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जैसा कि आप इस पॉडकास्ट के भाग 1 से याद कर सकते हैं, 13 फरवरी, 2020 को सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीतिक दलों को निर्देश दिया था कि वे अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित अपनी वेबसाइट पर 72 घंटों के भीतर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के चयन करने के कारणों को सूचीबद्ध करें और कारण बताएं की साफ छवि वाले अन्य व्यक्तियों को उम्मीदवारों के रूप में क्यों नहीं चुना जा सकता है। यह निर्देश 10 अगस्त, 2021 को संशोधित किया गया था। वर्तमान विनियमन के साथ ये विवरण उम्मीदवार के चयन के 48 घंटे के भीतर नामांकन दाखिल करने की पहली तारीख से कम से कम दो सप्ताह पहले प्रकाशित किए जाएंगे।

प्रस्तावना:- 00:09

सभी को नमस्कार, मेरा नाम सचिन कुमार है, और मैं एडीआर में एक सीनियर प्रोग्राम एग्जीक्यूटिव हूँ। इस पॉडकास्ट में हम राजनीतिक दलों द्वारा आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों के चयन के लिए दिए गए कारणों के प्रकाशन (प्रारूप C7) - के एडीआर के निष्कर्षों और विश्लेषण पर चर्चा करेंगे। भाग 2, उसी के भाग 1 को हमारी आधिकारिक वेबसाइट पर देखा जा सकता है।

जैसा कि आप इस पॉडकास्ट के भाग 1 से याद कर सकते हैं, 13 फरवरी, 2020 को सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीतिक दलों को निर्देश दिया था कि वे अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित अपनी वेबसाइट पर 72 घंटों के भीतर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के चयन करने के कारणों को सूचीबद्ध करें और कारण बताएं की साफ छवि वाले अन्य व्यक्तियों को उम्मीदवारों के रूप में क्यों नहीं चुना जा सकता है। यह निर्देश 10 अगस्त, 2021 को संशोधित किया गया था। वर्तमान विनियमन के साथ ये विवरण उम्मीदवार के चयन के 48 घंटे के भीतर नामांकन दाखिल करने की पहली तारीख से कम से कम दो सप्ताह पहले प्रकाशित किए जाएंगे।

 

तो आइए नजर डालते है कुछ प्रमुख निष्कर्षों पर:- 01:15

असम राज्य विधानसभा चुनावों में, एडीआर द्वारा 17 राजनीतिक दलों का विश्लेषण किया गया था। विश्लेषण किए गए 489 चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों में से 92 (19 प्रतिशत) राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये है और 74 (15 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये है।

  • आपराधिक मामलों वाले 92 में से 53 (58 प्रतिशत) उम्मीदवारों के लिए कारण प्रस्तुत किए गए हैं।
  • गंभीर आपराधिक मामलों वाले 74 में से 44 (59 प्रतिशत) उम्मीदवारों के लिए कारण प्रस्तुत किए गए हैं।
  • आपराधिक मामलों वाले 39 (42 प्रतिशत) उम्मीदवारों के लिए, राजनीतिक दलों द्वारा उनके चयन का कोई कारण नहीं बताया गया हैं।

 

असम चुनाव लड़ने वाले राजनीतिक दलों द्वारा बताए गए 5 सबसे सामान्य कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं-

  • 'आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार के चयन के कारण' अनुभाग के लिए, ऐसे बयान दिए गए है जैसे चयनित उम्मीदवार बहुत मेहनती है और अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास और उक्त निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के कारणों के लिए काम करता है; उम्मीदवार एक जमीनी कार्यकर्ता और पार्टी का एक अच्छा आयोजक है; उम्मीदवार को अभी तक दोषी नहीं ठहराया गया है; उम्मीदवार लोगों के लिए समाज सेवा में लगा हुआ है; और उम्मीदवार को निर्वाचन क्षेत्र की अच्छी समझ थी।
  • 'आपराधिक छवि के बिना अन्य व्यक्तियों को उम्मीदवारों के रूप में क्यों नहीं चुना जा सकता के कारण' अनुभाग के लिए, ऐसे बयान दिए गए है जैसे ऐसे किसी अन्य कुशल व्यक्ति ने पार्टी के मानदंडों के अनुसार पार्टी के समक्ष आवेदन नहीं किया है; कोई भी बिना सामाजिक पृष्ठभूमि वाला नहीं है; पार्टी एक ऐसे उम्मीदवार को मैदान में उतारने में दृढ़ता से विश्वास करती है जो निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की आकांक्षाओं का सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व कर सकता है; और उम्मीदवार एक ईमानदार व्यक्ति है जिसे पार्टी ने 2021 के विधानसभा चुनाव में नामांकित होने के लिए उपयुक्त पाया है।

 

एडीआर द्वारा विश्लेषण किए गए सभी राजनीतिक दलों और आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों में से, AGP ने 4 में से 4 (100 प्रतिशत) उम्मीदवारों के लिए कारण नहीं बताए, AIFB ने भी इसी तरह 1 में से 1 (100 प्रतिशत) उम्मीदवारों के लिए कारण प्रस्तुत नहीं किए, AIUDF ने 11 में से 5 (45 प्रतिशत) उम्मीदवारों, AIMF ने 1 में से 1 (100 प्रतिशत) उम्मीदवारों, AJP ने 12 में से 2 (17 प्रतिशत) उम्मीदवारों, Bhartiya Gana Parishad ने 1 में से 1 (100 प्रतिशत) उम्मीदवारों, Bodoland People's Front ने 2 में से 2 (100 प्रतिशत) उम्मीदवारों, INC ने 29 में से 13 (45 प्रतिशत) उम्मीदवारों, JD(U) ने 2 में से 2 (100 प्रतिशत) उम्मीदवारों, National People's Party, NCP, RPI(A), Voter's Party International, The National Road Map Party of India और SUCI(C) ने अपने प्रत्येक उम्मीदवारों के लिए कारण प्रस्तुत नहीं किए और United People's Party (L) ने 2 में से 1 (45 प्रतिशत) उम्मीदवारों के लिए कारण प्रस्तुत नहीं किए।

 

पुडुचेरी राज्य विधानसभा चुनावों में, एडीआर द्वारा 12 राजनीतिक दलों का विश्लेषण किया गया था। विश्लेषण किए गए 161 चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों में से 38 (24 प्रतिशत) राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये है और 21 (13 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये है।

चुनाव लड़ने वाले सभी राष्ट्रीय या क्षेत्रीय राजनीतिक दल, जिनका विश्लेषण किया गया, आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के चयन के कारणों के बारे में जानकारी देने में विफल रहे।

 

बिहार राज्य विधानसभा चुनाव 2020 में, सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद पहली बार चुनावी प्रक्रिया हुई थी, जहां एडीआर द्वारा 5 राजनीतिक दलों का विश्लेषण किया गया। विश्लेषण किए गए 454 चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों में से 292 (64 प्रतिशत) राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये है और 210 (46 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये है।

  • आपराधिक मामलों वाले 292 में से 155 (53 प्रतिशत) उम्मीदवारों के लिए कारण प्रस्तुत किए गए हैं।
  • गंभीर आपराधिक मामलों वाले 210 में से 115 (55 प्रतिशत) उम्मीदवारों के लिए कारण प्रस्तुत किए गए हैं।
  • आपराधिक मामलों वाले 137 (47 प्रतिशत) उम्मीदवारों के लिए, राजनीतिक दलों द्वारा उनके चयन का कोई कारण नहीं बताया गया हैं।
  • 1 उम्मीदवार के पास प्रकाशित प्रारूप C7 है, लेकिन उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया गया है।

 

बिहार  चुनाव लड़ने वाले राजनीतिक दलों द्वारा बताए गए 5 सबसे सामान्य कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं-

  • 'आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार के चयन के कारण' अनुभाग के लिए, ऐसे बयान दिए गए है जैसे उम्मीदवार बहुत लोकप्रिय है; उम्मीदवार ने कोविड-19 महामारी के दौरान सराहनीय कार्य किया है; उम्मीदवार एक सामाजिक कार्यकर्ता है; उम्मीदवार ने असहाय लोगों और समाज के कमजोर वर्गों के बीच काम किया गया है; इस निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी के लोगों ने भारी बहुमत से उनकी उम्मीदवारी का समर्थन किया है।
  • 'आपराधिक छवि के बिना अन्य व्यक्तियों को उम्मीदवारों के रूप में क्यों नहीं चुना जा सकता के कारण' अनुभाग के लिए, ऐसे बयान दिए गए है जैसे उम्मीदवार अपने निर्वाचन क्षेत्र के बीच बहुत लोकप्रिय हैं और उनके निर्वाचन क्षेत्र के पार्टी कार्यकर्ताओं ने भारी बहुमत से उन्हें पार्टी में शामिल करने की सिफारिश की है; क्रम संख्या 2 में उल्लिखित कारण के अलावा क्षेत्र के पार्टी कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा है कि इस निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी का कोई अन्य सदस्य उम्मीदवार के रूप में लोकप्रिय नहीं है; वह वर्तमान विधायक है और उसके जीतने की संभावना अन्य उम्मीदवारों की तुलना में अधिक है; उम्मीदवार के खिलाफ मामले जन आंदोलनो के ईमानदार नेता के रूप में उसके कार्य के कारण हैं, न कि आपराधिक पृष्ठभूमि के कारण।

 

विश्लेषण किए गए राजनीतिक दलों में से, BJP और INC के उम्मीदवारों की जानकारी उपलब्ध नहीं है, और JD(U) ने 56 में से 16 (29 प्रतिशत) उम्मीदवारों के लिए कारण प्रस्तुत नहीं किए।

सबसे अधिक आपराधिक मामलों की संख्या वाले शीर्ष 3 उम्मीदवार, अधिकतम आपराधिक मामलों वाले शीर्ष 3 उम्मीदवार, जिनका प्रारूप C7 प्रकाशित नहीं किया गया था, अधिकतम कुल संपत्ति और कुल आय वाले शीर्ष 3 उम्मीदवारों के साथ-साथ उनके आपराधिक पृष्ठभूमि आदि से संबंधित दिए के कारणों का विवरण हमारी रिपोर्ट पर देखा जा सकता है।

 

इन निष्कर्षों के आलोक में, एडीआर ने निम्नलिखित अवलोकन भी किए है- 08:04

  • जो लोग ईमानदार, सक्षम और चरित्रवान पुरुष हैं उन्हें चुनाव लड़ना चाहिए और प्रमुख नीति निर्माता होना चाहिए। अफसोस की बात है कि भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में इस तरह की स्थिति का कोई आधार नहीं है।
  • सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की घोर अवमानना है।
  • आम तौर पर भारतीय चुनावी प्रक्रियाओं में धनबल और बाहुबल की समस्या का परिमाण काफी गंभीर है- एडीआर द्वारा आपराधिक मामलों वाले सभी सांसदों और विधायकों के अखिल भारतीय आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, वर्तमान में 542 में से 232 (43 प्रतिशत) सांसदों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले और 157 (29 प्रतिशत) सांसदों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये है। एडीआर द्वारा विश्लेषण किए गए, वर्तमान में 3980 में से 1610 (40 प्रतिशत) विधायकों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले और 1047 (26 प्रतिशत) विधायकों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये हैं।
  • धनबल और बाहुबल के बीच एक अच्छी तरह से परिभाषित और गहरा गठजोड़ है जिसे केवल फटकार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है। इन राजनीतिक दलों के खिलाफ इस तरह की कोई अवमानना कार्रवाई किए जाने के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। वास्तव में, नागरिकों को यह सुनिश्चित नहीं है कि क्या चुनाव आयोग ने हाल ही में हुए चुनावों में कुछ राजनीतिक दलों द्वारा उसके निर्देशों का पालन ने करने की सूचना सर्वोच्च न्यायालय को दी है।
  • राजनीतिक दलों द्वारा उम्मीदवारों के चयन में कोई अच्छी तरह से परिभाषित प्रक्रिया नहीं है। राजनीतिक दलों के कामकाज को विनियमित करने के लिए कोई कानून नहीं है। नियमों या कानूनों के उल्लंघन के मामले में राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों को दंडित करने का कोई तरीका नहीं है। राजनीतिक दलों ने आरटीआई कानून के दायरे में आने से साफ इनकार कर दिया है और टिकटों को जीतने योग्य कारक के आधार पर चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों को दिया जाता है।

 

इस प्रकार, एडीआर भारत में उपयुक्त चुनावी और राजनीतिक सुधारों का मार्ग प्रशस्त करने के लिए निम्नलिखित उपायों की सिफारिश करता है:- 10:08

  • राजनीतिक दलों द्वारा उम्मीदवारों के चयन के लिए एक सख्त मापदंड होना चाहिए। जो उम्मीदवारों को उनके जीतने की क्षमता के आधार पर प्रवेश की अनुमति नहीं देता है।
  • अपराधीकरण की समस्या से निपटा जा सकता है यदि ऐसे दागी उम्मीदवारों को अपराध के चरण और डिग्री दोनों के आधार पर चुनावी प्रक्रिया में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगाया जाए। यह उन उम्मीदवारों को सार्वजनिक कार्यालयों में चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करके प्राप्त किया जा सकता है जिनके खिलाफ न्यायालय द्वारा कम से कम 5 वर्ष के कारावास के अपराधों के आरोप लगे है और जो मामला चुनाव से कम से कम 6 महीने पहले दायर किया गया है।
  • हत्या, बलात्कार, तस्करी, डकैती, अपहरण, लूट आदि जैसे जघन्य अपराधों के लिए दोषी उम्मीदवारों को स्थायी रूप से अयोग्य घोषित कर देना चाहिए।
  • राजनीतिक दलों द्वारा चुने गए ऐसे दागी उम्मीदवारों के नाम और चयन के कारणों को सूचीबद्ध करना होगा। इस सूचि को हर चुनाव के बाद सही रूप से तैयार कर सर्वोच्च न्यायालय में जमा करने की जरूरत है और इसे सार्वजनिक निरीक्षण के लिए चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किया जाना चाहिए।
  • भारत के सर्वोच्च न्यायालय को ''न्याय और कानून के शासन'' का अंतिम संरक्षक होने के नाते वर्तमान स्थिति पर ध्यान देना चाहिए और राजनीतिक दलों और राजनेताओं को इस तरह की अवमानना, इच्छाशक्ति की पूर्ण कमी, निंदनीय प्रवृत्ति और आवश्यक कानूनों की अनुपस्थिति के लिए फटकार लगानी चाहिए। इसके अलावा, सर्वोच्च न्यायालय को राजनीतिक दलों, उनके पदाधिकारियों और उम्मीदवारों के खिलाफ 25 सितंबर, 2018 और 13 फरवरी, 2020 के आदेशों की खुलेआम अवहेलना करने के लिए तुरंत कड़ी अवमानना की कार्रवाई करनी चाहिए।
  • उन राजनीतिक दलों को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 13A और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29C (4) के तहत दी जाने वाली कर छूट को रद्द कर देना चाहिए। जिन्होंने जानबूझकर सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को दर किनार कर दिया है।
  • भारत के चुनाव आयोग को अपनी शक्तियों का उपयोग करना चाहिए और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की लगातार विफलता और अवज्ञा के लिए किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल की मान्यता को निलंबित या वापस लेना चाहिए।
  • राजनीतिक दलों पर अपर्याप्त प्रकटीकरण, अमान्य और सामान्य कारणों, जीत के आधार पर उम्मीदवारों का चयन, समय पर अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहने आदि के लिए भारी वित्तीय दंड लगाया जाना चाहिए। अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने से संबंधित एक राजनीतिक दल के प्रभारी अधिकारी को भी इस तरह के उल्लंघन के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
  • भारत के चुनाव आयोग को भी संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत दी गई अपनी व्यापक शक्तियों का उपयोग करने में संकोच नहीं करना चाहिए। चूंकि चुनावों के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण की शक्ति चुनाव आयोग के पास है, इसलिए बिना किसी देरी के, आयोग को प्रत्येक चुनाव के दौरान इस तरह की चूक की तुरंत सर्वोच्च न्यायालय को रिपोर्ट करनी चाहिए। इसके अलावा, चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राजनीतिक दलों द्वारा फॉर्म C7 और C8 में दिए गए कारणों के आलोक में ठोस कदम उठाकर समाचार पत्रों, टीवी, चैनलों, पार्टी की वेबसाइट आदि में कारणों का सावधानीपूर्वक प्रकाशन और रिटर्निंग अधिकारी द्वारा चूककर्ताओं को सख्त और निरंतर अनुस्मारक दे कर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों को राजनीतिक दलों द्वारा सही मायने में लागू किया जा रहा है।
  • राजनीतिक दल को अपने पदाधिकारियों जैसे अध्यक्ष, सचिव, महासचिव, संयोजक, कोषाध्यक्ष आदि के आपराधिक मामलों की जानकारी सालाना दर्ज करनी चाहिए और इस तरह के आंकड़े जनता के लिए उपलब्ध कराने चाहिए, जिसमें शून्य वाले मामले भी शामिल हों।
  • चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूचि चुनाव से कम से कम 3 महीने पहले घोषित की जानी चाहिए और उन्हें किसी विशेष पार्टी को बदलने/शामिल होने और अगले चुनाव में उनके द्वारा खर्च की जाने वाली राशि और उसके स्रोत के बारे में विशेष कारण बताते हुए शपथपत्र प्रस्तुत करना चाहिए।
  • झूठे शपथपत्रों के मामले में उम्मीदवारों को तत्काल अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए।
  • वोट डालते समय नागरिकों को 'उपरोक्त में से कोई नहीं' विकल्प को अधिक शक्ति दी जानी चाहिए।
  • सांसदों और विधायकों के खिलाफ सभी लंबित मामलों को तेजी से ट्रैक किया जाना चाहिए और 10 मार्च, 2014 और 1 नवंबर, 2017 को सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार एक वर्ष की अवधि के भीतर निष्कर्ष पर लाया जाना चाहिए।
  • राजनीतिक दलों को आरटीआई अधिनियम के दायरे में लाया जाना चाहिए और सार्वजनिक प्राधिकरण के रूप में घोषित किया जाना चाहिए।
  • राजनीतिक दलों के कामकाज को विनियमित करने, उनकी पार्टी के संविधान की मान्यता, पार्टी के अंगों के विभिन्न स्तरों पर चुनाव, पंजीकरण और गैर-पंजीकरण की शर्तों, खातों के अनिवार्य रखरखाव, संगठनात्मक पदों पर महिलाओं के प्रतिनिधित्व को विनियमित करने के लिए एक व्यापक कानून की सख्त आवश्यकता है।
  • राजनीतिक दलों के भीतर आंतरिक लोकतंत्र, पारदर्शी निर्णय लेने, टिकट वितरण, पदाधिकारियों के चुनाव, वित्तीय पारदर्शिता और मजबूत संगठनात्मक अनुशासन को लागू करने के लिए अनिवार्य प्रावधान किए जाने चाहिए।
  • निर्वाचित सांसदों और विधायकों को पिछले वर्ष की अपनी उपलब्धियों और अगले वर्ष की योजना का विवरण देते हुए अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक 'वार्षिक रिपोर्ट' प्रस्तुत करने की आवश्यकता होनी चाहिए।
  • जब किसी उम्मीदवार को वोट की आवश्यक संख्या नहीं मिलती है, तो शीर्ष दो उम्मीदवारों के बीच अधिकतम वोट पाने के लिए स्पर्धा होनी चाहिए।
  • छोटे राजनीतिक दल जिनके पास वेबसाइट नहीं है, उन्हें प्रारूप C2 और C7 की हार्ड कॉपी सीईओ/ईसीआई को जमा करनी चाहिए।

 

निष्कर्ष: 16:04

राजनीति में आपराधिकता की बढ़ती समस्या पर अंकुश लगाने के लिए समाधनों की कोई कमी नहीं है। कमी है तो इसे करने की हिम्मत और इच्छाशक्ति की। कानून बनाने वाले ऐसे कानून नहीं बनाएंगे, जो आपराधिक मामलों वाले राजनेताओं के बेपनाह और अनियंत्रित प्रविष्टि को प्रतिबंधित करें। संवैधानिक संस्थाएं और संस्थान 'सत्ता की कमी' जैसे कारणों से शरण लेती रहेंगी। यदि आप एडीआर के निष्कर्षों के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो प्रारूप C7 का विश्लेषण - राजनीतिक दलों द्वारा आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों के चयन के लिए दिए गए कारणों का प्रकाशन -  पश्चिम बंगाल, तमिल नाडु, केरल, असम, पुडुचेरी विधानसभा चुनाव 2021 और बिहार विधानसभा चुनाव 2020 रिपोर्ट के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर लॉग इन करें।

              

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