नई दिल्ली। पिछले वित्तीय वर्ष में राजनीतिक चंदा का सर्वाधिक लाभ भाजपा और कांग्रेस को मिला। चुनाव आयोग से पंजीकृत एक चुनावी ट्रस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा को 41 करोड़ से अधिक और कांग्रेस को 36 करोड़ रुपये से अधिक चंदे के रूप में मिले।
विभिन्न राजनीतिक दलों को मिले चंदे की यह पहली रिपोर्ट है जिसे दिल्ली की "सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट" ने चुनाव आयोग को पेश किया है। इसमें कहा गया है कि उसे विभिन्न दानदाताओं से वित्तीय वर्ष 2013-14 के दौरान 85 करोड़ 40 लाख रुपये प्राप्त हुए।
यह ट्रस्ट केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड से छूट प्रयोजनों के लिए (सीबीडीटी) चुनाव आयोग द्वारा पंजीकृत सात निर्वाचन ट्रस्टों में से एक हैं। इन ट्रस्टों को बनाने और संचालन के लिए इस वर्ष जून में चुनाव आयोग ने अधिसूचना जारी की थी। इसका मकसद चुनावी प्रक्रिया में काले धन के उपयोग को रोकना है।
ट्रस्ट द्वारा दायर रिपोर्ट में कहा गया है कि उसने भाजपा को कुल 41 करोड़ 37 लाख 20 हजार रुपये चंदा दिया है, जबकि यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के खाते में इसने 36 करोड़ 50 लाख रुपये जमा किए हैं। इसमें मध्य प्रदेश और राजस्थान कांग्रेस की रकम भी शामिल है। इस ट्रस्ट के चुनावी चंदे से जिन अन्य दलों को लाभ हुआ उनमें शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) दो करोड़, राजद एक करोड़, राकांपा चार करोड़ रुपये जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस को ट्रस्ट से 50 लाख रुपये हैं।
ट्रस्ट को चंदा देने वाली प्रमुख कंपनियों में भारती एयरटेल लिमिटेड (28 करोड़ रुपये से अधिक), जुबिलेंट फूडवर्क्स लि. (2.5 करोड़ रुपये), जुबिलेंट लाइफ साइंसेज लिमिटेड (रुपये 3.88 करोड़), भारती इंफ्राटेल लिमिटेड (6 करोड़ से अधिक), इंटर ग्लोबल एविएशन लिमिटेड (4 रुपये से अधिक), डीसीएम श्रीराम लिमिटेड (2 करोड़), चंबल फर्टिलाइजर एंड केमिकल्स लिमिटेड ( 2 करोड़ से अधिक)।
इस ट्रस्ट को दान देने वाली अन्य कंपनियों में हीरो मोटरकॉर्प लि. (11 करोड़ रुपये से अधिक), डीएलएफ लिमिटेड (20 करोड़ रुपये से अधिक) है। इसके अलावा दिल्ली के अखिल गुप्त ने दो करोड़ रुपये व्यक्तिगत रूप से दिए हैं।
चुनाव आयोग ने इसके पहले पांच दिशा निर्देशों का एक सेट जारी किया था जिनमें कहा गया था कि चुनावी ट्रस्टों द्वारा दान की रिपोर्ट पेश करने को लेकर कानूनी तौर पर शून्यता की स्थिति है। ये ट्रस्ट कंपनी अधिनियम की धारा 8 के तहत गैर लाभकारी उपक्रम के रूप में पंजीकृत हैं।
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