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New Delhi

देश में सियासी नक्शे पर जीत का परचम लहरा रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बिजनेसमैन, कॉरपोरेट्स और उद्योगपतियों के भी आंख का तारा बनी हुई है। कॉरपोरेट्स और बिजनेस घरानों ने भाजपा को पिछले चार सालों में सबसे ज्यादा चंदा दिया है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट के मुताबिक कॉरपोरेट्स ने ज‍ितना आठ साल में राजनीतिक पार्टियों को चंदा दिया था, उसका करीब तीन गुना केवल प‍िछले चार साल में द‍िया है। कुल चंदा का 89 फीसदी केवल कॉरपोरेट्स ने द‍िया। बीजेपी को 2987 डोनर्स ने करीब 706 करोड़ रुपए द‍िए।

एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2012-13 से 2015-16 के बीच देश की पांच राष्ट्रीय पार्टियों को कुल 956.77 करोड़ रुपये दान दिए गए। इनमें से भाजपा को अकेले 2987 दाताओं ने कुल 705.81 करोड़ रुपये दान दिए, जबकि कांग्रेस को 167 कॉरपोरेट/बिजनेस घरानों से कुल 198.16 करोड़ रुपये दान प्राप्त हुए। एनसीपी को 50 दानदाताओं ने कुल 50.73 करोड़ जबकि सीपीएम को 45 दाताओं के जरिए 1.89 और सीपीआई को 17 दाताओं के माध्यम से 0.18 करोड़ रुपये दान में मिले हैं। बसपा राष्ट्रीय दल है, बावजूद उसके दान का विवरण इस रिपोर्ट में नहीं है क्योंकि बसपा ने यह घोषणा की है कि 20 हजार रुपये से अधिक एक भी दाता ने उसे दान नहीं दिया है।

भाजपा के दान दाताओं का विश्लेषण करने से पता चलता है कि पिछले दो सालों में 20 हजार रुपये से ज्यादा के स्वैच्छिक दान करने वाले बिजनेस घरानों का आंकड़ा 92 फीसदी है जबकि कांग्रेस के ज्ञात स्रोत के मुताबिक मात्र 85 फीसदी बिजनेस घराने हैं जिसने 20 हजार से ज्यादा की रकम दान दी है। राष्ट्रीय दलों को सबसे ज्यादा दान 2014-15 में मिला है, जब देश में लोकसभा चुनाव होने थे।

कॉर्पोरेट या व्यापारिक घरानों से सबसे कम योगदान सीपीआई और सीपीएम ने घोषित किया है। राष्ट्रीय दलों के कुल कॉर्पोरेट दान का केवल 4% सीपीआई को और 17% सीपीएम को मिला है। साल 2012-13 में दान न देने के बावजूद सत्या इलेक्टरल ट्रस्ट तीन राष्ट्रीय दलों का सबसे बड़ा दान दाता है।  2013- 14 और 2015-16 के बीच इस ट्रस्ट ने 35 दान द्वारा कुल 260.87 करोड़ रुपये दान भाजपा, कांग्रेस और एनसीपी को दिए हैं। सत्या इलेक्टरल  ट्रस्ट से भाजपा को 193.62 करोड़ रुपये, कांग्रेस को 57.25 करोड़ और एनसीपी को कुल 10 करोड़ रुपये मिले हैं।