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राजनीतिक दलों को अपनी नीतियों और लक्ष्यों को मतदाताओं तक पहुचाने तथा जनता के विचारों को प्राप्त करने के लिए धन की आवश्यकता होती है | लेकिन यह धन राजनीतिक दल कहां से एकत्रित करते हैं ?

एडीआर द्वारा जून 2020 में शुरू की गई पॉडकास्ट श्रृंखला का ये चौथा एपिसोड है | वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए, हम भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) की वेबसाइट पर उपलब्ध सात राष्ट्रीय दलों द्वारा दाखिल किये गए आयकर विवरण और दान रिपोर्ट के बयानों के विश्लेषण को देखंगे | इससे राष्ट्रीय दलों को प्राप्त धनराशि के स्त्रोतों का पता लगाया जा सकेगा और उनके द्वारा घोषित आय के शीर्ष स्त्रोतों को भी देखा जायेगा | इसके बाद हम इन आय के स्त्रोतों को ज्ञात स्त्रोत, अज्ञात स्त्रोत और अन्य ज्ञात स्त्रोतों के रूप में विश्लेषण और चर्चा करेंगे, जो एडीआर द्वारा परिभाषित हैं | आप हमें अपनी प्रतिक्रिया, टिप्पणी और सुझाव [email protected] पर भेज सकते हैं |

पॉडकास्ट प्रतिलिपि

प्रारंभिक टिप्पणी- 00:09

लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी अहम होती है वे चुनाव लड़ते हैं और सरकार बनाकर नीतियों का गठन करके आम आदमी की समस्याओं का निदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं | राजनीतिक दलों को अपनी नीतियों और लक्ष्यों को जनता तक पहुचाने के लिए धन की आवश्यकता होती है | यह धन राजनीतिक दल कहां से एकत्रित करते हैं ?


परिचय - 00 : 47

एडीआर स्पीक्स के एक और एपिसोड में आपका स्वागत है, यह पिछले महीने एडीआर द्वारा शुरू की गई पॉडकास्ट शृंखला का चौथा एपिसोड है | मेरा नाम भावना है और मैं एडीआर में एक प्रोग्राम एग्जीक्यूटिव हूँ |

 

आज के इस नए एपिसोड में, वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए, हम भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) की वेबसाइट पर उपलब्ध राष्ट्रीय दलों द्वारा दाखिल किये गए आयकर विवरण और दान रिपोर्ट के बयानों के विश्लेषण को देखते हैं, ताकि राष्ट्रीय दलों को प्राप्त धनराशि के स्त्रोतों का पता लगाया जा सके |

आयकर अधिनियम और चुनाव आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देश राजनीतिक दलों के लिए अनिवार्य हैं, वे आयोग को अपना ऑडिट रिपोर्ट का विवरण प्रस्तुत करें ताकि उन्हें प्रदान कि गई 100% कर की छूट मिलती रहे | एडीआर हर साल, राष्ट्रीय दलों द्वारा पूरे भारतवर्ष से एकत्रित कि गई आय और खर्च का विश्लेषण करता है, जिसको कि इन दलों ने आयोग कि वेबसाइट पर उपलब्ध अपने आयकर विवरण में घोषित किया है, इसका उद्देश्य नागरिकों को दलों कि वास्तविक वित्तीय स्थिति से अवगत कराना है | इस कड़ी का केंद्र बिंदु वित्तीय वर्ष 2018-19 है और इसमें सात राष्ट्रीय दलों (भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस), बहुजन समाज पार्टी(बसपा), राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(सीपीआई) , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (सीपीएम) और अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (तृणमूल कांग्रेस)) के नवीनतम आंकड़े उपलब्ध हैं |

इस कड़ी में हम राष्ट्रीय दलों द्वारा घोषित आय के शीर्ष स्त्रोतों को देखते हैं | इसके बाद हम इन आय के स्त्रोतों को ज्ञात स्त्रोत, अज्ञात स्त्रोत और अन्य ज्ञात स्त्रोतों के रूप में विश्लेषण और चर्चा करेंगे, जो एडीआर द्वारा नीचे परिभाषित हैं |

ज्ञात स्त्रोतों को रु 20,000 से अधिक के दान के रूप में परिभाषित किया गया है इन दान-दाताओं का विवरण दलों द्वारा घोषित विवरणों के माध्यम से उपलब्ध होता है | अज्ञात स्त्रोत आयकर विवरण में घोषित वह आय हैं, जिसमें रु 20,000 से कम के दान का विवरण दिए बिना ऐसे अज्ञात स्त्रोत शामिल हैं जैसे चुनावी बांड द्वारा प्राप्त दान, कूपन की बिक्री, रिलीफ फंड्स, विभिन्न प्रकार की आय, स्वैच्छिक दान और मीटिंग/मोर्चा आदि से प्राप्त धन | ऐसे योगदान देने वाले दानदाताओं का ब्यौरा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नही है | अन्य ज्ञात स्त्रोतों में चल और अचल संपत्ति, पुराने अखबार, सदस्यता शुल्क, डेलिगेट फी, बैंक ब्याज, प्रकाशन की बिक्री और लेवी आदि विवरण की जानकारी दलों के बही खातों में उपलब्ध होती है | 

 

मुख्य निष्कर्ष - 03:48

चलिए अब नजर डालते हैं एडीआर द्वारा विश्लेषण किए गए कुछ प्रमुख निष्कर्षों पर

  1. हर साल, कई राजनीतिक दल अपने वार्षिक रिपोर्ट को प्रस्तुत करने में देरी या चूक करते हैं | वित्तीय वर्ष 2018-19 में भी यह देखा गया था कि सात राष्ट्रीय दलों के ऑडिट रिपोर्ट में से चार दलों के ऑडिट रिपोर्ट निर्धारित समय सीमा दिनांक 31 अक्टूबर, 2019 के बाद सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध हुए थे | इनमें एनसीपी, बीजेपी, कांग्रेस और सीपीआई शामिल थे, जिन्होंने अपना ऑडिट रिपोर्ट क्रमशः 5 दिन, 27 दिन, 42 दिन और 42 दिन के देरी के बाद चुनाव आयोग को जमा किया था |

 

  1. वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए, सात राष्ट्रीय दलों कि कुल घोषित आय रु37 करोड़ और दलों द्वारा घोषित व्यय रु 1642.56 करोड़ थी | कुल घोषित आय में से 64.28% यानिकि रु 2410.08 करोड़ कि आय बीजेपी ने अकेले प्राप्त की थी उसके बाद कांग्रेस ने रु 918.03 करोड़ यानिकि 24.485% कि आय घोषित की, जो बीजेपी द्वारा घोषित आय के आधे आय से भी कम है | तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी और सीपीएम की घोषित आय क्रमशः रु 192.65 करोड़, रु 50.71 करोड़ और रु 100.96 करोड़ है, जबकि सीपीआई ने सबसे कम रु 7.15 करोड़ (मात्र 0.19%) की आय दर्शायी है |

 

  1. वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के बीच, राष्ट्रीय दलों की कुल घोषित आय रु90 करोड़ से बढ़कर रु 3749.37 करोड़ हो गयी, इसमें 168% की वृद्धि हुई है | बीजेपी को दोनों वित्तीय वर्षों में सबसे अधिक आय प्राप्त हुई है, इसकी आय में 135% की वृद्धि और कांग्रेस की आय में 361% का इजाफा हुआ है | वित्तीय वर्ष 2017-18 में तृणमूल कांग्रेस की आय रु 5.167 करोड़ थी जो वित्तीय वर्ष 2018-19 में 3628% बढ़कर रु 192.65 करोड़ हो गयी | सीपीएम की आय में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 3.71% की कमी हुई है |

 

  1. वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए, राष्ट्रीय दलों की आय का शीर्ष स्त्रोतों में स्वैच्छिक योगदान/दान/ अनुदान, सदस्यता शुल्क और बैंक ब्याज आदि हैं | सात राष्ट्रीय दलों ने इसी वित्तीय वर्ष के दौरान स्वैच्छिक योगदान से अपनी कुल आय का 47% यानि रु 3129.75 करोड़ की धनराशि एकत्रित की है | योगदान की आय में बीजेपी का रु 2354.02 करोड़, कांग्रेस का रु 551.55 करोड़, तृणमूल कांग्रेस का रु 141.54 करोड़, एनसीपी का रु 41.326 करोड़, सीपीएम का रु 37.228 करोड़ और सीपीआई का रु 4.08 करोड़ का दान शामिल है |

 

  1. एडीआर द्वारा परिभाषित स्त्रोतों के श्रेणियों के अनुसार, राजनीतिक दलों को ज्ञात दान-दाताओं (एडीआर द्वारा विश्लेषित किए गए दलों के दान रिपोर्ट का विवरण जो चुनाव आयोग की वेबसाइट में उपलब्ध हैं) से रु66 करोड़ की आय प्राप्त हुई थी जो कुल आय का 25.38% है |

 

  1. राजनीतिक दलों की अन्य ज्ञात स्त्रोतों (जैसे सम्पत्ति की बिक्री, सदस्यता शुल्क, बैंक ब्याज, प्रकाशनों की बिक्री, पार्टी लेवी आदि) से रु73 करोड़ की आय प्राप्त हुई जो कुल आय का 7.59% है |

 

  1. राजनीतिक दलों ने अज्ञात स्त्रोतों (आयकर विवरण में निर्दिष्ट आय जिनके स्त्रोत अज्ञात हैं) से रु98 करोड़ की आय एकत्रित की है जो दलों की कुल आय का 67% है | अज्ञात स्त्रोतों के कुल रु 2512.98 करोड़ की आय में से रु 1960.68 करोड़ (78% की हिस्सेदारी) की धनराशि चुनावी बॉन्ड्स से आयी है |

 

  1. केवल बीजेपी, कांग्रेस, एनसीपी और तृणमूल कांग्रेस ने ही चुनावी बांड के माध्यम से दान प्राप्त किया है | चुनावी बॉन्ड्स के माध्यम से बीजेपी को रु89 करोड़, कांग्रेस को रु 383.26 करोड़, तृणमूल कांग्रेस को रु 97.28 करोड़ और एनसीपी को रु 29.25 करोड़ का दान मिला है |

 

  1. अज्ञात स्त्रोतों के तहत, कांग्रेस, एनसीपी और सीपीएम ने कूपन की बिक्री से 10% यानि रु 329.10 करोड़ की आय प्राप्त की थी जबकि स्वैच्छिक योगदान (रु 20,000 से कम) से राष्ट्रीय दलों ने 8.65% यानि रु 217.41 करोड़ की धनराशि एकत्रित किया था | यहाँ पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि कूपन कि बिक्री भी राजनीतिक दलों द्वारा चंदा एकत्रित करने के तरीकों में से एक है इसलिए दलों द्वारा खुदही इसे छापा जाता है | कुल कितने कूपन छापे या मुद्रित (कुल राशि/ कूपन के मूल्य) किये जा सकते हैं इनकी कोई सीमा नहीं है | राजनीतिक दल ही केवल कूपन प्रणाली के बारे में जानकारी का एकमात्र स्त्रोत होते हैं और इसके अलावा कोई नहीं | कूपन योजना भारतीय चुनाव आयोग के अंतर्गत नहीं आता है और ना ही आयोग का इस पर कोई नियंत्रण है |

 

  1. विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि चुनावी बांड द्वारा प्रदान दान दाताओं के गुमनामी को देखते हुए, वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान चुनावी बांड राष्ट्रीय दलों का सबसे लोकप्रिय स्त्रोत बनके उभरा है | राष्ट्रीय दलों कि वार्षिक आय 52% (रु68 करोड़) से अधिक दान राशि चुनावी बॉण्ड के माध्यम से आया है | जिन दान दाताओं ने चुनावी बॉण्ड के माध्यम से दान किया है उनकी पहचान सार्वजानिक तौर पर उपलब्ध नहीं होती है |

 

महत्वपूर्ण उपलब्धियां -11:26

उपरोक्त विश्लेषण और आंकड़ों से पता चलता है कि दलों कि आय के स्त्रोत काफी हद तक अज्ञात हैं | वर्तमान में, राजनीतिक दलों को ना ही रु 20,000 से कम दान देने वाले व्यक्तियों या संगठनों के नाम और ना ही चुनावी बॉण्ड के माध्यम से दान देने वाले दान दाताओं का विवरण घोषित करने कि आवश्यकता है | इसी वजह से 67% से अधिक दानराशि का पता नहीं लगाया जा सकता है और वे अज्ञात स्त्रोतों से हैं | जून 2013 में राष्ट्रीय दलों को केंद्रीय सूचना आयोग के फैसले से सूचना के अधिकार के तहत लाया गया था लेकिन राष्ट्रीय दलों ने 'दुर्भाग्यपूर्ण' इस निर्णय का पालन नहीं किया है | मौजूदा कानून के तहत दलों की धनराशि में पारदर्शिता संभव नहीं है, यह केवल सूचना के अधिकार से ही जनता को सारी जानकारी प्राप्त हो सकती है |

 

निष्कर्ष -12:36

राजनीतिक दलों के पास धन के कई स्त्रोत होते हैं इसलिए जवाबदेही और पारदर्शिता उनके कामकाज का महत्वपूर्ण पहलू होना चाहिए |  ऐसे व्यापक और पारदर्शी लेखांकन विधियों का होना आवश्यक है जो राजनीतिक दलों के वित्त पोषण स्त्रोतों की पूरी जानकारी प्रदान करे | राजनीतिक दलों को सूचना आयोग और सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत "सार्वजनिक प्राधिकरण" के रूप में परिभाषित किया गया है और इसलिए वह नागरिकों के प्रति जवाबदेह है | मतदाताओं के रूप में, हमें इस मामले पर सवाल उठाने चाहिए और अपने राजनेताओं से जवाबदेही की मांग करनी चाहिए |

 

मुझे आशा है कि आप सभी को यह एपिसोड उपयोगी और रोचक लगा होगा | यदि आप हमारे काम को पसंद करते हैं तो आप हमारी वेबसाइट www.adrindia.org पर पॉडकास्ट कि सदस्यता लें और अपनी प्रतिक्रिया हमें [email protected] पर लिखना ना भूलें | हम एक और अद्भुत एपिसोड के साथ दो सप्ताह में फिर हाजिर होंगे | तब तक के लिए बने रहें और सुनने के लिए धन्यवाद

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