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भले ही राजनीतिक पार्टियां दागी उम्मीदवारों को टिकट नहीं देने की बात करती रही हो, लेकिन आंकड़े कुछ अलग ही हकीकत बयां करते हैं। राजस्थान विधानसभा 2018 के चुनाव में भी लोकतंत्र पर दागी प्रत्याशियों की छाया साफ दिख रही है। एडीआर की एक सर्वे रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि राजस्थान में पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार हो रहे चुनाव में बागी प्रत्याशियों की संख्या 4 फीसदी बढ़ी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव में 200 सीटों पर 320 यानि 15 प्रतिशत दागी प्रत्याशी चुनावी मैदान में है।

एडीआर की ओर से जारी आंकड़ों में अपराधिक मामलों से जुड़े उम्मीदवार को टिकट देने का औसत पिछले चुनाव से इस बार 4% बढ़ा है। 2013 में जहां 11 प्रतिशत आपराधिक और 7 प्रतिशत गंभीर मामलों से जुड़े उम्मीदवार थे, वही अब 2018 के चुनाव में बढ़ कर 15 प्रतिशत आपराधिक और 9 प्रतिशत गंभीर आपराधिक मामलों से जुड़े उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। खास बात यह भी है कि दागी उम्मीदवारों को टिकट देने में कांग्रेस सबसे आगे है। वहीं दूसरे पायदान पर भ्रष्टाचार मिटाने के दावे करने वाली आम आदमी पार्टी ने अपराधियों को अपना उम्मीदवार बनाया है। तीसरे नम्बर पर बीजेपी और चौथे नंबर पर बीएसपी है।

5 साल में 4 प्रतिशत बढ़े दागी उम्मीदवार :
उम्मीदवारों द्वारा घोषित आपराधिक मामले :
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में 2 हजार 188 में से 320 यानी 15% उम्मीदवारों ने अपने ऊपर अपराधिक मामले घोषित किए हैं।
जबकि 2013 में राजस्थान विधानसभा चुनाव में 2 हजार 30 उम्मीदवारों में से 224 यानी 11% उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए थे।

उम्मीदवारों द्वारा घोषित गंभीर आपराधिक मामले :
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में 195 यानी 9% उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर अपराधिक मामले घोषित किए हैं।
जबकि 2013 में राजस्थान विधानसभा चुनाव में ये आंकड़ा 140 यानी 7% उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए थे।

हत्या से संबंधित मामले घोषित करने वाले उम्मीदवार : चार उम्मीदवारों पर हत्या को लेकर आईपीसी की धाारा 302 संबंधित मामले घोषित किए।

हत्या के प्रयास से संबंधित मामले घोषित करने वाले उम्मीदवार : 25 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर हत्या का प्रयास आईपीसी 307 से संबंधित मामले घोषित किए।

अपहरण की कोशिश करने वाले उम्मीदवार : 11 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर अपहरण से संबंधित मामले घोषित किए।

महिलाओं के ऊपर अत्याचार से संबंधित मामले घोषित करने उम्मीदवार : 16 उम्मीदवारों ने खुद पर ऐसे मामले बताए हैं कि स्त्री की लज्जा भंग की आईपीसी की धारा 498 ए से जुड़ा है।

पार्टी उम्मीदवारों द्वारा घोषित आपराधिक मामले : बीजेपी के 198 में से 37 यानी 17%, कांग्रेस के 193 में से 46 यानी 22%, आम आदमी पार्टी के 141 में से 26 यानी 18% और बीएसपी ने 178 में से 31 यानी 17% उम्मीदवारों ने अपना पर आपराधिक मामले घोषित किए हैं।

संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्र : राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में 48 यानी 24% निर्वाचन क्षेत्र हैं, जहां पर 3 या उससे अधिक उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं।

क्या है गंभीर अपराधिक मामलों के मापदंड :
- 5 साल या उससे अधिक सजा वाले अपराध
- गैर जमानती अपराध 
- चुनाव से संबंधित अपराध धारा 171 अथवा रिश्वतखोरी 
- सरकारी खजाने का नुकसान पहुंचाने से संबंधित अपराध 
- हमला हत्या पर बलात्कार से संबंधित अपराध 
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में उल्लेखित अपराध धारा 8
- भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम कानून के तहत अपराध

बहरहाल, दागी प्रत्याशियों पर नकेल कसने की भारतीय निर्वाचन आयोग की कोशिशें भी अभी तक सफल होती नहीं दिख रही है। यह मामले न्यायिक प्रक्रिया में उलझे होने के चलते अभी प्रभावी कदम नहीं नजर आ रहे हैं।