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एडीआर की पॉडकास्ट श्रृंखला के इस एपिसोड में बिहार चुनाव 2015 में करोड़पति उम्मीदवारों और आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों की जीतने की संभावना के विश्लेषण पर चर्चा की गई है। यह विषय आगामी बिहार चुनावों के मद्देनजर और अधिक प्रासंगिक हो जाता है, जो अक्टूबर 2020 में 243 सदस्यों के चुनाव के लिए आयोजित किया जाना है। 

नोट: कृपया आप हमें अपनी प्रतिक्रिया, टिप्पणी और सुझाव [email protected] पर पहुंचा सकते हैं।

पॉडकास्ट हिंदी स्क्रिप्ट

प्रस्तावना:- (0.09)

सभी को नमस्कार, मेरा नाम अमन सोनी है, और मैं एडीआर में एक सीनियर प्रोग्राम एग्जीक्यूटिव हूँ।  बिहार चुनाव 2015 में करोड़पति उम्मीदवारों और आपराधिक पृष्टभूमि वाले उम्मीदवारों की जीतने की संभावना के विश्लेषण पर हमारे नवीनतम  पॉडकास्ट एपिसोड में आपका स्वागत है। इस अनुभाग में, हम बिहार पर विशेष ध्यान देते हुए अपराध, धन और चुनावों के बीच सांठगांठ पर चर्चा करेंगे।

अवलोकन:- (0.34)

243 सदस्यों के चुनाव के लिए आगामी बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर 2020 में होने वाले हैं। 2015 में, बिहार विधानसभा चुनावों में वर्ष 2000  के बाद सबसे अधिक 56.8 प्रतिशत मतदान हुआ। जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय जनता दल को 81 सीटों पर बढ़त मिली थी, उसके बाद जनता दल (यूनाइटेड) को 70 सीटों पर और भारतीय जनता पार्टी को 53 सीटों पर बढ़त मिली थी। वोट शेयर के मामले में, भारतीय जनता पार्टी 24.4 प्रतिशत के साथ पहले स्थान पर रही, इसके बाद राष्ट्रीय जनता दल 18.4 प्रतिशत, जनता दल (यूनाइटेड) 16.8 प्रतिशत और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 6.7 प्रतिशत वोट शेयर प्राप्त हुआ। वर्तमान एनडीए सरकार का गठन 27 जुलाई, 2017 को हुआ था। जिसमें जनता दल (यूनाइटेड) के 73 विधायक, भारतीय जनता पार्टी के 53, लोक जनशक्ति पार्टी के 2 और 4 निर्दलीय विधायक शामिल थे।

विषय की प्रासंगिकता:- (1.37)

विधानसभा चुनाव 2015 में, बिहार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर उम्मीदवारों की तस्वीरों के साथ, फोटो मतदाता सूची बनाने वाला पहला राज्य था। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 दो नई विशेषताओं का गवाह बनेगा। सबसे पहले, सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार, राजनीतिक दलों को आपराधिक पृष्टभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट देने के लिए कारण देने की आवश्यकता होगी। यह कदम, जिसकी भारत के चुनाव आयोग ने सराहना की है, वर्षों से दागी उम्मीदवारों की बढ़ती भागीदारी के लिए एक निवारक के रूप में कार्य करने का वादा करता है। दूसरे, पोस्टल बैलेट नियम 80 वर्ष से अधिक आयु के मतदाताओं के लिए लागू होंगे, जो विकलांग हैं या नोवेल कोरोना वायरस से पीड़ित हैं और या तो घर या संस्थागत क्वारंटाइन में हैं।  कोविड-19 के प्रकोप के बीच, सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने के लिए, चुनाव आयोग ने कहा कि उसने मतदान में आसानी के लिए प्रत्येक बूथ में मतदाताओं की संख्या 1,000 तक सीमित कर दी है। यह भी कहा कि अतिरिक्त 34,000 मतदान केंद्र बनाए हैं, जो लगभग 45 प्रतिशत अधिक है और मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 1,06,000 कर देगा।

एडीआर रिपोर्ट (2.48)

एडीआर द्वारा निर्मित एक रिपोर्ट, जिसका शीर्षक है "वर्तमान विधायकों द्वारा घोषित वित्तीय, आपराधिक, शिक्षा, लिंग एवं अन्य विवरणों के आधार पर विश्लेषण बिहार विधानसभा चुनाव 2015, विभिन्न कारकों को सुर्खियों में लाता है, और हमें राज्य के राजनीतिक वातावरण का त्वरित मूल्यांकन करने में मदद करता है।

तो आइए नजर डालते है कुछ प्रमुख निष्कर्षों पर:- (3.13)

हमारे प्रमुख निष्कर्ष निम्नलिखित तथ्यों को प्रकट करते हैं -

  1. विश्लेषित किए गए 243 में से 137 (56 प्रतिशत) वर्तमान विधायकों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये थे, 94 (39 प्रतिशत) विधायकों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये थे, 11 विधायकों ने अपने ऊपर हत्या से सम्बन्धित और 5 विधायकों ने महिलाओं के ऊपर अत्याचार से सम्बन्धित मामले घोषित किये थे।

 

  1. दलवार विश्लेषण के अनुसार, राष्ट्रीय जनता दल के 81 में से 45 (56 प्रतिशत), जनता दल (यूनाइटेड) के 68 में से 34 (50 प्रतिशत), भारतीय जनता पार्टी के 54 में से 34 (63 प्रतिशत), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 26 में से 15 (58 प्रतिशत) और 2 (100 प्रतिशत) लोक जनशक्ति पार्टी के विधायकों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये थे।

  

  1. इसके अलावा, राष्ट्रीय जनता दल के 81 में से 33 (41 प्रतिशत), जनता दल (यूनाइटेड) के 68 में से 26 (38 प्रतिशत), भारतीय जनता पार्टी के 54 में से 19 (35 प्रतिशत), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 26 में से 10 (38 प्रतिशत) और 2 में से 1 (50 प्रतिशत) लोक जनशक्ति पार्टी के विधायकों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये थे।

 

  1. उम्मीदवारों की वित्तीय पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए, विश्लेषित किए गए 243 में से 162 (67 प्रतिशत) वर्तमान विधायक करोड़पति थे। दलवार दृष्टिकोण से, जनता दल (यूनाइटेड) के 68 में से 52 (76 प्रतिशत), राष्ट्रीय जनता दल के 81 में से 51 (63 प्रतिशत), भारतीय जनता पार्टी के 54 में से 33 (61 प्रतिशत), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 26 में से 18 (69 प्रतिशत) और लोक जनशक्ति पार्टी के 2 (100 प्रतिशत)  विधायकों ने ₹. 1 करोड़ से अधिक की संपत्ति घोषित की थी।

 

  1. अन्य पृष्ठभूमि के विवरण में 94 (39 प्रतिशत) विधायकों ने अपनी शैक्षिक योग्यता 5वीं और 12वीं के बीच घोषित की थी, जबकि 137 (56 प्रतिशत) विधायकों ने अपनी शैक्षिक योग्यता स्नातक और इससे ज़्यादा घोषित की थी, और 9 विधायकों ने अपनी शैक्षिक योग्यता साक्षर घोषित की थी। इसके अलावा 128 (53 प्रतिशत) विधायकों ने अपनी आयु 25 से 50 वर्ष के बीच घोषित की थी, जबकि 115 (47 प्रतिशत) विधायकों ने अपनी आयु 51 से 80 वर्ष के बीच घोषित की थी। विशेष रूप से, विश्लेषित किए गए 243 विधायकों में से केवल 28 (12 प्रतिशत) महिला विधायक थी।

 

  1. दिलचस्प बात यह है कि बिहार के राजनीतिक परिदृश्य पर एडीआर द्वारा निर्मित एक व्यापक रिपोर्ट से पता चलता है कि आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों की चुनाव जीतने की संभावना 56 प्रतिशत है, जो कि साफ छवि वाले उम्मीदवारों की चुनाव जीतने की संभावना 44 प्रतिशत से बहुत अधिक है।

 

 

निष्कर्ष:- (6.05)

सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों ने राजनीतिक दलों को आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों को टिकट देने के लिए कारण बताने के लिए कहा, यह एक बहुत आवश्यक हस्तक्षेप के रूप में आया है। वोट डालने के लिए ईवीएम की शुरुआत से पहले, बिहार में बूथ कैप्चरिंग, चुनावी हिंसा, विभिन्न सशस्त्र सेनाओं के अस्तित्व जैसे चुनावी दुर्भावनाओं का एक लंबा इतिहास रहा है। इसलिए चुनावी दुर्भावनाओं पर सर्वोच्च न्यायालय के नए नियमों का सफल क्रियान्वयन अन्य राज्यों के लिए एक मजबूत प्रोत्साहन सुनिश्चित करेगा। इसलिए, प्राथमिकता राजनीतिक प्रणाली में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही पर रहनी चाहिए।

यदि आप इस मामले में एडीआर के योगदान के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो आप हमारी वेबसाइट adrindia.org पर पॉडकास्ट कि सदस्यता लें: और [email protected] पर अपनी प्रतिक्रिया हमें लिखना ना भूलें, हम एक और अदभुत एपिसोड के साथ दो सप्ताह में फिर से हाज़िर होंगे।

तब तक के लिए बने रहिये और सुनने के लिए धन्यवाद।

 

 

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