सांसद पर आपराधिक मामले: 18वीं लोकसभा के लिए चुने गए 543 सदस्यों में से 251 यानी लगभग 46% सांसदों पर विभिन्न आपराधिक मामले दर्ज हैं। यह आंकड़ा पिछली 17वीं लोकसभा से 8% अधिक है, जब 233 सांसद (43%) आपराधिक रिकॉर्ड वाले थे। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की हालिया रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार चुने गए 251 दागी सांसदों में से 170 पर गंभीर अपराधों जैसे बलात्कार, हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोप लगे हैं। इनमें भारतीय जनता पार्टी के 63, कांग्रेस के 32 और समाजवादी पार्टी के 17 सांसद शामिल हैं। तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, तेलुगु देशम पार्टी और शिवसेना के भी कई सांसद ऐसे हैं जिन पर विभिन्न गंभीर मामले दर्ज हैं।
सबसे अधिक 88 मामलों में फंसा है कांग्रेस का इडुक्की सीट से चुना गया सांसद डीन कुरियाकोस। इसके बाद कांग्रेस के ही शफी परम्बिल और भाजपा के एतेला राजेन्द्र का नंबर आता है।
15 नवनिर्वाचित सांसदों ने अपने चुनावी हलफनामों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बात स्वीकार की है। इनमें 2 पर बलात्कार का आरोप है जबकि 4 अपहरण के मामले में फंसे हुए हैं। इसके अलावा 43 सांसदों पर अभद्र भाषा का आरोप है।
देखा जाए तो 2009 से 2024 के बीच दागी सांसदों की संख्या में 124% की भारी वृद्धि हुई है। राजनीति में आपराधिकरण की यह चिंताजनक उभरती प्रवृत्ति है।
हालांकि चुनाव प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्तों ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू ने गुरुवार को लोकसभा चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों की सूची राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है। राष्ट्रपति ने बुधवार को ही 17वीं लोकसभा को भंग कर दिया था।
नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाने के लिए तैयार हैं। भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए ने 293 सीटें जीती हैं, जबकि विपक्षी इंडिया ब्लॉक को 234 सीटें मिली हैं। देश की राजनीति 9 जून को नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के साथ एक नए मोड़ पर आएगी।
लेकिन इस बार जबकि लगभग हर तीसरा सांसद किसी न किसी आपराधिक मामले का आरोपी है, तो नई सरकार के सामने इस चुनौती से निपटने की भी बड़ी जिम्मेदारी होगी। देश व जनता की उम्मीदें देखनी होंगी कि वह इस दिशा में कितना प्रभावी कदम उठा पाती है।