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नई दिल्ली: राजनीतिक पार्टियों की शान-ओ- शौकत की बड़ी वजह वह चंदा है जो कॉरपोरेट हाउस और दान दाता इन पार्टियों को देते हैं. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की मंगलवार को आई रिपोर्ट में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, एनसीपी, सीपीआई, तृणमूल कांग्रेस और सीपीएम के दान रिपोर्ट का विश्लेषण किया गया है. बसपा एक राष्ट्रीय दल होने के बावजूद, इस रिपोर्ट में नहीं जोड़ा गया है क्योंकि बसपा ने यह कहा है कि उसको 2004-05 और 2017*18 के बीच 20000 से अधिक का एक भी दान नहीं मिला है.

कॉरपोरेट घरानों से आया सबसे अधिक चंदा- भाजपा ने मारी बाजी

एक रिपोर्ट के अनुसार 2016-17 और 2017-18 के बीच छह राष्ट्रीय राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त 20,000 रुपये से ऊपर के कुल चंदे का लगभग 93 फीसदी कॉर्पोरेट और व्यापारिक घरानों से आया है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा जारी रिपोर्ट से पता चला है कि इन छह पार्टियों को कुल 1,731 कॉर्पोरेट दाताओं से 1,059 करोड़ रुपये प्राप्त हुए. इसमें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 915.59 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी रकम प्राप्त हुई.

इसके अलावा कांग्रेस को 151 कॉपोर्रेट दाताओं से 55.36 करोड़ रुपये मिले, जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को 23 दानदाताओं से 7.74 करोड़ रुपये मिले.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘वित्त वर्ष 2016-17 और वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान, कॉर्पोरेट और व्यापारिक घरानों से 20,000 रुपये से ऊपर भाजपा और कांग्रेस का स्वैच्छिक योगदान क्रमश: 94 प्रतिशत और 81 प्रतिशत है.’

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) को सबसे कम दो प्रतिशत कॉर्पोरेट चंदा मिला.

एडीआर ने यह भी उजागर किया है कि 2012-13 और 2017-18 के बीच कारोबारी घरानों के विभिन्न क्षेत्रों ने कुल 1,941.95 करोड़ रुपये का चंदा दिया.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘राष्ट्रीय दलों को वित्त वर्ष 2014-15 (जब लोकसभा चुनाव हुए थे) में 573.18 करोड़ रुपये का अधिकतम कॉर्पोरेट चंदा प्राप्त हुआ था. इसके बाद वित्त वर्ष 2016-17 में 563.19 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2017-18 में 421.99 करोड़ रुपये मिले थे. 2016-17 और 2017-18 के चंदे में 25.07 प्रतिशत की कमी आई.’

प्रूडेंट/सत्य इलेक्टोरल ट्रस्ट दो राष्ट्रीय दलों के सबसे बड़े दान दाता रहे. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ट्रस्ट ने दो साल में कुल 46 बार चंदे दिए, जो 429.42 करोड़ रुपये रहा.’

इसमें प्रूडेंट/सत्य इलेक्टोरल ट्रस्ट से भाजपा ने 33 चंदों में 405.52 करोड़ रुपये प्राप्त होने की घोषणा की, जबकि कांग्रेस ने 13 चंदों में 23.90 करोड़ रुपये प्राप्त किए.

इसके बाद भद्रम जनहित शालिका ट्रस्ट भाजपा और कांग्रेस के लिए दूसरा सबसे बड़ा कॉर्पोरेट दानदाता रहा, जिसने 10 बार, कुल 41 करोड़ रुपये के चंदे दिए.

एडीआर ने कहा है कि चुनावी ट्रस्ट राष्ट्रीय पार्टियों के सबसे बड़े दानदाता थे, जिन्होंने कुल 488.42 करोड़ रुपये का चंदा दिया.

रियल एस्टेट सेक्टर 2016-17 में दूसरा सबसे बड़ा चंदा देने वाला था, जिसने कुल 49.94 करोड़ रुपये के चंदे दिए. वहीं 2017-18 में आरएचडब्ल्यू विनिर्माण क्षेत्र में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता (74.74 करोड़ रुपये) था.

भाजपा को विनिर्माण (107.54 करोड़ रुपये), रियल एस्टेट (88.57 करोड़ रुपये), खनन, निर्माण, निर्यात और आयात (57.40 करोड़ रुपये) सहित सभी 15 क्षेत्रों से सबसे अधिक चंदा मिला.

एडीआर ने कहा कि कुल 916 चंदे, जिनके माध्यम से राष्ट्रीय दलों को 120.14 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, उनके पते का विवरण योगदान फॉर्म में नहीं है.

एडीआर ने यह भी कहा कि छह राष्ट्रीय दलों ने 347 चंदे प्राप्त करने की सूचना दी, जिसमें कॉर्पोरेट संस्थाओं से 22.59 करोड़ रुपये की राशि थी. इसमें इंटरनेट मौजूदगी शून्य थी. एडीआर का कहना है कि अगर वे ऐसा करते थे तो उनके काम में अस्पष्टता थी.