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देश के 58 सांसदों और विधायकों पर हेट सपीच देने के सबसे ज्यादा मामले दर्ज हैं. इस बात का खुलासा खुद उन सांसदो और विधायकों ने किया है. इन सांसदों और विधायकों में बीजेपी नेताओं की संख्या सबसे ज्यादा है.

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ( एडीआर ) की एक रिपोर्ट में कहा गया है , ‘लोकसभा के 15 मौजूदा सदस्यों ने अपने खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण को लेकर मामला दर्ज होने की बात की है. जबकि राज्यसभा के किसी भी सदस्य ने अपनी घोषणा में इसका उल्लेख नहीं किया है.’

सबसे ज्यादा सदस्य बीजेपी से

रिपोर्ट के मुताबिक इन लोकसभा सदस्यों में दस का ताल्लुक बीजेपी और एक - एक का संबंध ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट ( एआईयूडीएफ ), तेलंगाना राष्ट्र समिति ( टीआरएस ), पीएमके , एआईएमआईएम और शिवसेना से है.

एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा के 27, ऑल इंडिया मजलिस - ए - इत्तेहादुल मुसलमीन और टीआरएस के छह - छह , टीडीपी और शिवसेना के तीन - तीन , एआईटीसी , आईएनसी , जेडीयू के दो - दो , एआईयूडीएफ , बीसपा , द्रमुक , पीएमके और एसपी के एक -एक सांसदों और विधायकों पर इससे जुड़े मामले दर्ज हैं. इस सूची में दो निर्दलीय सांसद और विधायक भी शामिल हैं.

एडीआर ने कहा है कि असदुद्दीन ओवैसी ( एआईएमआईएम ) और बदरुद्दीन अजमल ( एआईयूडीएफ ) जैसे नेताओं ने अपनी घोषणा में इससे संबंधित मामला दर्ज होने की बात कही है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता मंत्री उमा भारती ने भी अपने खिलाफ इससे जुड़ा मामला दर्ज होने का उल्लेख किया है. इसके अलावा आठ राज्य मंत्रियों के खिलाफ भी नफरत फैलाने वाले भाषण देने का मामला दर्ज है.

हेट स्पीच में पाई गई थी 500 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी

इससे पहले बताया जा रहा था कि पिछले चार सालों में भारतीय राजनीति के बड़े नेताओं की हेट स्पीच और विभाजनकारी भाषा के प्रयोग में 500 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी आई है.

डेटा और सबूतों के आधार पर यह पाया गया है कि मई 2014 से लेकर अबतक 124 बार 44 नेताओं ने वीआईपी हेट स्पीच दिया है. इसके मुकाबले यूपीए-2 के दौरान ऐसा सिर्फ 21 बार ही हुआ था. इस आधार पर मोदी सरकार के दौरान वीआईपी हेट स्पीच में 490 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. वर्तमान के एनडीए सरकार के दौरान हेट स्पीच देने वालों में 90 प्रतिशत बीजेपी के नेता हैं