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Source
Oneindia
Author
Sohit Kumar
Date

ADR Report: देश की राजनीति में सत्ता से ज्यादा चर्चा अगर किसी चीज की होती है तो वह है दौलत। नेताओं की लाइफस्टाइल, आलीशान बंगले, लग्जरी गाड़ियां और अरबों की संपत्ति अक्सर सुर्खियों में रहती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत का सबसे अमीर मंत्री कौन है?

क्या आप जानते हैं किस पार्टी में अरबपतियों की सबसे ज्यादा भरमार है? चुनाव अधिकार संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की लेटेस्ट रिपोर्ट में कुछ हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं।

रिपोर्ट में मंत्रियों की फाइनेंशियल प्रोफाइल का खुलासा किया गया है। मंत्रियों की औसत संपत्ति लगभग ₹37.21 करोड़ है, जबकि सभी 643 मंत्रियों की कुल संपत्ति ₹23,929 करोड़ से ज्यादा है।

कहां सबसे ज्यादा अरबपति मंत्री?
30 विधानसभा क्षेत्रों में से 11 में अरबपति मंत्री हैं, जिनमें कर्नाटक में सबसे ज्यादा आठ, आंध्र प्रदेश में छह और महाराष्ट्र में चार अरबपति मंत्री शामिल हैं। केंद्र सरकार के 72 मंत्रियों में से छह ने ₹1,000 करोड़ से अधिक की संपत्ति घोषित की है।

इस पार्टी में अरबपतियों की भरमार
पार्टीवार देखें तो, भाजपा में सबसे ज्यादा 14 अरबपति मंत्री हैं, जो कुल मंत्रियों का 4% हैं। कांग्रेस के 61 मंत्रियों में से 11 अरबपति हैं, जबकि तेलुगु देशम पार्टी के 23 मंत्रियों में से 6 यानी 26% अरबपति हैं। आम आदमी पार्टी, जद(एस), राकांपा, शिवसेना और जनसेना के भी अरबपति मंत्री मौजूद हैं।

कौन है देश का सबसे अमीर मंत्री?
भारत के सबसे अमीर मंत्री टीडीपी के डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी हैं, जिनकी संपत्ति ₹5,705 करोड़ से अधिक है। कर्नाटक के कांग्रेस नेता डी. के. शिवकुमार ₹1,413 करोड़ से ज्यादा के धनी हैं, जबकि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के पास ₹931 करोड़ की संपत्ति है।

टॉप 10 अमीर मंत्रियों में नारायण पोंगुरु, नारा लोकेश, गद्दाम विवेकानंद, पोंगुलेटी श्रीनिवास रेड्डी, सुरेश बी.एस., मंगल प्रभात लोढ़ा और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे प्रमुख नाम भी शामिल हैं।

सबसे कम संपत्ति किस मंत्री के पास है?
इसके विपरीत, कुछ मंत्रियों के पास बहुत कम संपत्ति है। लिस्ट में सबसे कम संपत्ति इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा के शुक्ला चरण नोआतिया के नाम है, जिनकी कुल संपत्ति ₹2 लाख है, जबकि तृणमूल कांग्रेस की मंत्री बीरबाहा हांसदा के पास ₹3 लाख से थोड़ी अधिक संपत्ति है।

एडीआर ने कहा है कि हलफनामों में दी गई संपत्ति और आपराधिक मामलों की जानकारी 2020 से 2025 के बीच के चुनावों के दौरान दर्ज की गई है, इसलिए कुछ मामलों में बदलाव हो सकता है। आसान शब्दों में कहें तो इस रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि भारत के मंत्रिपरिषद में संपत्ति का बड़ा अंतर है- कुछ मंत्री बेहद दौलतमंद हैं, तो कुछ के पास मामूली संपत्ति ही है। यह देश की राजनीतिक और आर्थिक असमानता की एक झलक है।


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