राजस्थान में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) और राजस्थान इलेक्शन वॉच ने चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के आपराधिक, शैक्षणिक और संपत्ति को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार इस बार कांग्रेस, भाजपा, आप और बसपा सहित कई दलों में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशियों को टिकट देने का प्रतिशत बढ़ा है। रिपोर्ट्स को एडीआर के प्रतिनिधि अनिल वर्मा और रेणुका पामेचा ने जारी किेया।
एडीआर की रिपोर्ट्स के अनुसार राजस्थान में 48 ऐसे विधानसभा क्षेत्र है जहां 3 या इससे ज्यादा उम्मीदवारों ने खुद पर आपराधिक मामले घोषित किये है। इस बार के चुनावो में बीजेपी, कांग्रेस, बसपा और आप समेत कई दलों ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट देने से परहेज नहीं किया है। कांग्रेस पार्टी ने जहां 22 प्रतिशत आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट दिया है तो वहीं बीजेपी ने 17 प्रतिशत, आम आदमी पार्टी ने 18 और बसपा ने 17 प्रतिशत ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
बात अगर करोड़पति उम्मीदवारों की करे तो इस बार चुनावों में 597 करोड़पति उम्मीदवार है। जमींदार पार्टी की कामिनी जिंदल सबसे अमीर प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में है। कांग्रेस के धोद से प्रत्याशी परसराय मोरिदया दूसरे नंबर पर और नीमकाथाना से बीजेपी प्रत्याशी प्रेम सिंह बाजौर अमीर प्रत्याशियों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर है। बीजेपी में करोड़पति प्रत्याशियों की लिस्ट सबसे ज्यादा है। पार्टी में इस बार 160 करोड़पति प्रत्याशी है। कांग्रेस पार्टी में 149 करोड़पति प्रत्याशी, बसपा में 40 और आप में 25 करोड़पति प्रत्याशी है। 9 उम्मीदवारों ने अपनी संपत्ति शून्य घोषित की है।
इस बार के विधानसभा चुनावों में 1034 ऐसे प्रत्याशी है जिनकी शैक्षिक योग्यता 5 वीं और 12 वीं के बीच है। 943 ऐसे भी प्रत्याशी है जो स्नातक या इससे ज्यादा शिक्षित है। चुनावों में 12 प्रत्याशी ऐसे है जो निरक्षर है। राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार 182 महिलाएं भी चुनावी मैदान में है। महिलाओं को राजनीती में 33 फीसदी आरक्षण का वादा पार्टियों ने एक बार फिर से पूरा नहीं किया।
रिपोर्ट के अनुसार 25 लोकसभा क्षेत्रों में साढ़े 12 हजार लोगों से बातचीत के अनुसार 69 प्रतिशत शहरी और 66 प्रतिशत ग्रामीण लोगों ने रोजगार को प्रमुख मुद्दा बताया। जहां 43 प्रतिशत लोगों ने पार्टी को अहम माना है तो वहीं 48 प्रतिशत लोग पार्टी से ज्यादा उम्मीदवार को तरजीह देते है। गौरतलब है कि राजस्थान में 7 दिसंबर को मतदान होना है। 11 दिसंबर को मतों की गणना की जाएगी।