नई दिल्ली: आज गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि आप पार्टी को मिल रहे विदेशों से चंदे की जांच की जा रही है. जवाब में अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनके चंदे का पूरा हिसाब वेबसाइट पर मौजूद है और अब गृहमंत्री कांग्रेस के चंदे का हिसाब देश को दें.
गौरतलब है कि चंदे को लेकर पहले भी राजनीतिक दलों पर कई तरह के आरोप लगते रहते हैं लेकिन केजरीवाल की चुनौती के बाद चंदे का मामला फिर से सुर्खियों में हैं.
पहली बार चुनावी मैदान में उतरे अरविंद केजरीवाल ने आप पार्टी के चंदे के हिसाब को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करके रखा है.
11 नवंबर 2013 को दोपहर 2 बजे तक उनकी पार्टी को कुल 18 करोड़ 92 लाख 77 हजार 901 रुपये का चंदा मिला है. सबसे ज्यादा 13 करोड़ 29 लाख 86 हजार 400 रुपये का चंदा भारत से मिला है.
उसके बाद अमेरिका से 1 करोड़ 97 लाख 59 हजार 663 रुपया. हांगकांग से 1 करोड़ 14 लाख 68 हजार 302 रुपया. संयुक्त अरब अमीरात से 57 लाख 38 हजार 971 रुपया. सिंगापुर से 56 लाख और इंग्लैंड से करीब 36 लाख का चंदा मिला है.
गृहमंत्री की बात केजरीवाल तक पहुंची तो उन्होंने अपने अंदाज में कांग्रेस को चुनौती दे दी. कांग्रेस केजरीवाल की चुनौती का क्या जवाब देगी, इसका पता नही, वैसे ये सच है कि आप पार्टी के अलावा अबतक किसी दूसरे दल ने चंदे के मामले में पारदर्शिता नहीं दिखाई है.
नेशनल इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2004 से 2012 के बीच कांग्रेस को चंदे से कुल 2 हजार 365 करोड़ 2 लाख रुपये मिले हैं लेकिन इसमें से 1 हजार 951 करोड़ 7 लाख रुपये चंदा देने वाले का अता पता नहीं हैं.
मतलब कांग्रेस के चंदे का कुल 82.5 फीसदी अज्ञात स्रोतों से मिला है. इसी तरह बीजेपी को साल 2004 से 2012 के बीच कुल 1 हजार 304 करोड़ 22 लाख रुपये चंदे के जरिए मिले हैं.
लेकिन उसने भी ये नहीं बताया है कि 952 करोड़ 58 लाख उसे किसने चंदे में दिए. मतलब बीजेपी का भी 73 फीसदी चंदा अज्ञात स्रोतों से मिला है. इसी तरह बीएसपी का 61.8 फीसदी, एनसीपी का 91.58 फीसदी, सीपीआई का 14.7 फीसदी और सीपीएम का 53.8 फीसदी चंदा अज्ञात स्रोतों से मिला है.
इन 6 राष्ट्रीय दलों के अलावा दूसरे क्षेत्रीय दलों का भी कमोबेश यही हाल है.
गौरतलब है कि राजनीतिक दलों के लिये ये जरुरी नहीं हैं कि वो 20 हजार से कम के चंदे का हिसाब दें. देश ने आरटीआई के जरिये जब राजनीतिक दलों के चंदे के धंधे की जानकारी मांगी तो सभी दल आऱटीआई से बाहर रहने के लिए एकजुट हो गये थे.
लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि जब आप पार्टी 10 रुपये के चंदे का हिसाब किताब सार्वजनिक कर रही है तो फिर दूसरे दल क्यों नहीं बताते हैं कि उन्हें करोड़ों की कमाई कहां से हो रही है.