लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 7 चरणों में वोट डाले गए थे. पहले चरण के लिए 19 अप्रैल को मतदान हुआ था. आखिरी और सातवें चरण के लिए 1 जून को वोटिंग हुई थी और 4 जून को नतीजे सामने आए थे. चुनाव में एक तरफ केंद्र की सत्ताधारी दल बीजेपी थी तो दूसरी ओर कई विपक्षी दलों का मिलकर बना इंडिया गठबंधन था.
लोकसभा चुनाव को लेकर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने बड़ा दावा किया है. एडीआर ने दावा किया है कि चुनाव में 538 निर्वाचन क्षेत्रों में डाले गए मतों और गिने गए मतों की संख्या में अंतर है. चुनाव में 362 संसदीय क्षेत्रों में डाले गए मतों की तुलना में कुल 5 लाख 54 हजार 598 वोट कम गिने गए जबकि 176 संसदीय क्षेत्रों में डाले गए वोट की तुलना में कुल 35093 वोट अधिक गिने गए. एडीआर के इस दावे पर चुनाव आयोग की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, एडीआर ने यह भी दावा किया है कि अंतिम मतदान प्रतिशत डेटा जारी करने में अत्याधिक देरी, निर्वाचन क्षेत्रवार तथा मतदान केंद्र वार आंकड़े उपलब्ध न होने और क्या नतीजे अंतिम मिलान अंकड़ों के आधार पर घोषित किए गए थे, इसकी अस्पष्टता ने चुनाव परिणामों की सत्यता के बारे में चिंता और संदेह पैदा करते हैं. हालांकि, एडीआर ने यह साफ नहीं किया है कि मतों की में अंतर कि वजह से कितनी सीटों पर परिणामों में बदलाव देखने को मिलते.
‘6 चरणों में मतदाताओं की संख्या बिल्कुल सही’
रिपोर्ट में कहा गया है कि सूरत संसदीय सीट पर कोई मुकाबला नहीं था. इसलिए 538 संसदीय सीट पर कुल 589691 मतों का अंतर है. दावा किया गया है कि चुनाव के पहले छह चरणों के लिए वोटर टर्नआउट ऐप पर मतदाताओं की जो संख्या दिखाई गई थी वो बिल्कुल सही थी. अंतिम चरण यानी सातवें चरण के मतदान में केवल प्रतिशत में आंकड़े दिए गए थे और चुनाव आयोग की ओर से पिछले डेटा को हटा दिया गया था.
2019 के चुनाव को लेकर भी बड़ा दावा
वहीं, साल 2019 के चुनाव के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि 542 निर्वाचन क्षेत्रों के मास्टर समरी में 347 सीट पर विसंगतियां दिखाई दीं. 195 सीट में कोई अंतर नहीं थीं. अंतर एक वोट (सबसे कम) से लेकर सबसे अधिक 101323 वोट (कुल मतों का 10.49 प्रतिशत) तक थी. छह सीट ऐसी थीं जहां मतों में विसंगति जीत के अंतर से ज्यादा थी. कुल मिलाकर 739104 मतों का अंतर था.