केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा है कि राजनीतिक दल सूचना के अधिकार कानून के तहत जवाबदेह हैं.
आयोग का यह कथन राजनीति में पारदर्शिता के लिहाज़ से महत्वपूर्ण माना जा रहा है जो एक नया मानक तय करता है.
मुख्य सूचना आयुक्त सत्यानंद मिश्रा और सूचना आयुक्तों एम एल शर्मा तथा अन्नपूर्णा दीक्षित की आयोग की पूर्ण पीठ ने सोमवार 3 जून को कहा कि छह दल- कांग्रेस, भाजपा, माकपा, भाकपा, एनसीपी और बसपा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सार्वजनिक प्राधिकार के मानदंड को पूरा करते हैं. इन दलों से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी गयी थीं.
पीठ ने निर्देश किया, ‘‘इन दलों के अध्यक्षों, महासचिवों को निर्देश दिया जाता है कि छह सप्ताह के अंदर अपने मुख्यालयों पर सीपीआईओ और अपीलीय प्राधिकरण मनोनीत करें. नियुक्त किये गये सीपीआईओ इस आदेश के नतीजतन आरटीआई आवेदनों पर चार हफ्ते में जवाब देंगे.’’
पीठ ने उन्हें आरटीआई अधिनियम के अंतर्गत दिये गये अनिवार्य खुलासों से जुड़े खंडों के प्रावधानों का पालन करने का भी निर्देश दिया है.
चंदे पर मांगी थी जानकारी
मामला आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल और एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के अनिल बैरवाल की आरटीआई अर्जियों से जुड़ा है. उन्होंने इन दलों द्वारा प्राप्त चंदे आदि के बारे में जानकारी मांगी थी और दानदाताओं के नाम, पते आदि का ब्योरा पूछा था जिसे देने से राजनीतिक दलों ने मना
दलों को आयकर में मिलने वाली छूट और चुनावों के वक्त में आकाशवाणी तथा दूरदर्शन द्वारा दिया गया मुफ्त प्रसारण समय भी असल में सरकार से मिलने वाली अप्रत्यक्ष सहायता है. |
कर दिया था और कहा था कि वे आरटीआई अधिनियम के दायरे में नहीं आते.
सुनवाई के दौरान बैरवाल ने राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे में बताने की अपनी दलीलों के पक्ष में तीन सैद्धांतिक बिंदु उठाये. जिनमें उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा परोक्ष रूप से वित्तीय सहायता, सार्वजनिक कामकाज का निष्पादन और उन्हें अधिकार तथा जवाबदेही देने वाले संवैधानिक एवं कानूनी प्रावधानों का जिक्र किया.
इसमें कहा गया कि दिल्ली के प्रमुख इलाकों में बड़े क्षेत्र में फैली जमीनें बहुत कम दरों पर राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराई गयी हैं. इसके अलावा राजनीतिक दलों को बहुत कम दरों पर बड़े सरकारी आवास मुहैया कराये गये हैं. इस लिहाज़ से उन्हें आर्थिक फायदे मिलते हैं.
कई तरह की सहायता प्राप्त है
पीठ ने कहा कि दलों को आयकर में मिलने वाली छूट और चुनावों के वक्त में आकाशवाणी तथा दूरदर्शन द्वारा दिया गया मुफ्त प्रसारण समय भी असल में सरकार से मिलने वाली अप्रत्यक्ष सहायता है.
पीठ ने आदेश सुनाया, ‘‘हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि आईएनसी या एआईसीसी (कांग्रेस), भाजपा, माकपा, भाकपा, राकांपा और बसपा को केंद्र सरकार ने काफी वित्तीय मदद की है और इस लिहाज से वे आरटीआई अधिनियम की धारा 2 (एच) के तहत सार्वजनिक प्राधिकार हैं.’’