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Source
द लल्लनटॉप
Author
मुरारी
Date

ADR ने यह स्पष्ट नहीं किया कि मतों में इस अंतर की वजह से कितनी सीट पर अलग परिणाम सामने आते. इधर, ADR के इन दावों पर चुनाव आयोग की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

लोकतांत्रिक और चुनावी अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने दावा किया है कि पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान डाले गए मतों और गिने गए मतों में अनियमितताएं (EVM Votes Discrepancy) हैं. संस्था के मुताबिक, ये अनियमितताएं कुल 538 सीटों पर पाई गई हैं. 29 जुलाई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ADR की तरफ से कहा गया कि 362 सीटों डाले गए मतों की तुलना में 5,54,598 कम वोटों की गिनती हुई, वहीं 176 सीटों पर डाले गए वोटों की तुलना में 35,093 ज्यादा वोटों की गिनती हुई.


ADR के फाउंडर जगदीप छोकर ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा,

"इसके अलावा, अंतिम मतदान प्रतिशत से जुड़ा डेटा जारी करने में हुई अत्यधिक देरी, निर्वाचन क्षेत्र और मतदान केंद्र से जुड़ा डेटा उपलब्ध ना होने और इस बात की अस्पष्टता कि क्या चुनाव नतीजे आखिर में मिलान किए गए आंकड़ों के आधार पर घोषित किए गए, इन सभी पहलुओं ने चुनाव परिणामों की सत्यता के बारे में संदेह पैदा किया है."

हालांकि, ADR ने यह स्पष्ट नहीं किया कि मतों में इस अंतर की वजह से कितनी सीट पर अलग परिणाम सामने आते. इधर, ADR के इन दावों पर चुनाव आयोग की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

ADR की रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव आयोग मतगणना पर अंतिम और प्रामाणिक डेटा जारी करने से पहले चुनाव परिणाम घोषित करने, EVM में डाले गए मतों और गिने गए मतों में अंतर, मत प्रतिशत में वृद्धि, डाले गए मतों के आंकड़े संख्या में न देने, डाले गए मतों के आंकड़े जारी करने में अनुचित देरी और अपनी वेबसाइट से कुछ डेटा को हटाने का कोई उचित स्पष्टीकरण देने में अब तक विफल रहा है.

छोकर ने आगे कहा,

“लोकसभा चुनाव 2019 और लोकसभा चुनाव 2024 में हुए उल्लंघन, अवैधता और अनियमितताओं की गंभीर घटनाओं का समाधान करने और उनके खिलाफ उचित कदम उठाने में निर्वाचन आयोग विफल रहा है, जिससे मतदाताओं के मन में आशंकाएं पैदा हुई हैं. इन आशंकाओं का गंभीरता से समाधान किया जाना चाहिए और उन्हें दूर किया जाना चाहिए.”

रिपोर्ट में कहा गया है कि आम चुनाव 2024 के परिणामों में 538 संसदीय क्षेत्रों में डाले गए और गिने गए मतों में काफी विसंगतियां सामने आईं, अमरेली, अत्तिंगल, लक्षद्वीप और दादरा नगर हवेली एवं दमन दीव को छोड़कर. वहीं सूरत संसदीय सीट पर कोई मुकाबला नहीं था, इसलिए 538 संसदीय सीट पर कुल 5,89,691 मतों की विसंगति है.

स्वतंत्र पत्रकार पूनम अग्रवाल ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि डाले गए मतों और गिने मतों के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर उन्हें भी बिल्कुल यही परिणाम मिला.

PTI की रिपोर्ट के मुताबिक सत्रहवें आम चुनाव के दौरान, चुनाव के पहले छह चरणों के लिए ‘वोटर टर्नआउट ऐप’ पर मतदाताओं की सही संख्या प्रदर्शित की गई थी. हालांकि, अंतिम चरण यानी सातवें चरण के मतदान में केवल प्रतिशत में आंकड़े दिए गए थे और निर्वाचन आयोग द्वारा पिछले डेटा को हटा दिया गया था.

विशेषज्ञों और ADR की एक टीम द्वारा की गई रिसर्च के मुताबिक, अलग-अलग सीटों पर मतदाताओं की संख्या और गिने गए मतों की संख्या के बीच गंभीर विसंगतियां पाई गईं.

साल 2019 के चुनाव के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है, 

“542 सीटों में से 347 सीट पर अनियमितताएं दिखाई दीं. 195 सीट में अनियमितताएं नहीं थीं. ये अनियमितताएं एक वोट (सबसे कम) से लेकर सबसे अधिक 101323 वोट (कुल मतों का 10.49 प्रतिशत) तक थीं.”

इसमें कहा गया है कि 6 सीटें ऐसी थीं जहां मतों में विसंगति जीत के अंतर से ज़्यादा थीं, कुल मिलाकर विसंगति 739104 मतों की थी.