नई दिल्ली।। महाराष्ट्र, हरियाणा और अरुणाचल प्रदेश के नवनिर्वाचित विधायकों में इस बार पिछले बार के मुकाबले ज्यादा करोड़पति हैं। महाराष्ट्र में जहां पिछली बार के मुकाबले 5 फीसदी ज्यादा विधायक आपराधिक बैकग्राउंड के हैं, वहीं हरियाणा में दागी विधायकों की संख्या में कमी आई है। दोनों राज्यों में महिला विधायकों की संख्या कम हुई है, जबकि अरुणाचल में तीन महिला विधायक बनी हैं, पिछली बार वहां एक भी महिला चुनाव नहीं जीती थी।
नैशनल इलेक्शन वॉच ने सभी विधायकों के हलफनामे की जांच कर बताया कि महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुने गए विधायकों में से 50 फीसदी पर क्रिमिनल केस पेंडिंग है। इनमें 15 केस हत्या, 11 डकैती, 2 रॉबरी, 6 किडनैपिंग और 5 एक्सटॉर्शन से जुड़े हैं। दागी विधायकों में बीजेपी और कांग्रेस के 26-26, एनसीपी के 24 और शिवसेना के 31 विधायक शामिल हैं। हरियाणा में इस बार कम दागी विधायक चुनकर आए हैं, जो अच्छा संकेत है। वहां 17 परसेंट विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें 5 कांग्रेस के और 6 आईएनएलडी के विधायक शामिल हैं। अरुणाचल की तस्वीर पिछली बार की तरह ही है। वहां पिछली बार की तरह 3 दागी विधायक हैं। सब कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते हैं।
महाराष्ट्र में 64 फीसदी, हरियाणा में 72 और अरुणाचल में 58 फीसदी विधायक करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं। पूर्व सुपर कॉप और पब्लिक कंसर्न फॉर गवर्नेंस ट्रस्ट के इग्जेक्यूटिव चेयरमैन जूलियो रिबेरो ने कहा कि मैं महाराष्ट्र में दागी विधायकों की बढ़ी संख्या से निराश हूं। राजनीतिक दल साफ छवि के लोगों को उम्मीदवार बनाने में असफल रहे। अब यह जनता और वोटरों की जिम्मेदारी है कि वे चुने हुए प्रतिनिधियों पर निगाह रखें।
असोसिएशन फॉर डिमॉक्रेटिक रिफॉर्म्स के फाउंडर मेंबर प्रो. जगदीप छोकर कहते हैं कि करोड़पतियों की बढ़ती संख्या अच्छा है, लेकिन इस दौलत के सोर्स पर चिंता की जानी चाहिए। कैंडिडेट्स को अपनी संपत्ति का सोर्स डिक्लेयर करना भी जरूरी होना चाहिए और यह उनके इनकम टैक्स रिटर्न में भी झलकना चाहिए। वह कहते हैं कि दागी व्यक्ति को जनप्रतिनिधि बनने से रोकना चाहिए। जब लॉ मिनिस्ट्री चाहती है कि कोई भी दागी व्यक्ति हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज बनने के योग्य ना हो, तो दागी लोगों को विधायक या सांसद बनने से भी रोकना चाहिए।