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Date: 
16.09.2015
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New Delhi

मध्य प्रदेश के आठ सांसदों द्वारा निर्वाचन आयोग को दिए गए चुनाव खर्च ब्योरे में गड़बड़ी सामने आई. इसमें लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी शामिल हैं. यह खुलासा नेशनल इलेक्शन वॉच द्वारा बुधवार को जारी एक रिपोर्ट से हुआ है.

पार्टियों को चुनाव के 90 दिन के भीतर देना होता है चुनावी खर्च
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा पंजीकृत राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए निर्धारित दिशा निर्देश के अनुसार, राजनीतिक दल को चुनाव के 90 दिन और उम्मीदवार को 30 दिनों के भीतर चुनाव खर्च का ब्योरा पेश करना होता है.

इलेक्शन वॉच ने जारी की रिपोर्ट
वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के बारे में राजनीतिक दल और सांसदों ने जो ब्योरा दिया है, उसका इलेक्शन वॉच ने विश्लेषण किया. विश्लेषण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई है. इनमें आठ सांसद मध्य प्रदेश से हैं. चुनाव सुधार के लिए काम करने वाली संस्था, नेशनल इलेक्शन वॉच के अनुसार, हर राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए एक मुश्त राशि व अनुदान देता है. इसका ब्योरा भी पार्टी को चुनाव आयोग को देना होता है.

सूची में नहीं हैं पूरे नाम 
इलेक्शन वॉच द्वारा जारी विश्लेषण के अनुसार, बीजेपी ने सांसदों को एक मुश्त या अनुदान देने की रिपोर्ट जारी की है, और इस सूची में निर्वाचित 282 उम्मीदवारों में से 159 के नाम हैं. जबकि शेष के नाम सूची में नहीं हैं. ऐसे ही छह सांसद मध्य प्रदेश से हैं. इस सूची में मध्य प्रदेश के छह सांसदों में इंदौर से सुमित्रा महाजन (11 लाख रुपये), अनूप मिश्रा (15 लाख रुपये), चिंतामणी मालवीय (पांच लाख 25 हजार रुपये), प्रहलाद पटेल (तीन लाख 50 हजार रुपये), बोध सिंह भगत (पांच लाख रुपये), और ज्योति धुर्वे (89 हजार 888 रुपये) शामिल हैं, मगर इन सभी ने पार्टी से धनराशि मिलने का ब्योरा दिया है.

वहीं दूसरी ओर, भोपाल के सांसद आलोक संजर और जबलपुर से सांसद राकेश सिंह ने पार्टी से मिली एकमुश्त राशि व अनुदान से ज्यादा राशि अपने ब्योरे में दर्शाई है. इस संदर्भ में जब संजर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह भोपाल से बाहर हैं, लिहाजा इस संबंध में कुछ भी नहीं कह सकते.

इंदौर से सांसद और लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन का नाम पार्टी द्वारा चुनाव आयोग को दी गई अनुदान व एकमुश्त राशि की सूची में न होने और उनकी ओर से प्रस्तुत ब्योरे में पार्टी से 11 लाख रुपये मिलने के संदर्भ में उनके कार्यालय से संपर्क किया गया. वहां मौजूद भाजपा जिला इकाई के कोषाध्यक्ष सुरेश बंसल ने बताया, 'पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उन्हें 11 लाख रुपये दिए थे, जो चेक के जरिए आए हैं. पार्टी की सूची में इसका उल्लेख क्यों नहीं है, वे नहीं बता सकते.'

राज्य में कुल 29 लोकसभा क्षेत्र हैं, जिनमें से 27 पर बीजेपी का कब्जा है. बीजेपी की सांसद और केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज व नरेंद्र सिंह तोमर, सुधीर गुप्ता, दिलीप सिंह भूरिया (दिवंगत) उनमें से हैं, जिन्होंने अपने खर्च में वही राशि दर्शाई है, जो पार्टी ने अपनी व्यय रपट में बताई है.

कांग्रेस ने नहीं किया है पार्टी फंड का जिक्र
राज्य की दो लोकसभा सीटें कांग्रेस के पास हैं. छिंदवाड़ा से कमलनाथ और गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद हैं. इन दोनों का पार्टी की ओर से दी गई एकमुश्त राशि की सूची और उनके द्वारा चुनाव आयोग में पेश खर्च के ब्योरे में पार्टी फंड का कोई जिक्र नहीं है.

ब्योरे में है गड़बड़ी
इलेक्शन वॉच के विश्लेषण को देखें तो पता चलता है कि राष्ट्रीय दलों के 342 सांसदों में से 263 ने दर्शाया है कि उन्हें अपने दलों से कुल 75 करोड़ 58 लाख रुपये मिले हैं, जबकि दलों का खर्च ब्योरा बताता है कि उन्होंने 175 सांसदों को कुल 54 करोड़ 73 लाख रुपये की राशि ही दी है.

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