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Source
News4 Social
Date
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New Delhi

कुल 363 सांसदों और विधायकों पर तलवार लटक रही है। इनकी ‘नेतागिरी’ कभी भी खत्म हो सकती है। ये आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं। दोष साबित हुआ तो इनका करियर भी खत्‍म हो जाएगा। जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत उन्हें अयोग्य करार दिया जाएगा। चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाले संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने यह बात कही है।

एडीआर ने बताया कि केंद्र और राज्यों में 39 मंत्रियों ने भी जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा आठ के तहत दर्ज आपराधिक मामलों की घोषणा की है। कानून की धारा आठ की उप-धाराएं (1), (2) और (3) में प्रावधान है कि इनमें से किसी भी उप-धारा में उल्लिखित अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को दोष साबित होने की तारीख से अयोग्य घोषित किया जाएगा। उनकी रिहाई के बाद से छह साल की और अवधि के लिए वह अयोग्य बना रहेगा।

एडीआर और ‘नेशनल इलेक्शन वाच’ ने 2019 से 2021 तक 542 लोकसभा सदस्यों और 1,953 विधायकों के हलफनामों का विश्लेषण किया है। एडीआर के मुताबिक, 2,495 सांसदों, विधायकों में से 363 (15 प्रतिशत) ने घोषणा की है कि उनके खिलाफ कानून में सूचीबद्ध अपराधों के लिए अदालतों की ओर से आरोप तय किए गए हैं। इनमें 296 विधायक और 67 सांसद हैं।

एडीआर ने कहा कि राजनीतिक दलों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में ऐसे सांसदों, विधायकों की संख्या सबसे अधिक 83 है। कांग्रेस में 47 और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में 25 ऐसे सांसद, विधायक हैं। एडीआर के मुताबिक, 24 मौजूदा लोकसभा सदस्यों के खिलाफ कुल 43 आपराधिक मामले लंबित हैं और 111 मौजूदा विधायकों के खिलाफ कुल 315 आपराधिक मामले 10 साल या उससे अधिक समय से लंबित हैं।

जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (1), (2) और (3) के तहत सूचीबद्ध अपराध गंभीर, जघन्य प्रकृति के हैं। बिहार में 54 विधायक ऐसे हैं, जो इस तरह के गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं। इसके बाद केरल में ऐसे 42 विधायक हैं। एडीआर ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा कि चार केंद्रीय मंत्री और राज्यों में 35 मंत्री हैं, जिन्होंने आपराधिक मामलों की सूचना दी है।