एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, ‘पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के दौरान राष्ट्रीय दलों ने चंदे के रूप में कुल 1,314.29 करोड़ रुपए प्राप्त किए. वहीं उन्होंने 328.66 करोड़ रुपए का खर्च किए.’ राष्ट्रीय दलों में बीजेपी को सबसे अधिक 1,214.46 करोड़ रुपए का चंदा मिला, जो केंद्र एवं राज्य स्तर पर कुल प्राप्त चंदे का 92.4 प्रतिशत बैठता है.
बीजेपी की गोवा इकाई को मिला 91 करोड़ रुपए चंदा
पार्टी के केंद्रीय मुख्यालय को 1,194.21 करोड़ रुपए मिले. वहीं विभिन्न राज्य इकाइयों में बीजेपी की गोवा इकाई ने 91 करोड़ रुपए प्राप्त किए जो दूसरी सबसे बड़ी राशि है. वहीं दूसरी तरफ 16 क्षेत्रीय दलों ने सामूहिक रूप से 189 करोड़ रुपए प्राप्त किए और 166 करोड़ रुपए खर्च किए.
छह क्षेत्रीय दलों ने किसी भी विधानसभा चुनाव में किए गए खर्च का कोई ब्योरा नहीं दिया. रिपोर्ट निर्वाचन आयोग में जमा किए गए चुनावी व्यय ब्योरे के आधार पर तैयार की गई है.
राजनीतिक दलों को चंदा नकद, चेक और डिमांड ड्राफ्ट के जरिए मिला. उन्होंने अपना खर्च प्रचार, यात्रा व्यय, अन्य विविध व्यय और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को एकमुश्त राशि के भुगतान के रूप में दिखाया है.
बीएसपी ने कहा उसे किसी तरह का चंदा नहीं मिला
राष्ट्रीय दलों ने प्रचार पर जहां 189.46 करोड़ रुपए खर्च किए वहीं क्षेत्रीय दलों ने इसी मद में 111 करोड़ रुपए दिखाए हैं. दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस, एनसीपी और सीपीएम तीन ऐसे दल हैं जिनकी राज्य इकाइयों ने अपने केंद्रीय मुख्यालय के मुकाबले अधिक चंदा प्राप्त किया.
कांग्रेस को राज्य इकाइयों से 62.09 करोड़ रुपए मिले. एनसीपी की राज्य इकाइयों को 61 लाख औ सीपीएम को 46 लाख रुपए का चंदा मिला. बीएसपी ने घोषणा की है कि उसे कोई चंदा नहीं मिला है.
क्षेत्रीय दलों में शिवसेना को गोवा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए सबसे अधिक 116 करोड़ रुपए का चंदा मिला. वहीं आम आदमी पार्टी को गोवा और पंजाब में चुनाव लड़ने के लिए 37.35 करोड़ रुपए मिले.
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