता:-00:27
मार्च के पहले सप्ताह में, भारत के चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल राज्य विधानसभा चुनाव के लिए आठ-चरणीय कार्यक्रम की घोषणा की है। जैसा कि द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा बताया गया है, कि यह लंबे समय तक चुनावी कार्यक्रम न केवल कोविड-19 को बढ़ावा देगा, बल्कि लोगों द्वारा मनाए जा रहे विभिन्न उत्सवों की प्रतिक्रिया के साथ-साथ सुरक्षा बलों की गतिविधियों के लिए एक आघात के रूप में भी काम करेगा। जबकि भारतीय चुनाव आयोग के फैसले को BJP ने एक आवश्यक उपाय के रूप में स्वीकार किया है, तृणमूल कांग्रेस का मानना है कि यह पूर्व चुनाव रणनीति के साथ सही तरीके से होना चाहिए।
इस चुनाव में, कुछ नए उम्मीदवारों को भी मौका मिला हैं; उदाहरण के लिए, Communist Party of India (Marxist), के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे ने युवा उम्मीदवारों का आगे बढ़कर स्वागत किया है। 40 वर्ष से कम आयु वाले उम्मदीवारों की सूची में बहुमत के साथ, वामपंथियों का ध्यान रोजगार सृजन, बेहतर जीवन स्तर और पलायन के मुद्दे पर रहा है।
हालांकि राज्य में निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा किए गए चुनावी वादों के प्रति राजनीतिक दृढ़ता और प्रतिबद्धता अभी तक देखी जाना बाकि है। यह पॉडकास्ट पश्चिम बंगाल में 2004 से उम्मीदवारों और सांसदों/विधायकों के आपराधिक और वित्तीय विवरणों का विस्तृत विश्लेषण नेतृत्व पहलुओं पर पूरी जानकारी प्रदान करता है।
मुख्य निष्कर्ष:-02:01
एडीआर की रिपोर्ट के निष्कर्ष 2006, 2011 और 2016 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों और 2004, 2009, 2014 और 2019 पश्चिम बंगाल लोक सभा चुनावों और उपचुनावों से पहले उम्मीदवारों द्वारा प्रस्तुत शपथपत्रों पर आधारित हैं।
पश्चिम बंगाल में 2004 से संसदीय और राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने वाले 6163 उम्मीदवारों और संसदीय और राज्य विधानसभा चुनाव में सीट जीतने वाले 1081 सांसदों/विधायकों का विश्लेषण निम्नलिखित मामलों का खुलासा करते हैं-
- विश्लेषण किए गए 6163 में से 1121 (18 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये हैं और 6163 में से 833 (14 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये हैं; और 2004 से विश्लेषण किए गए 1081 में से 310 (29 प्रतिशत) सांसदों/विधायकों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये हैं और 238 (22 प्रतिशत) सांसदों/विधायकों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये हैं।
- 2004 से विश्लेषण किए गए सभी 6163 उम्मीदवारों की औसतन संपत्ति ₹ 1.16 करोड़ हैं; और सभी 1081 सांसदों/विधायकों की औसतन संपत्ति ₹ 1.04 करोड़ हैं।
- 2004 से विश्लेषण किए गए आपराधिक मामले घोषित करने वाले 310 सांसदों/विधायकों की औसतन संपत्ति ₹ 89.86 लाख और गंभीर आपराधिक मामले घोषित करने वाले 238 सांसदों/विधायकों की औसतन संपत्ति ₹ 88.95 लाख है।
- 2004 से BJP से चुनाव लड़ने वाले 774 में से 180 (23 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये है। INC के 393 में से 138 (35 प्रतिशत), AITC के 882 में से 276 (31 प्रतिशत), CPI(M) के 716 में से 156 (22 प्रतिशत), BSP के 458 में से 19 (4 प्रतिशत), CPI के 54 में से 8 (15 प्रतिशत) और 1252 में से 146 (12 प्रतिशत) निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये हैं।
- 2004 से BJP से चुनाव लड़ने वाले 774 में से 132 (17 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये है। INC के 393 में से 94 (24 प्रतिशत), AITC के 882 में से 202 (23 प्रतिशत), CPI(M) के 716 में से 112 (16 प्रतिशत), BSP के 458 में से 14 (3 प्रतिशत), CPI के 54 में से 5 (9 प्रतिशत) और 1252 में से 119 (10 प्रतिशत) निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये हैं।
- 2004 से BJP से निर्वाचित होने वाले 29 में से 17 (59 प्रतिशत) सांसदों/विधायकों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये है। INC के 127 में से 55 (43 प्रतिशत), AITC के 530 में से 171 (32 प्रतिशत), CPI(M) के 274 में से 41 (15 प्रतिशत) और 10 में से 6 (60 प्रतिशत) निर्दलीय सांसदों/विधायकों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये हैं।
- 2004 से BJP से निर्वाचित होने वाले 29 में से 14 (48 प्रतिशत) सांसदों/विधायकों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये है। INC के 127 में से 40 (31 प्रतिशत), AITC के 530 में से 131 (25 प्रतिशत), CPI(M) के 274 में से 32 (12 प्रतिशत) और 10 में से 6 (60 प्रतिशत) निर्दलीय सांसदों/विधायकों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये हैं।
- 2004 से INC के 393 उम्मीदवारों की औसतन संपत्ति ₹ 1.13 करोड़ हैं, जबकि BJP के 774 उम्मीदवारों की औसतन संपत्ति ₹ 64.36 लाख, AITC के 882 उम्मीदवारों की औसतन संपत्ति ₹ 1.30 करोड़, CPI(M) के 716 उम्मीदवारों की औसतन संपत्ति ₹ 35.46 लाख और निर्दलीय के 1252 उम्मीदवारों की औसतन संपत्ति ₹ 3.40 करोड़ हैं।
- 2004 से INC के 127 सांसदों/विधायकों की औसतन संपत्ति ₹ 1.18 करोड़ हैं, जबकि BJP के 29 सांसदों/विधायकों की औसतन संपत्ति ₹ 2.27 करोड़, AITC के 530 सांसदों/विधायकों की औसतन संपत्ति ₹ 1.55 करोड़, CPI(M) के 274 सांसदों/विधायकों की औसतन संपत्ति ₹ 22.37 लाख और निर्दलीय के 10 सांसदों/विधायकों की औसतन संपत्ति ₹ 21.67 लाख हैं।
विशेष रूप से,: 06:39
- 2004 से विश्लेषण किए गए 6163 में से 5042 उम्मीदवारों ने कोई भी आपराधिक मामले घोषित नहीं किए हैं, जबकि 1121 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
- 2004 से विश्लेषण किए गए 1081 में से 771 सांसदों/विधायकों ने कोई भी आपराधिक मामले घोषित नहीं किए हैं, जबकि 310 सांसदों/विधायकों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
- साफ छवि के साथ चुनाव जीतने की केवल 15 प्रतिशत संभावना है।
- आपराधिक मामलों के साथ चुनाव जीतने की 28 प्रतिशत संभावना है।
इसके अतिरिक्त,: 07:17
- 2004 से चुनाव लड़ने वाले 6163 में से 3210 (52 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षिक योग्यता स्नातक और इससे ज़्यादा घोषित की हैं। स्नातक और इससे ज़्यादा शैक्षिक योग्यता वाले 579 (18 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। स्नातक और इससे ज़्यादा शैक्षिक योग्यता वाले 399 (12 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये हैं।
- 2004 से चुनाव लड़ने वाले 6163 में से 2953 (48 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षिक योग्यता 12वीं और इससे कम घोषित की हैं। 12वीं और इससे कम शैक्षिक योग्यता वाले 542 (18 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। 434 (15 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये हैं।
- स्नातक और इससे ज़्यादा शैक्षिक योग्यता वाले 741 में से 173 (23 प्रतिशत) सांसदों/विधायकों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये और 120 (16 प्रतिशत) ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये हैं।
- 12वीं और इससे कम शैक्षिक योग्यता वाले 340 में से 137 (40 प्रतिशत) सांसदों/विधायकों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये और 118 (35 प्रतिशत) ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये हैं।
यह भी पाया गया है कि,: 09:04
- 2004 से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार जिन्होंने अपनी शैक्षिक योग्यता स्नातक और इससे ज़्यादा घोषित की उनकी औसतन संपत्ति ₹ 66.75 लाख हैं और जिन्होंने अपनी शैक्षिक योग्यता 12वीं और इससे कम घोषित की उनकी औसतन संपत्ति ₹ 1.70 करोड़ हैं।
- 2004 से विश्लेषण किए गए सांसद/विधायक जिन्होंने अपनी शैक्षिक योग्यता स्नातक और इससे ज़्यादा घोषित की उनकी औसतन संपत्ति ₹ 1.10 करोड़ हैं और जिन्होंने अपनी शैक्षिक योग्यता 12वीं और इससे कम घोषित की उनकी औसतन संपत्ति ₹ 93.69 लाख हैं।
अंत में, लिंग पर आधारित विश्लेषण,: 09:48
- 2004 से चुनाव लड़ने वाले 6163 उम्मीदवारों में से केवल 623 (10 प्रतिशत) महिला उम्मीदवार हैं।
- 2004 से चुनाव लड़ने वाली 623 में से 72 (12 प्रतिशत) महिला उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए है और 44 (7 प्रतिशत) ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। 5540 में से 1049 (19 प्रतिशत) पुरूष उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए है और 789 (14 प्रतिशत) ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
- 2004 से चुनाव जीतने वाली 152 में से 26 (17 प्रतिशत) महिला सांसदों/विधायकों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए है और 13 (9 प्रतिशत) ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। 929 में से 284 (31 प्रतिशत) पुरूष सांसदों/विधायकों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए है और 225 (24 प्रतिशत) ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
- 2004 से चुनाव लड़ने वाले पुरूष उम्मीदवारों की औसतन संपत्ति ₹ 49.95 लाख और महिला उम्मीदवारों की औसतन संपत्ति ₹ 7.05 करोड़ हैं।
- 2004 से पुरूष सांसदों/विधायकों की औसतन संपत्ति ₹ 1.05 करोड़ और महिला सांसदों/विधायकों की औसतन संपत्ति ₹ 99.71 लाख हैं।
निष्कर्ष:-11:27
उपरोक्त से स्पष्ट है कि पश्चिम बंगाल राज्य की राजनीति में धनबल और बाहुबल का मुद्दा कई सालों से छाया हुआ है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2019 के आंकड़ों के अनुसार राजनीतिक हत्याओं के लिए पश्चिम बंगाल देश के समस्त राज्यों की सूची में सबसे ऊपर है। जैसा कि इंडिया टुडे ने कहा है, "1960 और 70 के दशक के दौरान, कांग्रेस, वाम और नक्सलियों के बीच (हिंसा के माध्यम से प्रकट) तीन-तरफ़ा लड़ाई थी। सदी के अंत तक, यह CPI(M) और Trinamool Congress के बीच था। पिछले कुछ वर्षों में, यह Trinamool और BJP के बीच रहा है।
इसी के साथ, हम अपने पॉडकास्ट के अंत में आते हैं। यदि आप इस मामले में एडीआर के योगदान के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो आप हमारी वेबसाइट www.adrindia.org पर पॉडकास्ट कि सदस्यता लें: और [email protected] पर अपनी प्रतिक्रिया हमें लिखना ना भूलें, हम एक और अदभुत एपिसोड के साथ दो सप्ताह में फिर से हाज़िर होंगे।
तब तक के लिए बने रहिये और सुनने के लिए धन्यवाद।
*****************