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हाइलाइट्स

  • ADR रिपोर्ट के अनुसार बिहार के 93 प्रतिशत मंत्री हैं करोड़पति
  • एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट में नीतीशमंत्रिमंडल के 64 फीसदी मंत्री पर अपराधिक मामले
  • बीजेपी के नौ जेडीयू के पांच हम, वीआईपी और सुमित सिंह पर भी दर्ज है आपराधिक मामला

नीलकमल, पटना
बिहार में 16 नवंबर 2020 को नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण के साथ ही बने एनडीए की सरकार में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा था। 16 नवंबर को नीतीश कुमार के साथ 14 NDA विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली थी। मंत्री पद की शपथ लेने वाले विधायकों में से बीजेपी के 4, जेडीयू के 2, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा 1 और विकासशील इंसान पार्टी के 1 मंत्री पर आपराधिक मामला दर्ज था। वहीं 9 फरवरी को मंत्रीपद की शपथ लेने वाले 17 में से 8 मंत्रियों पर भी आपराधिक मामले दर्ज हैं। यानी नीतीश कैबिनेट के आधे से अधिक मंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज है।

आपराधिक मामला दर्ज होने की वजह से ही मेवालाल चौधरी का लिया गया था इस्तीफा
जदयू कोटे से शिक्षा मंत्री बने मेवालाल चौधरी के ऊपर 2017 में भर्ती घोटाले को लेकर FIR दर्ज किया गया था। 2017 में राजभवन के आदेश से मेवालाल चौधरी के खिलाफ 161 सहायक प्रोफेसर और जूनियर साइंटिस्ट की नियुक्ति के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। बता दें कि मेवालाल चौधरी ने पदभार ग्रहण करने के 1 घंटे के भीतर ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कहने पर अपना इस्तीफा सौंप दिया था। हालांकि मेवालाल चौधरी ने चुनावी हलफनामा भरते समय अपने खिलाफ एक अपराधिक मामला और चार अन्य मामले का जिक्र किया था।

बीजेपी के इन मंत्रियों पर दर्ज है आपराधिक मामले
बीजेपी विधायक और बिहार के श्रम मंत्री जीवेश कुमार पर भी आईपीसी की धाराओं के तहत 5 आपराधिक मामले दर्ज है। वही मंत्री प्रमोद कुमार पर 4 आपराधिक मामले और दिवंगत बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के चचेरे भाई और छातापुर से बीजेपी विधायक एवं मंत्री नीरज कुमार बबलू के ऊपर 3 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसी प्रकार गोपालगंज के सुभाष सिंह के ऊपर 5 आपराधिक मामले तो पटना के बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र से नितिन नवीन के ऊपर भी 5 आपराधिक मामले दर्ज हैं। पहली बार मंत्री बने सहरसा के आलोक रंजन के ऊपर भी एक मामला दर्ज है हालांकि इस केस में अभी चार्ज फ्रेम नहीं किया गया है।

जेडीयू के मंत्री पर दर्ज आपराधिक मामले
बात अगर जेडीयू कोटे से बने मंत्रियों की करें तो जदयू कोटे से मंत्री बने दरभंगा के बहादुरपुर सीट से जीत कर आए मदन साहनी के ऊपर दो मामले दर्ज है। वहीं पूर्णिया के धमदाहा सीट से जीतने वाली मंत्री लेसी सिंह पर भी अपराधिक मामला दर्ज होने की बात कही जा रही है। बीएसपी (BSP) के टिकट पर जीत हासिल कर जेडीयू में शामिल होने वाले मोहम्मद जमा

मोर्चा से मंत्री बनाए गए उनके पुत्र पर भी अपराधिक मामला दर्ज है तो विकासशील इंसान पार्टी के चीफ और बिहार सरकार के मंत्री मुकेश सहनी पर भी आपराधिक मामला दर्ज है।

मंत्रियों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले पर आम लोगों की राय
किसी सरकार के मंत्रिमंडल के आधे से ज्यादा सदस्यों पर अगर आपराधिक मामले दर्ज हो तो स्वाभाविक तौर पर सरकार की छवि पर असर पड़ता है। लेकिन आज के दौर में जहां आम जनता भी सोशल मीडिया, इंटरनेट और टेलीविजन के माध्यम से राजनीति को करीब से देख रही है। उनके अनुसार मंत्रियों या विधायकों के ऊपर अपराधिक मामले का दर्ज होना यह साबित नहीं करता कि वह व्यक्ति अपराधिक चरित्र का है। पटना के रहने वाले निर्मल कुमार सिन्हा जो पेशे से अधिवक्ता भी हैं उनका कहना है कि कई बार राजनीतिक द्वेष की वजह से भी आपराधिक मामले दर्ज कराए जाते हैं। उनका कहना है कि भले ही किसी भी सरकार में शामिल मंत्रियों के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज हो लेकिन उनमें से ज्यादातर आपराधिक मामले का कारण राजनीतिक ही होता है।

मंत्री का कोई अपराधिक इतिहास नहीं रहा है ना ही वह अपराधिक छवि वाले व्यक्ति रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक विरोध और प्रदर्शन की वजह से भी कई बार नेताओं पर आपराधिक मामले दर्ज किए जाते हैं।