सात इलेक्टोरल ट्रस्ट (चुनावी न्यास) ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए मिली राशि की घोषणा की है, जिन्होंने औद्योगिक घरानों और व्यक्तियों से कुल 258.49 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त की है और इनमें से विभिन्न राजनीतिक दलों को 258.43 करोड़ (प्राप्त राशि का 99.97 प्रतिशत) वितरित किए हैं।
गुरुवार को जारी एक विश्लेषण में यह जानकारी दी गई है। शीर्ष 10 दानदाताओं ने इलेक्टोरल ट्रस्टों को 223.00 करोड़ रुपये का दान दिया है, जो वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान ट्रस्टों द्वारा प्राप्त कुल दान का 86.27 प्रतिशत है और भाजपा को 212.05 करोड़ रुपये या सभी राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त कुल दान का 82.05 प्रतिशत प्राप्त हुआ है।
यह जानकारी चुनाव अधिकार निकाय एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के विश्लेषण में दी गई है। इसमें कहा गया है कि जिन प्रमुख दलों को चंदा मिला उनमें भाजपा, जदयू, कांग्रेस, राकांपा, अन्नाद्रमुक, द्रमुक, राजद, आप, लोजपा, सीपीएम, भाकपा और लोकतांत्रिक जनता दल शामिल हैं।
फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज ने इलेक्टोरल ट्रस्ट के सभी दाताओं में सबसे अधिक 100 करोड़ रुपये का योगदान दिया, इसके बाद हल्दिया एनर्जी इंडिया लिमिटेड ने 25 करोड़ रुपये और मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्च र लिमिटेड ने विभिन्न ट्रस्टों को 22 करोड़ रुपये का योगदान दिया।
बता दें कि चुनावी न्यास गैर लाभकारी संगठन हैं जिनकी स्थापना भारत में राजनीतिक दलों के लिए उद्योगों और व्यक्तियों से व्यस्थित तरीके से चंदा (योगदान) प्राप्त करने के लिए की गई है। इसका उद्देश्य चुनाव संबंधी खचरे के लिए राशि के इस्तेमाल में पारदर्शिता लाना है।
वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 159 व्यक्तियों ने चुनावी न्यास में अंशदान किया। इनमें से दो व्यक्तियों ने साढ़े तीन करोड़ का दान प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट में किया जबकि 153 व्यक्तियों ने 3.20 करोड़ रुपये का दान स्मॉल डोनेशंस इलेक्टोरल ट्रस्ट में किया। तीन व्यक्तियों ने पांच लाख रुपये का योगदान आइंजिगर्टिग इलेक्टोरल ट्रस्ट में किया, जबकि एक व्यक्ति ने 1,100 रुपये का योगदान इंडिपेंडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट में किया।
शीर्ष 10 दानदाताओं ने इलेक्टोरल ट्रस्टों को 223.00 करोड़ रुपये का दान दिया है, जो वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान ट्रस्टों द्वारा प्राप्त कुल दान का 86.27 प्रतिशत है।
प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने वित्त वर्ष 2019-20 में 217.75 करोड़ रुपये के योगदान के विपरीत, भाजपा को 209.00 करोड़ रुपये का दान दिया, जबकि जयभारत इलेक्टोरल ट्रस्ट ने वित्त वर्ष 2020-21 में अपनी कुल आय का 2.00 करोड़ रुपये भाजपा को दान किया।
इलेक्टोरल ट्रस्ट ने कांग्रेस को 3.31 करोड़ रुपये का दान दिया। प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने भाजपा, जदयू, कांग्रेस, राकांपा, राजद, आप और लोजपा जैसे प्रमुख दलों सहित सात राजनीतिक दलों को दान दिया।
बीजेपी को इलेक्टोरल ट्रस्टों से सभी राजनीतिक दलों को मिले कुल चंदे का 212.05 करोड़ रुपये या 82.05 फीसदी मिला, जबकि जेडीयू को सभी सात चुनावी ट्रस्टों से सभी पार्टियों को मिले कुल चंदे का 27 करोड़ रुपये या 10.45 फीसदी मिला।
एडीआर विश्लेषण में कहा गया है कि कांग्रेस, राकांपा, अन्नाद्रमुक, द्रमुक, राजद, आप, लोजपा, सीपीएम, भाकपा और लोकतांत्रिक जनता दल सहित अन्य 10 राजनीतिक दलों को सामूहिक रूप से कुल 19.3801 करोड़ रुपये मिले।
2019 तक चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के साथ 21 इलेक्टोरल ट्रस्ट पंजीकृत थे और 8 सितंबर, 2021 को सीबीडीटी द्वारा अनुमोदित इलेक्टोरल ट्रस्टों की अपडेटिड सूची से पता चलता है कि दो नए इलेक्टोरल ट्रस्ट पंजीकृत हैं।
उन 23 में से 16 ने अपनी योगदान रिपोर्ट जमा की है और केवल सात ट्रस्टों ने विभिन्न कॉर्पोरेट घरानों और व्यक्तियों से योगदान प्राप्त करने की घोषणा की है। बजाज इलेक्टोरल ट्रस्ट, गौरी वेलफेयर एसोसिएशन इलेक्टोरल ट्रस्ट, प्रतिनिधि इलेक्टोरल ट्रस्ट और भारतीय सोशलिस्ट रिपब्लिकन इलेक्टोरल ट्रस्ट एसोसिएशन नाम के चार चुनावी ट्रस्टों के पंजीकरण का नवीनीकरण नहीं किया गया था।
केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार, चुनावी ट्रस्टों को वित्तीय वर्ष के दौरान प्राप्त कुल योगदान का कम से कम 95 प्रतिशत, पिछले वित्तीय वर्ष से आगे लाए गए अधिशेष के साथ, उक्त वित्तीय वर्ष के 31 मार्च से पहले पात्र राजनीतिक दलों को वितरित करना आवश्यक है।
नियम पूर्वव्यापी नहीं हैं और इसलिए इन छह इलेक्टोरल ट्रस्टों यानी जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट, इलेक्टोरल ट्रस्ट, हार्मनी इलेक्टोरल ट्रस्ट, कॉर्पोरेट इलेक्टोरल ट्रस्ट, भारती इलेक्टोरल ट्रस्ट और सत्य इलेक्टोरल ट्रस्ट को पारदर्शिता नियमों का पालन करने और अपने दाता विवरण घोषित करने की आवश्यकता नहीं है।
एडीआर ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने वाले 16 इलेक्टोरल ट्रस्टों में से 56 प्रतिशत ने घोषणा की है कि उन्हें उस वर्ष शून्य योगदान प्राप्त हुआ। एडीआर ने कहा, वित्त वर्ष 2013-14 और 2020-21 के बीच, आठ इलेक्टोरल ट्रस्टों ने घोषणा की है कि उन्हें अपने पंजीकरण के वर्ष से कोई दान नहीं मिला है या जिनकी रिपोर्ट सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध नहीं है, जबकि छह इलेक्टोरल ट्रस्टों ने पंजीकृत होने के बाद से केवल एक बार योगदान प्राप्त करने की घोषणा की है। यह ऐसे चुनावी ट्रस्टों के पंजीकरण की निरंतरता पर सवाल उठाता है जो संबंधित राजनीतिक दलों को उनके द्वारा प्राप्त योगदान को वितरित करने के अपने प्राथमिक उद्देश्य को पूरा करने में विफल रहते हैं।
23 पंजीकृत इलेक्टोरल ट्रस्टों में से सात में से वित्त वर्ष 2020-21 के लिए योगदान रिपोर्ट समय सीमा के पांच महीने बाद भी ईसीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है।
इनमें जनकल्याण ईटी, जनशक्ति ईटी, पीपुल्स ईटी, उपकृति ईटी, भारतीय भूमि ईटी, हार्मनी ईटी और कल्याण ई.टी. शामिल हैं।
विश्लेषण में कहा गया है कि कल्याण इलेक्टोरल ट्रस्ट की योगदान रिपोर्ट सितंबर 2016 में इसके पंजीकरण के बाद से ईसीआई की वेबसाइट पर एक बार भी उपलब्ध नहीं रही है।