आईआईएन.नई दिल्ली. लोकसभा चुनावों में जैसे-जैसे भाजपा की जीत की संभावना बढ़ रही थी, भाजपा के खजाने के चंदे की बरसात भी उतनी ही तेजी से हो रही थी। भाजपा के खजाने में 92 फीसदी चंदा 2014 में लोकसभा चुनावों के ठीक पहले आया। 20 हजार रुपए से अधिक 92 फीसदी चंदा बड़े कॉर्पोरेट घरानों ने दिया। उन घरानों में भारती समूह की सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट, स्टरलाइट इंडस्ट्रीज और केयर्न इंडिया ने 2014 में ही भाजपा को चंदा दिया। संयोग से 2014 से पहले इन घरानों ने भाजपा को चंदा दिया भी नहीं था।
ये जानकारियां भाजपा द्वारा चुनाव आयोग में को दिए गए वर्ष 2013-14 के चंदो के आंकड़ों में सामने आई है। एसोशिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (ADR) ने आंकड़ों
के विश्लेषण के बाद बताया है कि लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा को 157.84 करोड़ रुपए चंदा बड़े कॉर्पोरेट घराने ने ही दिया।
भारती एयरटेल ने दिया सबसे ज्यादा चंदा
एडीआर के मुताबिक, 20 हजार रुपए से अधिक देने वालों में महज 8 फीसदी चंदा किसी व्यक्ति के नाम से आया। लगभग 772 व्यक्तियों ने भाजपा को 12.99 करोड़ रुपए चंदा दिया। उल्लेखनीय है कि 20 हजार रुपए या उससे अधिक चंदा देने पर ही व्यक्ति या संस्थान को पैन नंबर देना पड़ता है और चंदा देने वाले की पहचान जाहिर हो पाती है। मोबाइल कंपनी एयरटेल के मालिक भारती समूह के सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट ने भाजपा को सबसे अधिक 41.37 करोड़ चंदा दिया। उसके बाद स्टरलाइट इंडस्ट्रीज ने 15 करोड़ और केयर्न इंडिया 7.50 करोड़ का चंदा दिया। स्टरलाइट इंडस्ट्रीज ने 15 करोड़ की रकम चार चंदों के रूप में दी, जबकि केयर्न इंडिया ने 7.50 करोड़ की रकम दो चंदों के रूप में दी।
रोचक बात यह है कि सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट ने 2013-14 में कांग्रेस को 36.50 करोड़ रुपए चंदा दिया। कांग्रेस को सबसे ज्यादा चंदा देने वालों में ये ट्रस्ट भी था। भारती समूह का यही ट्रस्ट शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को चंदा देने में भी आगे रहा। उसने एनसीपी को चार करोड़ का चंदा दिया, जो उस पार्टी का सबसे बड़ा चंदा दिया।
एक साल में भाजपा के चंदे 150 की बढ़ोतरी
2013-14 में भाजपा, कांग्रेस, एनसीपी और सीपीआई के चंदों में 2012-13 की तुलना में 158 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। 2012-13 में भाजपा का चंदा 83.19 करोड़ रुपए था,
अगले ही वर्ष यह 105 फीसदी की वृद्घि की साथ 170.86 करोड़ रुपए हो गया। भाजपा ने 2013-14 में जो चंदा जुटाया, वह उसी साल में कांग्रेस, एनसीपी, सीपीआई और सीपीएम द्वारा ज़ुटाए गए कुल चंदे के दोगुने से भी ज्यादा था। सभी पार्टियों ने 20 हजार के चंदे से अधिक की जो रकम घोषित की उसका कुल योग 247.79 करोड़ रुपए है। कुल 2361 व्यक्तियों या संस्थानों के चंदों की घोषणा की गई है। बसपा का कहना है कि उसे 20 हजार से अधिक का एक भी चंदा नहीं मिला, इसलिए उसने अपने चंदे की घोषणा भी नहीं की। लोकसभा चुनावों में भाजपा को जो चंदा मिला, वह राष्ट्रीय पार्टियों को मिले कुल चंदे का 69 फीसदी था।
भाजपा को औसतन हर एक चंदेदार से 13.19 लाख रुपए मिले, जबकि कांग्रेस के लिए यही आंकड़ा 11.70 लाख रुपए का है और एनसीपी एक करोड़ रुपए है। सीपीआई को औसतन हर चंदेदार से 3.23 लाख रुपए मिला, सीपीएम के लिए यह रकम 4.03 लाख रुपए थी। दिल्ली वालों ने लोकसभा चुनावों में सर्वाधिक चंदा दिया। दिल्ली के 119 चंदेदारों ने भाजपा को 45.21 करोड़ रुपए दिए। कांग्रेस को भी दिल्ली से 39.05 करोड़ का चंदा मिला, जबकि सीपीआई को दिल्ली से 54.6 लाख और सीपीएम 1.88 करोड़ रुपए का चंदा मिला। सभी आंकड़े वित्त वर्ष 2013-14 के हैं।