भारतीय राजनीति में बदलाव लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार के दायरे में लाने के लिए चुनाव आयोग को नोटिस भेजकर 6 हफ्तों में जवाब मांगा है.
चुनाव आयोग के अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और छह पार्टियों को भी नोटिस भेजा है.
CIC पहले ही दे चुका है आदेश
गौरतलब है कि एक अपील पर सुनवाई के बाद केंद्रीय सूचना आयोग यानी कि CIC ने यह आदेश दिया था. CIC के अनुसार राजनीतिक दलों को RTI के तहत आने के बाद चंदे से लेकर हर खर्च की जानकारी जनता को देनी होगी. सीआईसी की बेंच ने अपने आदेश में कहा था कि अब सभी राजनीतिक दलों से लिखित रिकॉर्ड मांगे जा सकते हैं. सभी दलों को 6 महीने के भीतर ऐसे अधिकारी नियुक्त करने होंगे जो आरटीआई याचिकाओं का जवाब दे सकें. इसके साथ ही राजनीतिक दलों से कहा गया है कि वे अपनी वेबसाइट्स पर जरूरी जानकारी भी अपलोड करें. हालांकि आदेश के मुताबिक पार्टियों को सेक्शन 8(1) और 7(9) में शामिल सूचनाएं बताने की बाध्यता नहीं होगी.
राजनीतिक दल नाखुश
सीआईसी का तर्क था कि पार्टियां सरकार से सुविधाएं लेती हैं इसलिए आरटीआई के तहत उन्हें खर्च की जानकारी देनी होगी. हालांकि सीआईसी के इस फैसले से राजनीतिक पार्टियां ज्यादा खुश नहीं थी. देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट के इस कदम पर राजनीतिक दलों की क्या प्रतिक्रिया होती है.