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Source
ETV Bharat
https://www.etvbharat.com/hindi/bihar/state/patna/nitish-kumar-jdu-is-on-top-in-terms-of-receiving-donations-in-bihar-top-three-in-country/bh20230426184849903903432
Date
City
Patna

भले ही जदयू बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई हो लेकिन चंदा के मामले में आज भी इसका कोई मुकाबला नहीं कर सकता है. सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जदयू चंदा जुटाने के मामले में पूरे बिहार में टॉप पर है और पूरे देश में तीसरे नंबर पर है. जदयू ने बीजेपी और आरजेडी को भी पछाड़ दिया है. जानें कहां से पार्टी को मिलता है फंड...

बिहार में पिछले 17-18 साल से जदयू सत्ता में है. नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही सरकार बनती रही है. गठबंधन कोई भी हो नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनते रहे हैं. इसके कारण जदयू को चंदा इकट्ठा करने में लाभ भी मिलता रहा है. 2020 विधानसभा चुनाव में जदयू बिहार में तीसरे स्थान पर पहुंच गई. जदयू से आगे आरजेडी और उसके बाद बीजेपी रही, लेकिन चंदा के मामले में जदयू ने दोनों दलों को पीछे छोड़ दिया है.

चंदा के मामले में बिहार में टॉप पर JDU: बिहार की राजनीति में आरजेडी 1990 के बाद से महत्वपूर्ण भूमिका में रही है. 15 साल तक आरजेडी के नेतृत्व में ही यहां सरकार बनती रही. 2005 में नीतीश कुमार ने आरजेडी को हटाकर जदयू के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनाई. लेकिन बड़े जनाधार होने के बावजूद आरजेडी चंदा इकट्ठा करने में जदयू से पीछे रही है.

2021-22 में 33.26 करोड़ चंदा: 2004-05 से 2014 -15 तक एडीआर द्वारा जारी आंकड़ों को देखें तो जदयू को 54 करोड़ चंदा के रूप में मिला था. वहीं आरजेडी को 23 करोड़ और एलजेपी को 7 करोड़ मिला था. इसके बाद का आंकड़ा न तो आरजेडी की तरफ से उपलब्ध कराया गया है और ना ही अन्य छोटे दलों की ओर से. आरजेडी ने तो कुछ साल चुनाव आयोग को भी चंदा को लेकर जानकारी नहीं दी. 2020-21 में जदयू को देश में क्षेत्रीय पार्टियों में सबसे अधिक 60 करोड़ का चंदा मिला था. 2021-22 में चंदा इकट्ठा करने में जदयू देश की तीसरे नंबर की पार्टी है जिसे 33.26 करोड़ की राशि मिली है.

पार्टियों का तर्क: वहीं आरजेडी का कहना है कि हम लोग दबाव देकर चंदा नहीं लेते हैं. पार्टी के एक करोड़ सदस्य हैं और सभी विधायक और सांसद से हर महीने पार्टी फंड में मदद लेते हैं. अब जदयू को कैसे चंदा मिलता है यह तो जदयू के लोग ही बताएंगे. जबकि जदयू का कहना है कि बिहार की बड़ी पार्टी होने के नाते ज्यादा चंदा मिलना कोई बड़ी बात नहीं है. जबकि हम पार्टी ने भी खुदको गरीबों की पार्टी करार दिया है.

"आरजेडी अपने सदस्यता अभियान के माध्यम से पार्टी के कोष की व्यवस्था करते हैं. एक करोड़ से ज्यादा हमारे सदस्य बने हैं. उसी के अनुसार हम काम करते हैं. कार्यकर्ता, नेता के माध्यम से हम कोष की व्यवस्था करते हैं. किसी और से नहीं लेते हैं. जो स्वेच्छा से देते हैं उसे स्वीकार करते हैं दबाव नहीं बनाते हैं. जदयू के बारे में वही लोग बता सकते हैं कि आखिर कोष कैसे आता है एजाज अहमद, आरजेडी प्रवक्ता

"बिहार में हम लोगों की बड़ी पार्टी हैं. गरीबों की पार्टी हैं. कार्यकर्ता सहयोग करते हैं. बीजेपी जैसी धनबल पार्टी नहीं है इसलिए कोई बड़ी बात नहीं है."- जयंत राज,लघु जल संसाधन मंत्री, बिहार

"नीतीश कुमार ने 2005 से लेकर अबतक जो बिहार में कार्य किया है. उनके काम के कारण हम लोग जिनसे भी आग्रह करते हैं वो मान लेते हैं. कूपन,चेक, ड्राफ्ट, आरटीजीएस और बांड के माध्यम से धनराशि प्राप्त होती है. नीतीश कुमार पर विश्वास है इसलिए लोग सहयोग करते हैं."- ललन सरार्फ, कोषाध्यक्ष जदयू

"हम लोगों की गरीबों की पार्टी है. पार्टी के कार्यकर्ता और विधायक विधान पार्षद के सहयोग से चंदा इकट्ठा होता है और उसी से पार्टी का काम चलता है."- विजय यादव, प्रवक्ता हम

ADR के आंकड़ों के अनुसार: एडीआर के आंकड़ों के अनुसार जदयू को 2004-2005 और 2014-2015 तक कुल चंदा 54 करोड़ मिला. जबकि राजद को 23 करोड़ और एलजेपी को 7 करोड़ मिला था. वहीं 2020-21 में जदयू को पूरे देश में सबसे ज्यादा 60 करोड़ का चंदा मिला था. जबकि राजद और हम पार्टी ने जानकारी नहीं दी. 2021-22 में जदयू को 33.26 करोड़ का चंदा मिला. वहीं राजद और हम पार्टी ने जानकारी नहीं दी.

देश में JDU को तीसरा स्थान: एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स एडीआर द्वारा जारी ताजा पार्टी के चंदा के आंकड़ों में देश के 26 क्षेत्रीय दलों को 2021-22 में 189 करोड़ से अधिक चंदा मिला है. टॉप 3 पार्टियां टीआरएस और जदयू है. 2020-21 में चंदा मामले में देश के क्षेत्रीय दलों में जदयू टॉप पर थी लेकिन अभी भी top 3 में बनी हुई है. टीआरएस अभी चंदा के मामले में टॉप पर है. इसे 40.9 करोड़ का चंदा मिला है. वहीं अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी को 38.24 करोड़ जबकि नीतीश की पार्टी 33.26 करोड़ के साथ तीसरे स्थान पर है.

राजद और बीजेपी को भी जदयू ने छोड़ा पीछे: बिहार के बड़े क्षेत्रीय दल तो चंदा के स्त्रोत बताने से बचते ही हैं: छोटे दलों के पास कितना चंदा है, पार्टी के नेता इसे भी बताने से बचते हैं. लोजपा अब दो भाग में बंट चुकी है तो वहीं उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी नई पार्टी खड़ी की है. बिहार बसपा, हम और वामपंथी पार्टियों के नेता साफ कह रहे हैं कि खर्चा चलाना भी बिहार में उनके लिए मुश्किलों भरा होता है. बिहार बीजेपी और कांग्रेस को केंद्रीय संगठन से बड़े कार्यक्रम के आयोजन में मदद मिलती है. लेकिन जदयू को बिहार बीजेपी और कांग्रेस के साथ अन्य दलों से भी ज्यादा चंदा हर साल मिल रहा है. यह स्थिति तब है जब जदयू आरजेडी और बीजेपी से विधायकों की संख्या के हिसाब से छोटी पार्टी बन चुकी है.

छोटे दलों को मुश्किल: देश में क्षेत्रीय दलों में जदयू 2020-21 में चंदा इकट्ठा करने में नंबर एक पार्टी थी. 2021-22 में तीसरे नंबर पर है. ऐसे बिहार के छोटे दलों की बात करें तो उनके लिए पार्टी का खर्चा चलाना भी मुश्किल होता है. पार्टी, विधायक कार्यकर्ता और नेता के सहारे है. छोटे दल अपने कार्यक्रम और अन्य गतिविधियां संचालित करते हैं, इसमें सदस्यता अभियान से मिला चंदा भी शामिल होता है.