
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पिछले 10 साल में बिहार में लोकसभा, विधानसभा और विधान परिषद् के लिए हुए चुनाव में जीते 620 सांसद व विधायकों में 52 प्रतिशत (321) पर आपराधिक मुकदमे दर्ज थे, वहीं 30 प्रतिशत(187) पर गंभीर आपराधिक मुकदमे चल रहे थे। यह पूरा विश्लेषण एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) और नेशनल इलेक्शन वॉच ने किया है। विश्लेषण में 2004 से अब तक हुए सभी चुनावों के कुल उम्मीदवारों 5314 और जीते प्रतिनिधियों के प्रोफाइल को शामिल किया गया है।
उच्च शिक्षित विधायक व सांसद पर कम मुकदमे: विश्लेषण में पता चला है कि स्नातक या इससे ज्यादा पढ़े-लिखे विधायक या सांसद पर आपराधिक मुकदमे कम हैं, वहीं इंटरमीडिएट या इससे कम पढ़े-लिखे सांसद और विधायकों पर अपेक्षाकृत मुकदमे ज्यादा हैं।
विश्लेषण के अनुसार स्नातक या इससे ज्यादा पढ़े-लिखे 49 प्रतिशत सांसदों व विधायकों ने खुद पर मुकदमे होने की घोषणा की है, जबकि इंटरमीडिएट या इससे कम पढ़े-लिखे 56 प्रतिशत विधायकों व सांसदों पर मुकदमे हैं। रिपोर्ट की मानें तो अधिक शिक्षित उम्मीदवारों के जीतने का प्रतिशत ज्यादा रहा है। कम-पढ़े लिखे उम्मीदवारों की तुलना लोगों ने अधिक शिक्षित उम्मीदवारों को ज्यादा पसंद किया है। कुल उम्मीदवारों में 2,446 स्नातक या इससे ज्यादा और 2,868 इंटरमीडिएट या इससे कम पढ़े-लिखे थे, लेकिन स्नातक पास 368 उम्मीदवार जीते तो वहीं इंटरमीडिएट या इससे कम पास 252 ही जीते। हालांकि, स्नातक पास सांसद व विधायक की औसत संपत्ति (3.68 करोड़ रुपए) है, जो इंटरपास की संपत्ति(80.28 लाख) से चार गुना से भी ज्यादा है।
10 वर्ष में सिर्फ 390 महिला उम्मीदवार बनीं
विश्लेषण के अनुसार 2004 से अब तक के हुए चुनावों में सिर्फ 390 महिला उम्मीदवार बनीं, इसमें से 18 प्रतिशत (70) जीती। वहीं पुरुष उम्मीदवार 4924 में 11 प्रतिशत (550) ही जीत दर्ज करा सके।
विश्लेषण में ये भी तथ्य आए सामने
32 प्रतिशत उम्मीदवारों के ऊपर आपराधिक मुकदमे
20 प्रतिशत उम्मीदवारों पर हैं गंभीर आपराधिक मुकदमे
2.46 करोड़ रही है सांसद व विधायक की औसत संपत्ति
48 प्रतिशत (299) सांसद विधायक स्वच्छ छवि के
19 प्रतिशत संभावना आपराधिक मामलों के साथ चुनाव जीतने की