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राजनीतिक दलों ने पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान 1500 करोड़ रुपये एकत्रित किए। वहीं विभिन्न दलों ने सिर्फ इसमें से सिर्फ 494 करोड़ रुपये ही खर्च किए। यह जानकारी राजनीतिक दलों पर नजर रखने वाले संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने दी है। 

एडीआर ने जारी की रिपोर्ट, विभिन्न दलों ने 1500 में सिर्फ 494 करोड़ ही किए खर्च

रिपोर्ट में कहा गया है कि ये आंकड़े गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए हुए चुनाव के दौरान के हैं। यह रिपोर्ट राजनीतिक दलों की तरफ से निर्वाचन आयोग को दिए गए खर्च के ब्यौरे पर आधारित है। रिपोर्ट पांच राष्ट्रीय दल और 16 क्षेत्रीय पार्टियों के संचयी आंकड़ा लिया गया है। 2017 में पांच विधानसभा चुनाव के दौरान राष्ट्रीय दलों की तरफ से कुल 1314.29 करोड़ रुपये एकत्रित किया गया।

इन दलों ने कुल 328.66 करोड़ रुपये खर्च किए। रिपोर्ट में बताया गया है कि राष्ट्रीय दलों में भाजपा ने सबसे अधिक 1214.46 करोड़ रुपये का फंड जुटाया। ये कुल फंड का 92.4 फीसदी है। ये फंड राज्य विधान सभा चुनाव के लिए केंद्र व राज्य स्तर पर जुटाया गया। भाजपा के केंद्रीय मुख्यालय ने 1194.21 करोड़ और पार्टी की गोवा इकाई ने दूसरा सबसे अधिक 17 करोड़ रुपये जुटाए। 

कांग्रेस की राज्य इकाई ने जुटाई अधिक राशि

रोचक है कि तीन राष्ट्रीय दलों भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, एनसीपी और सीपीएम की राज्य इकाइयों ने केंद्रीय मुख्यालय की तुलना में अधिक फंड एकत्रित किया। कांग्रेस को जहां राज्य इकाइयों से 62.09 करोड़ रुपये मिले वही एनसीपी ने 61 लाख और सीपीएम राज्य इकाई ने 46 लाख रुपये जुटाए। बसपा ने घोषित किया कि उसे कोई फंड नहीं मिला। 

क्षेत्रीय दलों में शिवसेना सबसे आगे

दूसरी तरफ 16 क्षेत्रीय दलों ने 189 करोड़ रुपये जुटाए। इन दलों ने 166 करोड़ रुपये खर्च भी कर दिए। क्षेत्रीय दलों में फंड जुटाने में शिवसेना सबसे आगे रही। पार्टी ने सबसे अधिक 116 करोड़ रुपये एकत्रित किए। शिवसेना ने गोवा, पंजाब, यूपी और उत्तराखंड में चुनाव लड़ा था। दूसरे स्थान पर आम आदमी पार्टी ने 37.35 करोड़ रुपये जुटाए। छह क्षेत्रीय दलों ने जहां भी चुनाव लड़ा वहां के खर्च का कोई भी ब्यौरा जमा नहीं किया। राजनीतिक दलों ने यह पैसे नकद, चैक और डिमांड ड्राफ्ट के रूप में प्राप्त किए। 

प्रचार पर खर्च किए 189 करोड़